महिला हत्या पर अब सीधे उम्रकैद… मेलोनी के देश में पारित हुआ ऐतिहासिक कानून, अब दोषियों की खैर नहीं
Italy femicide law: इटली की संसद में चली लंबी बहस के बाद जॉर्जिया मेलोनी सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए एक अहम बिल पास किया है, जिसके अंतर्गत किसी भी महिला के जेंडर को देखते हुए हत्या की जाती है, तो दोषी को उम्रकैद की सजा होगी
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भारत हो या विश्व का कोई भी कोना, महिला उत्पीड़न आज भी हमारे समाज की काली सच्चाई है. घरेलू हिंसा, दहेज हत्या, कार्यस्थल पर यौन शोषण, बलात्कार और ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं आज भी हमारे समाज में होती हैं. “लड़की है सह लेगी”, “घर की इज़्ज़त है”, “चुप रहो” जैसे वाक्य आज भी पृत्तसत्तात्मक मानसिका को दर्शाते हैं. आज भी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की आधी आबादी को नज़रअंदाज़ किया जाता है. उन्हें हाशिए पर ढकेल दिया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ़ महिला सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए समय-समय पर क़ानून में संसोधन उनके ढाल की तरह रहा है. इसी कड़ी में इटली की संसद में एक ऐतिहासिक फैसला हुआ है. और इस फैसले में सर्वसम्मति से ये माना गया है कि महिलाओं की हत्या जो सिर्फ उनके महिला होने की वजह से की जाती है, उसे अपराध की श्रेणी में रखते हुए, उम्रक़ैद के रूप में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.
पारित हुए नए कानून की खास बात
इटली की संसद में पारित हुए इस क़ानून की ख़ास बता ये है कि यह बिल 25 नवंबर को मंजूर हुआ, जो दुनिया भर में महिलाओं पर हिंसा खत्म करने के लिए समर्पित है. हर साल 25 नवंबर के दिन महिला हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (Internation Day for the Elimination of Violence against Women) के रूप में मनाया जाता है. इटली में पिछले साल 116 महिलाएं मारी गईं, जिनमें से 106 मामलों में वजह उनका जेंडर था. अब पारित हुए नए कानून के मुताबिक ऐसे हर केस को अलग से दर्ज किया जाएगा और दोषियों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी.
लंबी बहस के बाद पारित हुआ क़ानून
इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी की सरकार और विपक्ष दोनों ने मिलकर इस क़ानून को पास किया है. क़रीब दो साल बाद, संसद में चली घंटों बहस के बाद यह क़ानून सदन से पास हुआ. अब इटली में किसी भी ऐसी हत्या को जो महिला के जेंडर के आधार पर की गई हो, उसे फेमिसाइड कहा जाएगा और दोषियों को उम्रक़ैद जैसी कड़ी सजा दी जाएगी.
इस क़ानून की आलोचना भी हो रही है
इटली की संसद में यह क़ानून पास तो हो गया लेकिन कुछ आलोचकों को इस क़ानून के प्रावधानों को लेकर ऐतराज है. उनका मानना है कि इस क़ानून का दायरा बहुत ही व्यापक है और न्यायालय में साबित करना मुश्किल होगा कि हत्या की वजह वास्तव में जेंडर ही थी या फिर कुछ और. कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि इटली को सिर्फ क़ानून ही नहीं, बल्कि जेंडर इक्वैलिटी पर भी निवेश करने की ज़रूरत है.
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