भारत की 'डिप्लोमेटिक स्ट्राइक', 32 देश...7 डेलिगेशन, 5 सूत्रीय रणनीति के साथ पाकिस्तान का आतंकी चेहरा दुनियाभर करेंगे बेनकाब
ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई और पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थित सोच को दुनियाभर के देशों में उजागर करने जा रही भारतीय सांसदों की टीम ने 5 सूत्रीय रणनीति तैयार की है. जो वैश्विक मंच पर पाकिस्तान पर बड़ी डिप्लोमैटिक स्ट्राइक करने वाली है.

पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' की कार्रवाई के बाद अब भारत ने दुनियाभर में पाक को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करने के लिए आक्रामक कूटनीतिक पहल की शुरुआत की है. जिसके तहत सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अगले कुछ सप्ताह में दुनिया भर के 32 देश का दौरा करेगा. इन प्रतिनिधिमंडलों का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई है. जो पूर्वी एशिया, यूरोप, अमेरिका, खाड़ी देशों को पाकिस्तान के साथ हुई सैन्य कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देते हुए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर देंगे. भारत के इस कदम से पाकिस्तान पर एक प्रकार की डिप्लोमैटिक स्ट्राइक होगी.
दरअसल, भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा मुख्य रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि के लिए हो रहा है. भारत का उद्देश्य पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद को समाप्त करने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर एकजुटता बनाना है. इसके साथ ही भारत का कूटनीतिक प्रयास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देश है, जिनके साथ पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ भारत सख्त विचार को व्यक्त करना है. भारत की कोशिश है कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थित सोच उजागर हो और सभी देश आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का विरोध करें. हालांकि भारत के प्रतिनिधिमंडल दौरे के विदेशी दौरे की सूची में चीन का नाम नहीं है. क्योंकि अतीत में पाकिस्तान के साथ-साथ चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र में भारत की आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बाधित किया है.
चीन ने दिया था पाक का साथ
भारतीय सेना की पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान द्वारा भारत के कई शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की गई. पाकिस्तान सेना के इन प्रयासों को चीन का पूरा समर्थन मिला. चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता भी दी. इस लिहाज से भारत की यह कोशिश है कि आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के बड़े देश का ध्यान आकर्षित हो और इसके खिलाफ एक मुहिम छेड़ी जाए.
5 सूत्रीय रणनीति के साथ भारत की तैयारी
दुनिया भर में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए रवाना होने वाले प्रतिनिधिमंडल ने पांच सूत्रीय रणनीति तैयार की है. जो अन्य देशों के साथ बातचीत में मुख्य तौर पर रहेगी.
1- आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरें संबंधी प्रमाण पेश करना. भारत सभी देशों को यह बताएगा कि पाकिस्तान किस तरह से आतंकवाद को फंडिंग करता है.
2- पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई को वैध, संप्रभुता- सम्मानजक और आतंकवाद विरोधी मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना.
3- UNSC के साथ समन्वय न सिर्फ स्थाई सदस्यता की मांग बल्कि मौजूद सदस्यों को तत्काल और गंभीर कार्रवाई के लिए प्रेरित करना. ये एक बड़ा कूटनीतिक कदम होगा.
4- विदेश जा रहें प्रतिनिधिमंडल का मुख्य उद्देश्य होगा कि ग्लोबल साउथ में भारत के नेतृत्व को मजबूती मिले, भारत को एक जिम्मेदार सक्रिय और अग्रणी शक्ति के रूप में देखा जाए.
5- दुनियाभर के बड़े देशों को आतंकवाद के मुद्दे पर एक साथ लाना और आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति विकसित करना प्राथमिकता होगी.
किन क्षेत्रों में क्या होगी भारत की प्राथमिकता?
माना जा रहा है कि खड़ी देश जैसे कतर, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और बहरीन में भारत का फोकस सुरक्षा संबंधों को गहरा करना, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़े वित्तपोषण चैनलों को खत्म करना और कट्टरपंथ का मुकाबला करना. उपरोक्त देश वर्तमान में यूएनएससी में भले ही नहीं हो सकते हैं लेकिन आईसी और इस्लामी दुनिया के व्याख्यानों में उनकी भूमिका महत्व रखती है. इसके साथ ही इन देशों को लेकर पाकिस्तान खाड़ी क्षेत्र में अपने समर्थन का दावा करता है, जिसे भारत कमजोर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है.
इसके अलावा यूरोप के फ्रांस, रूस, यूके, जर्मनी,इटली, स्लोवेनिया, डेनमार्क, ग्रीस, स्पेन और लातविया महत्वपूर्ण है. इनमें से पांच देश यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्य में शामिल है जबकि स्लोवेनिया और डेनमार्क साल 2025 में यूएनएससी में अस्थायी सदस्य के रूप में काम कर रहे है. इन देशों के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का विरोध करवाना भारत के लिए सबसे बड़ा कदम होगा. वही अमेरिका और लैटिन अमेरिका में भारत की पल में अमेरिका, ब्राजील, गुयाना,पनामा, कोलंबिया जैसे देश शामिल है. इनमें से अमेरिका यूएनएससी का स्थाई सदस्य है और गुयाना अस्थायी सदस्य है. यह देश खुद आतंकवाद विरोधी मुद्दों पर पहले से विचार कर रहे हैं. इसी तरह बात अगर एशियाई क्षेत्र की करें तो भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और जापान से लगातार संवाद कर रहा है. इन देशों के साथ भारत की बातचीत इंडो पैसिफिक रणनीति के तहत आतंकवाद विरोधी कदमों को सक्रिय करने पर केंद्रित रहने वाली है.
बताते चलें कि विदेशी दौरे पर जाने वाले डेलिगेशन को 7 टीमों में बांटा गया है. इनमें 51 नेता और 8 राजदूत हैं. इसमें एनडीए के 31 और 20 दूसरे दलों के हैं, जिनमें से तीन कांग्रेस के नेता भी है.