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संघ परिवार से कैसे प्रभावित हुए थे गांधी और आंबेडकर… पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शताब्दी वर्ष समारोह में दी खास जानकारी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी पर महाराष्ट्र के नागपुर में भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रहे. अपने संबोधन में उन्होंने संघ के समरस और समानता पर आधारित दृष्टिकोण का ज़िक्र किया और बताया कि महात्मा गांधी और बाबा आंबेडकर भी संघ की कार्यशैली से प्रभावित थे.

02 Oct, 2025
( Updated: 02 Oct, 2025
08:26 PM )
संघ परिवार से कैसे प्रभावित हुए थे गांधी और आंबेडकर… पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शताब्दी वर्ष समारोह में दी खास जानकारी
Mohan Bhagwat/ Ramnath Kovind / X @RSSorg

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी पूर्ण होने के अवसर पर आज महाराष्ट्र के नागपुर में भव्य समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मौजूद रहे. अपने संबोधन में उन्होंने संघ परिवार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं और बताया कि किन विशेष बातों ने महात्मा गांधी से लेकर बाबा आंबेडकर तक को संघ की कार्यशैली और दृष्टिकोण की सराहना करने पर मजबूर किया था. 

महात्मा गांधी ने संघ की रैली को किया था संबोधित 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में व्याप्त समरसता और समानता की विशेषताओं को बताया. उन्होंने कहा कि संघ में जाति भेदभाव से मुक्त व्यवहार और अनुशासन को देखकर महात्मा गांधी भी अत्यधिक प्रभावित हुए थे. उन्होंने कहा यह विवरण सम्पूर्ण गांधी साहित्य में भी दर्ज है. गांधीजी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित संघ की रैली को संबोधित करते हुए याद किया कि वे वर्षों पहले संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवनकाल में संघ के एक शिविर में गए थे. गांधीजी संघ के शिविर में अनुशासन, सादगी और छुआछूत की समाप्ति को देखकर बहुत प्रभावित हुए थे. उन्होंने इस अनुभव को संघ के सकारात्मक पहलुओं का उदाहरण बताते हुए साझा किया, जो समाज में समानता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाला था.

संघ का सम्मान करते थे बाबासाहब आंबेडकर

जनवरी 1940 में बाबासाहब डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने महाराष्ट्र के सातारा जिले के कराड़ नगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखा का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने संघ के सदस्यों से मुलाकात की, अपनेपन की भावना व्यक्त की और आवश्यकता पड़ने पर सहयोग का प्रस्ताव भी दिया. यह घटना संघ के समरसता और समानता पर आधारित दर्शन का ऐतिहासिक प्रमाण मानी जाती है. उस समय मराठी भाषा में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ‘केसरी’ को राष्ट्रीय समाचार पत्र का दर्जा प्राप्त था. 9 जनवरी 1940 को प्रकाशित इस पत्र में बाबासाहब के एक महत्वपूर्ण वक्तव्य का उल्लेख किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि 'कुछ बातों में मतभेद होने के बावजूद मैं इस संघ की ओर अपनेपन से देखता हूँ.' बाबासाहब के साप्ताहिक पत्र ‘जनता’ में भी यह समाचार प्रकाशित हुआ था.  इसमें बताया गया कि कराड़ म्युनिसिपलिटी के एक समारोह में भाग लेने के बाद बाबासाहब ने संघ के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें आवश्यकता पड़ने पर सहायता का आश्वासन दिया.

संघ परिवार होगा और विस्तार: रामनाथ कोविंद

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शताब्दी समारोह में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली व्यक्ति-निष्ठ नहीं, बल्कि संगठन-निष्ठ और तत्त्व-निष्ठ है, और यही इसकी प्रमुख ताकत है. कोविंद ने कहा कि पिछले सौ वर्षों में संघ ने समरस और संगठित समाज तथा सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं. संघ ने संत परंपरा, सज्जन-शक्ति और मातृ-शक्ति के योगदान से समाज और राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया है.

रामनाथ कोविंद ने संघ प्रमुख को दी महत्वपूर्ण सलाह 

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पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि संघ को नई तकनीक और आधुनिक पद्धतियों को अपनाकर अपने कार्यों को और गति से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में संघ का और अधिक विस्तार होगा और जमीनी स्तर पर सामाजिक समरसता और न्याय के लिए संघ के स्वयंसेवक और अधिक सक्रियता से कार्य करेंगे. कोविंद ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत को समरस और एकात्म भारत के निर्माण में संघ का योगदान असीम रहेगा.

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