देशभर के राजभवन का बदल गया नाम, अब 'लोकभवन' होगी नई पहचान...दो हफ्ते पहले ही PM मोदी ने दे दिया था संकेत
भारत में 1 दिसंबर 2025 की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई है, क्योंकि आज के ही दिन देशभर में सभी राज्यों के राजभवन के नामों को बदल दिया गया है. अब विभिन्न राज्यों के राजभवन को लोकभवन के नाम से जाना जाएगा. इसको लेकर उस वक्त संकेत मिलने लगे थे जब पीएम मोदी ने बीते महीने ही अगले 10 साल के अंदर मैकाले की थ्योरी से मुक्ति पाने की अपील की थी और अंग्रेज राज पर बड़ा बयान दिया था.
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बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एक मीडिया समूह के डायलॉग को संबोधित करते हुए देश से अपील की थी कि अगले 10 साल में भारत से मैकाले की हीन ग्रंथी वाली सोच, अंग्रेजी राज वाली पहचान और गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाना होगा. लगता है केंद्र की मोदी सरकार ने इस पर अमल करना शुरू भी कर दिया है. जी हां, एक और ब्रिटिश राज के प्रतीक राजभवन के नाम को बदल दिया गया है. अब पूरे भारत के राज्यों में स्थित राज्यपाल के आधिकारिक निवास, कार्यालय जिसे राजभवन कहा जाता है उसे बदलकर लोकभवन कर दिया गया है.
आपको बताएं कि बीते दिनों ही प्रधानमंत्री मोदी के मैकाले पर दिए बयान से इसी तरह के फैसले के संकेत मिलने लगे थे. जब पीएम मोदी ने अगले 10 साल की बात की थी तो उसका मतलब था 1835 जब ब्रिटिश थिंकर मैकाले ने ये थ्योरी दी थी कि हिंदुस्तान में ऐसी व्यवस्था या शिक्षा प्रणाली लानी होगी जिसके तहत धीरे-धीरे भारतीयों की पहचान बाहर से हिंदुस्तानी और अंदर से, अंत: मन से वेस्टर्न, इंग्लिश कल्चर वाली होगी, वो अपनी ही चीजों, परंपराओं से नफरत करने लगेंगे. ऐसे में 2035 वो वक्त होगा जब इसके 100 साल पूरे हो जाएंगे.
राजभवन अब कहलाएगा लोकभवन
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन कर दिया गया है. इस क्रम में केंद्र सरकार की तरफ से राजभवनों का नाम बदलना स्पष्ट संदेश है कि सत्ता कोई लाभ उठाने का माध्यम नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का नाम है. नाम बदलने के पीछे केवल दिखावा भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट संदेश और सोच छिपी हुई है. संदेश यह है कि सरकार का काम जनता की सेवा करना है, ना कि सत्ता का सुख भोगना.
प्रधानमंत्री आवास, राजपथ और अब राजभवन की बदली पहचान!
आपको बताएं कि केंद्र की मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में कई जगहों और मार्गों के नाम बदलने के उदाहरण सामने आए हैं. इससे पहले राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रख दिया गया. राजपथ राजाओं का रास्ता या शक्ति का संदेश देता था, जबकि बाद में इसको कर्तव्य से जोड़ दिया गया, जिसका मतलब साफ है कि सत्ता कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक सेवा का मौका और जिम्मेदारी है.
गुजरात राजभवन का नाम अब ‘गुजरात लोकभवन’ होगा।
— Acharya Devvrat (@ADevvrat) December 1, 2025
यह परिवर्तन केवल नाम का नहीं, बल्कि जनसेवा की भावना को और गहराई से आत्मसात करने का संकल्प है।
लोकभवन - अर्थात जनता सर्वोपरि।
अब यह भवन केवल राज्यपाल का निवास नहीं, बल्कि नागरिकों, विद्यार्थियों, किसानों, शोधकर्ताओं, सामाजिक संगठनों… pic.twitter.com/YwMBhcXAPd
7 रेस कोर्स अब है 7 लोक कल्याण मार्ग
इसके अलावा उदाहरण के तौर पर रेस कोर्स रोड को भी लिया जा सकता है, जिसको 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया. लोक कल्याण जन साधारण को स्पष्ट संदेश देता है कि यह लोक कल्याण का रास्ता है, न कि किसी प्रतिष्ठा का प्रतीक. वहीं केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ वाले नए परिसर को सेवा तीर्थ का नाम दिया. सेवा तीर्थ का संदेश है, "सेवा का पवित्र स्थान."
वहीं देश का सबसे बड़ा प्रशासनिक केंद्र सेंट्रल सचिवालय का भी नाम बदल दिया गया. अब यह कर्तव्य भवन कहलाएगा. नाम यह बताने के लिए काफी है कि इस जगह को सेवा की भावना के केंद्र के रूप में समर्पित किया गया है.
'Raj Bhavan, Tamil Nadu renamed to ‘Lok Bhavan, Tamil Nadu.'
— LOK BHAVAN, TAMIL NADU (@lokbhavan_tn) December 1, 2025
Press Release No:43#PressRelease #RajBhavan #LokBhavan #GovernorRavi pic.twitter.com/ycxTF89aVL
सरकार के फैसले का दिखने लगा असर
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आपको बताएं कि गृह मंत्रालय के आदेश के बाद कई राज्यों के राजभवनों ने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है. उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और तमिलनाडु के राज्यपालों ने नाम बदलने की शुरुआत कर भी दी है. राज्यपालों ने इस फैसले पर कहा कि नाम परिवर्तन प्रतीकात्मक तो है ही बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाला कदम है.
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