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'कान खोलकर सुन लें...ट्रंप-मोदी के बीच नहीं हुई कोई बात', राज्यसभा में एस जयशंकर का विपक्ष को करारा जवाब

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में बुधवार को फिर विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों का जवाब दिया. जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है. विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच एक बार भी कोई बातचीत नहीं हुई.

राज्यसभा में जयशंकर ने बुधवार को कहा कि 22 अप्रैल से 16 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच एक बार भी कोई बातचीत नहीं हुई. यह बात विपक्ष को कान खोलकर सुन लेनी चाहिए. जयशंकर ने यह बयान तब दिया जब विपक्षी दलों ने आरोप लगाए कि भारत ने अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान के साथ नरमी बरती. उन्होंने कहा कि जो भी संवाद अमेरिका, सऊदी अरब और अन्य देशों से हुआ, वह पूरी तरह पारदर्शी, रिकॉर्डेड और सार्वजनिक है.

सेना का श्रेय किसी को देना उनका अपमान - जयशंकर

जयशंकर ने बताया कि "जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नूर खान एयरबेस समेत कई आतंकी ठिकानों पर सफल हमले किए. सेना का श्रेय किसी और को देना उसका अपमान है. भारतीय सेना ने अकेले दम पर आतंकियों का सफाया किया है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सिद्ध कर दिया है कि टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का ही मुखौटा संगठन है. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका दोनों ने इसे मान्यता दी और टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया."

विदेश मंत्री का कांग्रेस पर करारा हमला 

विदेश मंत्री ने कांग्रेस पर करारा हमला करते हुए कहा कि "विपक्ष आज जो सवाल पूछ रहा है, वही लोग मुंबई हमलों के समय चुप थे. 2006 में मुंबई ट्रेन बम विस्फोट के बाद, सिर्फ तीन महीने में भारत सरकार पाकिस्तान से समग्र संवाद की बात कर रही थी. 2008 में मुंबई हमले के बावजूद हमारी प्रतिक्रिया कमजोर रही. आज भारत ‘न्यू नॉर्मल’ पर काम कर रहा है, जिसमें निर्णायक नेतृत्व, पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई प्रमुख हैं. कुछ नेता आज चीन की क्लासरूम में जाकर ‘ट्यूशन’ ले रहे हैं और हमें ज्ञान दे रहे हैं."

सिंधु जल संधि पर सरकार की सख्त नीति 

एस जयशंकर ने सिंधु जल संधि पर भी सरकार की सख्त नीति स्पष्ट की. उन्होंने कहा कि यह समझौता मूल रूप से पंडित नेहरू द्वारा पाकिस्तान को तुष्ट करने के उद्देश्य से किया गया था, न कि शांति स्थापित करने के लिए. उन्होंने घोषणा की कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी. जयशंकर ने कहा, ‘खून और पानी अब एक साथ नहीं बह सकते. मोदी सरकार ने जो कहा, उसे करके दिखाया है’. उन्होंने यह भी बताया कि यह दुनिया का शायद एकमात्र समझौता था जिसमें एक देश ने बिना अधिकार अपनी प्रमुख नदियों को दूसरे देश में बहने दिया.

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