CEC के मुद्दे पर पत्रकार Sandeep Chaudhary ने दो नाम लेकर Sachin Pilot को ही फंसा दिया !
Chief Election Commissioner की नियुक्ति पर भड़के कांग्रेस नेता सचिन पायलट चले थे मोदी सरकार पर निशाना साधने लगे पत्रकार संदीप चौधरी ने ऐसा जवाब दिया जिसे सुनकर पायलट भी बौखला गये !
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चुनाव कराने जैसी बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर देश में राजनीति होना कोई नई बात नहीं है। जब कांग्रेस सत्ता में थी।तब भी मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर राजनीति होती थी। और अब मोदी सरकार है।तब भी मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं।कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस बात का ऐतराज है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाली कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को शामिल क्यों नहीं किया गया। अपने नेता की यही जुबान कांग्रेसी होने के नाते सचिन पायलट भी बोलने लगे।जिन्हें पत्रकार संदीप चौधरी ने ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि पायलट बौखला गये।
दरअसल कांग्रेस नेता सचिन पायलट एबीपी न्यूज के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। जहां मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि।चयन प्रक्रिया से चीफ जस्टिस को हटाकर मंत्री को क्यों जगह दी गई ? जिस पर पत्रकार संदीप चौधरी ने भी उन्हें कांग्रेस दौर की याद दिलाते हुए जवाब दिया कि।"एमएस गिल चीफ जस्टिस थे उसके बाद कांग्रेस उन्हें राज्य सभा भेज देती है, नवीन चावला बन जाते हैं मुख्य चुनाव आयुक्त और 1975 से 1977 के बीच इमरजेंसी में उनकी क्या भूमिका थी वो सब लोग जानते हैं, अगर नहीं जानते हैं तो वो थोड़ा गूगल सर्च करेंगे तो समझ जाएंगे, ऐसे लोगों को आप मुख्य चुनाव आयुक्त बनाते हैं"
सचिन पायलट ने सोचा था मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मुद्दा उठा कर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे। लेकिन उनका सामना वरिष्ठ पत्रकार संदीप चौधरी से था। जिन्होंने कांग्रेस का इतिहास खोद कर एमएस गिल और नवीन चावला जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त की कुंडली निकाल दी। और ऐसा जवाब दिया कि सचिन पायलट भी लड़खड़ाते हुए कहने लगे आप व्यक्ति की बात क्यों कर रहे हैं प्रक्रिया की बात करो ना, प्रक्रिया को बदला क्यों ? लेकिन एमएस गिल और नवीन चावला पर कोई जवाब नहीं दिया। जिस पर संदीप चौधरी ने भी जवाब दिया। वही तो, व्यक्तिवाद और परिवारवाद हावी हो गया।
कौन हैं एमएस गिल और नवीन चावला ?
आज मोदी सरकार सत्ता में है तो कांग्रेस भले ही कहती रही हो कि चुनाव आयोग जैसी संस्था को निष्पक्ष होना चाहिए और इस संस्था को चलाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी पारदर्शी होनी चाहिए। लेकिन एक वक्त था जब यही कांग्रेस सत्ता में थी और 1996 से 2001 तक एमएस गिल मुख्य चुनाव आयुक्त थे। जिनके रिटायर होते ही कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया। और मनमोहन सरकार में मंत्री भी बनाया। जबकि नवीन चावला को मनमोहन सरकार के दौरान साल 2005 में चुनाव आयुक्त बनाया गया और साल 2009 से 2010 तक वो देश के मुख्य चुनाव आयुक्त थे।जिनके बारे में कहा जाता है कि कांग्रेस इंदिरा के समय से ही उन पर खूब मेहरबान रही है। आपातकाल के दौरान वो IAS अफसर थे और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गर्वनर कृष्णा चांद के सचिव थे। उन पर भी ज्यादती करने के आरोप लगे थे। इतना ही नहीं साल 2009 में तो तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी ने मनमोहन सरकार से नवीन चावला को चुनाव आयुक्त के पद से हटाने की सिफारिश भी की थी। लेकिन इसके बावजूद मनमोहन सरकार ने उनकी सिफारिश पर कोई एक्शन नहीं लिया। बल्कि नवीन चावला का प्रमोशन करके उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया गया था। इसी बात से समझ सकते हैं कि कांग्रेस राज में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती थी। यही वजह है कि मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे सचिन पायलट को जब पत्रकार संदीप चौधरी ने एमएस गिल और नवीन चावला का नाम लिया तो वो बुरी तरह से बौखला गये। वैसे आपको क्या लगता है। कांग्रेस की मांग के मुताबिक क्या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की कमेटी में शामिल किया जाना चाहिए।
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