NDA में घुट रहा जयंत चौधरी का दम? मुजफ्फरनगर में किसानों से बातचीत में दिए बड़े संकेत, कहा- कुछ बंदिशें हैं, इससे ज्यादा...
केंद्र सरकार में कौशल विकास राज्यमंत्री और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के सावटू गांव पहुंचे. किसानों ने खाद और यूरिया की किल्लत की शिकायत रखी. इस पर जयंत चौधरी ने कहा कि उनकी कुछ बंदिशें हैं, लेकिन किसानों जैसा चाहेंगे वैसा ही निर्णय होगा. उन्होंने साफ कहा कि "मैं जो कुछ हूं, आपकी वजह से हूं. आप जो कहोगे, वैसा ही करूंगा."
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केंद्र सरकार में कौशल विकास राज्यमंत्री और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के एक बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई सरगर्मी पैदा कर दी है. शुक्रवार को जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर के भौराकला ब्लॉक के सावटू गांव पहुंचे थे. यहां आयोजित कार्यक्रम में किसानों ने खाद की किल्लत का मुद्दा उठाया. इस पर उनका जवाब कुछ ऐसा रहा, जिसने प्रदेश की सियासी फिज़ा को गर्मा दिया है.
दरअसल, जयंत चौधरी ने किसानों से कहा कि उनकी कुछ "बंदिशें" हैं. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इशारों-इशारों में बड़ा संकेत देते हुए कहा, "जैसा आप लोग चाहेंगे, वैसा ही निर्णय हो जाएगा." उनके इस बयान के बाद राजनीति के गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो गया है. क्या यह एनडीए से दूरी का इशारा है या पंचायत चुनाव से पहले किसानों को साधने की कोशिश, इस पर चर्चाएं जोरों पर हैं.
जयंत चौधरी की बातों में छिपा कैसा संदेश?
राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जब किसान जयंत चौधरी से मिले, तो उन्होंने सबसे पहले यूरिया और खाद की किल्लत का मुद्दा रखा. किसानों की बात सुनने के बाद जयंत चौधरी ने कहा, "मुजफ्फरनगर के खेत-खलियान पर मेरी नजर है. यहां किसानी करने वाले और मजदूरी करने वाले पर नजर है. यही लोकदल का एजेंडा है. यही लोकदल का मतदाता है. मैं जो कुछ हूं, आपकी वजह से हूं. सीधी दो टूक बात कह रहा हूं कि आप जैसा कहोगे, वैसा ही निर्णय लूंगा." उनका यह बयान किसानों के बीच तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत पाता दिखा. लेकिन साथ ही राजनीतिक पंडितों ने इसे भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति माना.
पंचायत चुनाव से पहले सियासी सुगबुगाहट
उत्तर प्रदेश में कुछ महीनों बाद पंचायत चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में जयंत चौधरी का यह बयान महज किसानों को आश्वस्त करने तक सीमित रहेगा या फिर इसका असर एनडीए गठबंधन की राजनीति पर भी पड़ेगा, यह बड़ा सवाल बन गया है. एनडीए के साथ बने रहने या उससे अलग होने की अटकलें पहले भी लगती रही हैं, लेकिन अब जब जयंत चौधरी खुद सार्वजनिक मंच से "बंदिशों" की बात कर रहे हैं, तो राजनीति में हलचल बढ़ना तय है. इस बयान का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. लोग इसे शेयर करते हुए अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कोई इसे किसानों की तरफदारी बता रहा है तो कोई इसे एनडीए से नाराजगी का संकेत मान रहा है.
मुजफ्फरनगर में जब किसानों ने यूरिया की किल्लत का मुद्दा उठाया तो रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा- इशारा कर दिया। मेरी कुछ बंदिशे है. इससे ज्यादा मै नहीं कह सकता। उनके इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गयी है। #jayantchaudhary #rld pic.twitter.com/ReFnWge1gN
— Pawan Kumar Sharma (@pawanks1997) August 30, 2025
सावटू गांव को मिला खेल स्टेडियम
इस कार्यक्रम में राजनीति के अलावा विकास की तस्वीर भी साफ दिखाई दी. जयंत चौधरी ने गांव सावटू में सांसद निधि से बने खेल स्टेडियम का उद्घाटन किया. उन्होंने ग्रामीण युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह मैदान सिर्फ खेलने का स्थान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सपनों को पंख देने का जरिया बनेगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीण युवा यहां आकर प्रैक्टिस करेंगे और विभिन्न खेलों का आनंद उठाने के साथ-साथ खेल की दुनिया में अपना भविष्य भी बना सकेंगे. जयंत चौधरी ने यह भी घोषणा की कि कौशल विकास के कार्यक्रमों को खेल से जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है. उनका कहना था कि आने वाले समय में इससे निश्चित तौर पर युवाओं को बड़ा फायदा मिलेगा.
किसानों और युवाओं के बीच लोकप्रियता का समीकरण
विशेषज्ञ मानते हैं कि जयंत चौधरी का यह दौरा सिर्फ औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीतिक रणनीति भी छिपी है. एक तरफ किसानों को खाद की समस्या पर भरोसा दिलाना और दूसरी ओर युवाओं को खेल और कौशल विकास के नए अवसरों का वादा करना, दोनों ही पहलू रालोद की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने वाले हैं. मुजफ्फरनगर, बागपत और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका पहले से ही रालोद का पारंपरिक गढ़ माना जाता है. ऐसे में जयंत चौधरी का यहां किसानों और युवाओं के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराना, आने वाले चुनावों से पहले एक बड़ा संदेश है.
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बताते चलें कि अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जयंत चौधरी का "बंदिशों" वाला बयान किस ओर इशारा करता है. क्या वह एनडीए गठबंधन के भीतर रहकर किसानों और युवाओं के मुद्दे उठाएंगे या फिर किसी नए राजनीतिक समीकरण की ओर बढ़ेंगे. फिलहाल तो इतना तय है कि उनके इस बयान ने किसानों की उम्मीदें जगा दी हैं और राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है. पंचायत चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव से पहले उनकी हर गतिविधि पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी.
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