हरियाणा की सैनी सरकार पर मायावती का फुटा गुस्सा!
हरियाणा में बीजेपी ने तीसरी बार सरकार बना ली है, जिसमें नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला है। उनकी पहली कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जाति आरक्षण में उप वर्गीकरण लागू करने का निर्णय लिया गया, जिसे बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलितों के खिलाफ षड्यंत्र बताया। उन्होंने इस फैसले को आरक्षण को खत्म करने की दिशा में एक कदम करार दिया। इस निर्णय के पीछे सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश है, जो अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा देने की अनुमति देता है।
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हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाते हुए लगाते हुए बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सरकार बना ली है वही नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर प अपनी नई पारी की शुरुआत कर चुके है। सरकार गठन के बाद सैनी कैबिनेट की पहली बैठक में कई अहम फैसले भी लिए गए। इनमें से एक अनुसूचित जाति आरक्षण में उप वर्गीकरण लागू करने का निर्णय भी शामिल है लेकिन सैनी सरकार के इस फैसले का तुरंत राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है। विरोध करने वालो में सबसे पहले यूपी की पूर्व सीएम और बसपा सुप्रीमो मायावती है। उन्होंने इस फैसले को आरक्षण समाप्त करने वाला फैसला बताया।
हरियाणा कैबिनेट की अनुसूचित जाति आरक्षण में उप वर्गीकरण के निर्णय पर बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी ने निशाना साधा है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने और उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र है। यह दलित विरोधी ही नहीं, बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है। बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र। यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है।'' उन्होंने अपने दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा, ''हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षड्यंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित और बीएसपी इसकी घोर विरोधी है। वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड्यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है। इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा।''
गौरतलब है कि इसी साल अगस्त में सीजेआई डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण की अनुमति दी थी। जिससे अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके। बताते चले कि हरियाणा में तीसरी बार भाजपा सरकार बनने के बाद शुक्रवार को सीएम नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का निर्णय लागू किया।
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