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'वो सुबह हाथ मिलाएंगे, रात को पीठ में घोंप देंगे छुरा...', अमेरिकी अर्थशास्त्री ने ट्रंप के ट्रैप से PM मोदी को किया आगाह, चीन-PAK प्रेम की वजह भी बता दी

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के सलाहकार रहे टॉप इकोनॉमिस्‍ट स्टीव हैंके ने भारत, खासकर पीएम मोदी को डोनाल्ड ट्रंप से खबरदार किया है. उन्होंने साफ तौर पर ट्रंप की मंशा के प्रति आगाह करते हुए कहा कि उनकी नीतियों की तरह उनकी सोच भी अस्थिर है. वो सुबह मोदी से हाथ मिलाएंगे और रात को पीठ में छुरा घोंप देंगे. हैंके ने ट्रंप के चीन-PAK के प्रति बदले रूख की वजह भी बता दी है.

Created By: केशव झा
23 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
09:26 PM )
'वो सुबह हाथ मिलाएंगे, रात को पीठ में घोंप देंगे छुरा...', अमेरिकी अर्थशास्त्री ने ट्रंप के ट्रैप से PM मोदी को किया आगाह, चीन-PAK प्रेम की वजह भी बता दी
Image: PM Modi Meeting Donald Trump / Steve Hanke (File Photo)

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के बाद कहा गया कि उनके दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे लेकिन हो इसके उलट रहा है. करीब 25 साल की दोस्ती, रणनीतिक साझेदारी को ट्रंप न सिर्फ पलीता लगा रहे हैं बल्कि अब तक जो कुछ कड़ी मेहनत के बाद हासिल किया गया उस पर पानी फेर रहे हैं. ट्रंप के फैसलों और दादागिरी पर अब अमेरिका से ही सवाल उठने लगे हैं. पहले पूर्व अमेरिकी NSA जॉन बोल्टन, दिग्गज विश्लेषक फरीद जकारिया, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जैफरी सैक्स और अब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के सलाहकार रहे टॉप इकोनॉमिस्‍ट स्टीव हैंके ने ट्रंप पर भीषण आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप ऐसे व्यक्ति हैं जो सुबह हाथ मिलाएंगे और शाम को मोदी की पीठ में छुरा घोंप देंगे.

'टैरिफ वार- ये तो बस शुरुआत है'

डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ के मुद्दे पर दुनिया भर के देशों, खासकर भारत से संबंध खराब करने को लेकर हुए सवाल पर हैंक ने उनकी जमकर आलोचना की है. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) तो सिर्फ एक शुरुआत है, लेकिन इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक नतीजे आने वाले समय में और भी खतरनाक हो सकते हैं. हैंके का मानना है कि ट्रंप की नीतियाँ अस्थिर हैं, और वो अचानक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं, जिससे भारत जैसे देशों को नुकसान हो सकता है.

'सुबह में हाथ मिलाएंगे, शाम को मोदी की पीठ में छुरा घोंप देंगे'

हैंके ने ट्रंप के भारत को लेकर दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ट्रंप ऐसे नेता हैं जो एक ही दिन में दोस्ती और दुश्मनी दोनों निभा सकते हैं. उनके शब्दों में, “ट्रंप सुबह मोदी से हाथ मिला सकते हैं और रात को उनकी पीठ में छुरा घोंप सकते हैं.” इसका सीधा मतलब है कि ट्रंप पर आंख मूंदकर भरोसा करना समझदारी नहीं होगी. भारत को यह समझना चाहिए कि अमेरिका की दोस्ती स्थायी नहीं है, खासकर जब नेतृत्व ट्रंप जैसे नेता के हाथ में हो.

'सिर्फ अमेरिका पर निर्भर न रहे भारत'

इसके साथ ही स्टीव हैंके ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन का बढ़ता प्रभाव भारत और बाकी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है. चीन खनन, धातु विज्ञान और भौतिक विज्ञान जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रभुत्व बनाए हुए है, जो भविष्य की तकनीकी और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में उसे एक मजबूत स्थिति में रखते हैं. इस स्थिति में भारत को चाहिए कि वह केवल अमेरिका पर निर्भर न रहे, बल्कि अपनी स्वतंत्र और दीर्घकालिक विदेश नीति विकसित करे, ताकि वह किसी एक देश की अस्थिरता या स्वार्थपरक नीतियों से प्रभावित न हो.

'ट्रंप की दोस्ती की गारंटी नहीं'
अंततः हैंके का संदेश यह है कि भारत को अमेरिका की तात्कालिक गर्मजोशी पर भरोसा करने की बजाय, अपनी रणनीतिक सोच को व्यापक और दीर्घकालिक बनाना चाहिए. अमेरिका और ट्रंप की दोस्ती फायदेमंद हो सकती है, लेकिन वह कब बदल जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं. भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए सजग और संतुलित विदेश नीति अपनानी होगी.

चीन के दबदबे के कारण झुकने को मजबूर हुए ट्रंप

हैंके ने कहा कि चीन के इस दबदबे ने ट्रंप को फिर से गठबंधन करने को मजबूर किया. उन्‍होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप के भारत से दूर होकर, पाकिस्‍तान की ओर रुख करने का कारण यह है कि पाकिस्‍तान को भी तस्‍वीर में लाना है. लेकिन अचानक ऐसा क्‍यों, क्‍या वह एक स्थिर अर्थव्‍यवस्‍था है? हैंके के मुताबिक, इसका कारण भू-राजनीति है, इकोनॉमी नहीं. हैंके ने कहा कि पाकिस्‍तान के फील्ड मार्शल पिछले महीने दो बार अमेरिका गए हैं. वे ईरान पर एक और हमले या संभावित हमले की तैयारी कर रहे हैं. मंदी की कगार पर अमेरिका हैंके ने टैरिफ को लेकर कहा कि यह अमेरिका कंज्‍यूमर्स के लिए एक छिपा हुआ टैक्‍स है. यह टैक्‍स कहीं और से नहीं आता, बल्कि अमेरिका से ही आता है, क्‍योंकि भारतीय प्रोडक्‍ट्स खरीदते वैत अमेरिका के लोग ही इसका ज्‍यादा वहन करेंगे. उन्‍होंने कहा कि टैरिफ से बढ़ती कीमतों के परिणाम बहुत आगे तक जा सकते हैं. हैंके ने कहा कि पिछले ढाई सालों में अमेरिकी मुद्रा काफी कमजोर हुई है. 

ये है ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम की वजह!

इसलिए हैंके का मानना ​​है कि अर्थव्यवस्था डगमगा रही है. उन्‍होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका मंदी की कगार पर है. स्टीव हैंके ने अपने हालिया इंटरव्यू में ट्रंप की विदेश नीति और आर्थिक रणनीतियों पर तीखा हमला बोला है. उनका कहना है कि चीन के बढ़ते दबदबे ने ट्रंप को मजबूर किया है कि वह नए सिरे से अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाएँ. इसीलिए अब ट्रंप की नजरें भारत से हटाकर पाकिस्तान की ओर जा रही हैं. लेकिन सवाल यह है कि अचानक पाकिस्तान की अहमियत क्यों बढ़ी, जबकि वह एक अस्थिर अर्थव्यवस्था वाला देश है? हैंके का मानना है कि इसका कारण आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक (जियोपॉलिटिकल) है. अमेरिका पाकिस्तान को इसलिए तवज्जो दे रहा है क्योंकि वह ईरान पर संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारियाँ कर रहा है, और ऐसे में पाकिस्तान जैसे देश को रणनीतिक साझेदार के रूप में शामिल करना ज़रूरी समझा जा रहा है. इसी संदर्भ में हैंके ने बताया कि पाकिस्तान के फील्ड मार्शल हाल ही में दो बार अमेरिका गए हैं – जो इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिका कुछ बड़ा सोच रहा है.

'ट्रंप का टैरिफ, छिपा हुआ टैक्स है, जिसकी मार अमेरिकी जनता झेलेगी'

वहीं दूसरी ओर, ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर हैंके ने चेतावनी दी कि यह एक तरह का “छिपा हुआ टैक्स” है जो अमेरिकी जनता पर ही बोझ बनकर पड़ेगा. जब भारत से आयातित उत्पादों पर टैक्स बढ़ेगा, तो उसका सीधा असर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, क्योंकि वही अधिक दाम चुका रहे होंगे. हैंके ने स्पष्ट किया कि यह टैक्स कहीं और से नहीं बल्कि अमेरिकी जनता की जेब से ही आएगा, और इसका असर घरेलू बाजार की महंगाई और क्रय शक्ति पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी, और इसके दूरगामी परिणाम होंगे.

'गर्त में जा रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था'

हैंके ने अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पिछले ढाई सालों में अमेरिकी डॉलर काफी कमजोर हुआ है, जो अर्थव्यवस्था की अस्थिरता का संकेत है. उनके अनुसार अमेरिका अब एक गंभीर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका को विनाश की दिशा में ले जा रही हैं.

अमेरिकी डिप्‍लोमैट ने लगाए थे गंभीर आरोप!

गौरतलब है कि व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर और ट्रंप के करीबी पीटर नवारो ने बीते दिन भारत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत हमें सामान बेचकर पैसा कमाता है और फिर उस पैसे से वह रूसी तेल खरीदता है, जिसे फिर रिफाइनरी में प्रोसेस किया जाता है और वे वहां से खूब पैसा बनाते हैं. इसके अलावा, नवारो ने भारत को रूस का 'धुलाई मशीन' और टैरिफ का 'महाराजा' भी बताया था. नेवारो यहीं नहीं रूके, उन्होंने एक तरह से यूक्रेन में शांति स्थापित करने के कथित अमेरिकी कोशिशों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यूक्रेन में शांति का रास्ता दिल्ली होकर जाता है. हालांकि नेवारो के इन आरोपों का नई दिल्ली ने पहले ही कई बार जवाब दे दिया है कि व न सिर्फ अमेरिका के कहने पर ही रूस से तेल खरीद रहा है बल्कि यूरोप और चीन भारत से कहीं ज्यादा मॉस्को से तेल खरीद रहा है बल्कि ट्रंप अब तक बीजिंग पर टैरिफ लगाने की हिम्मत तक नहीं जुटा रहे हैं, बल्कि 3-3 महीने का रियात दे रहे हैं. 

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और जाने-माने पत्रकार फरीद जकारिया ने डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले को “रणनीतिक रूप से आत्मघाती कदम” बताया है. उन्होंने कहा है कि ट्रंप की ये नीति न केवल पिछले ढाई दशक में बने भारत-अमेरिका रिश्तों को कमजोर करेगी, बल्कि एशिया में चीन और रूस के प्रभाव को भी बढ़ाएगी. भारत ने भी इस कदम पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए साफ कहा है कि यह “असंतुलित, अनुचित और मित्र देशों के साथ भेदभावपूर्ण” है.

ट्रंप ने हिला दी भारत-अमेरिका के बीच भरोसे की नींव: जकारिया

फरीद जकारिया ने आगे कहा कि पिछले 50 साल के भारत और अमेरिकी संबंधों में प्रगाढ़ता का लेखा जोखा देते हुए कहा कि “क्लिंटन प्रशासन से शुरू हुआ भारत के साथ अमेरिकी जुड़ाव, जॉर्ज बुश, बराक ओबामा और यहां तक कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी आगे बढ़ा. यह एक स्थिर और दूरगामी रणनीति थी, जिसमें व्यापार, रक्षा और भू-राजनीति के मोर्चे पर लगातार प्रगति हुई और इसे हर सरकरा-हर प्रशासन और हर पार्टी ने बढ़ाया, लेकिन ट्रंप के मौजूदा रुख ने इस भरोसे की नींव को हिला दिया है.”

जब अमेरिका ने PAK को धन और हथियार दिए, तब रूस उसके साथ था: जकारिया

फरीद जकारिया ने भारत के साथ संबंधों को लेकर कहा ये इतना आसान नहीं है. यह पश्चिम के उपनिवेश और प्रभुत्व में रहा, और दो शताब्दियों तक ब्रिटेन ने इस पर शासन किया. उन्होंने नई दिल्ली के मॉस्को की तरफ झुकाव की वजह बताते हुए कहा कि भारत की आज़ादी के बाद, सोवियत संघ ने इसका खुलकर समर्थन किया, जबकि अमेरिका ने उसके विरोधी पड़ोसी पाकिस्तान को धन और हथियार दिए. एक विशाल, विविध और अव्यवस्थित लोकतंत्र होने के नाते, भारत के हमेशा से ही कुछ घरेलू हित रहे हैं जिन्हें उसके नेता नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. इन सबके बावजूद, वाशिंगटन नई दिल्ली को और करीब लाने में कामयाब रहा, जिससे दोनों देशों के हित और कार्य अधिक सुसंगत हो गए. 

अमेरिका पर किसी कीमत पर भरोसा न करे भारत: जैफरी सैक्स

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वहीं जकारिया के अलावा दिग्गज अमेरिकी इकोनॉमिस्ट जैफरी सैक्स ने मौजूदा टैरिफ विवाद पर चेतावनी देते हुए हाल में ही कहा था कि अमेरिका पर भरोसा करना भारत के लिए एक भ्रम है. प्रोफेसर ने अमेरिका और ट्रंप के बयानों और नीतियों यानी कि कथनी और करनी में विरोधाभास पर भी खुलकर बात की थी और कहा कि Don't Trust America (अमेरिका पर भरोसा न करे भारत). जब प्रोफेसर सैक्स से सवाल किया गया कि एक तरफ़ वे पुतिन के साथ मेलजोल की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर वो भारत को रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के लिए आंख दिखाते हैं-धमकाते हैं, तो इस पर प्रोफेसर ने कहा कि ट्रंप के लिए भारत के व्यापारिक या भू-राजनीतिक हित कोई प्राथमिकता नहीं है.

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