SIMI, PFI, IM से लेकर… ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ मॉड्यूल तक, ऐसे तैयार किया गया जिहादी नेटवर्क
Delhi Blast: पिछले कई दशकों से भारत को कमजोर करने के लिए आतंकियों ने कई मॉड्यूल पर काम किया. SIMI, IM, PFI जैसे संगठनों से लेकर ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ मॉड्यूल तक घरेलु जिहादी नेटवर्क तैयार किया गया.
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भारत को दहलाने के लिए, उसकी एकता और अखंडता को खत्म करने के लिए दुश्मन देशों ने कई नापाक चालें चली हैं. कभी विश्व मंच पर भारत को बदनाम करने के लिए मनगढ़ंत प्रोपेगेंडा चलाया गया, भारत विरोधी हथकंडा अपनाया गया, तो कभी डराने और धमकाने के लिए बंदर गुड़की लगाई गई, लेकिन भारत कभी भी इन सब से न डरा और न ही पीछे हटा, बल्कि ऐसी ताकतों को धूल भी चटाई. इसके अलावा भारत को अंदर से कमजोर करने के लिए आतंकवाद का भी सहारा लिया गया. अगर आप पिछले कुछ दशकों के पन्नों को पलटेंगे तो कभी SIMI, कभी इंडियन मुजाहिद्दीन (IM), तो कभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की शक्ल में देश विरोधी ताकतों ने भारत में अपनी जड़े जमाने की कोशिश की हैं, लेकिन हर बार नाकाम रहे. वहीं, बार-बार नाकामी के बाद आतंकियों ने अब एक नये मॉड्यूल ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ पर काम करना शुरू कर दिया.
क्या है ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ मॉड्यूल?
आतंकियों ने जब देखा कि उनकी सारी पुरानी तकनीक और हथकंडे फेल हो रहे है, तो उन्होंने आतंक के एक नए मॉड्यूल ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ का जाल बिछाना शुरू किया. इसके अंतर्गत उन्होंने ऐसे लोगों को टार्गेट करना और उनका ब्रेन वॉश करना शुरू किया जिनके पास ‘व्हाइट कॉलर जॉब’ थी. ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकी किसी को भी उनपर शक न हो, और वे अपने नापाक मंसूबों को आसानी से अंजाम तक पहुंचा सके. हालांकि, ये कोई पहली बार नहीं है जब आतंकियों ने देश को दहलाने की कोशिश की और नाकाम हुए. इससे पहले भी पिछले कई दशकों में कभी SIMI, कभी MI तो कभी PFI की शक्ल में देश तोड़ने और नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाती रही है.
क्या था स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI)?
SIMI की स्थापना 2 अप्रैल 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी. शुरूआत में इसका उद्देश्य मुस्लिम छात्रों और युवाओं को इस्लामी शिक्षा देना, सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करना और ‘इस्लामी जीवन शैली’ को बढ़ावा देना था. यह संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद का स्टूडेंट विंग था. लेकिन 90 के दशक में बाबरी विध्वंस के बाद से यह संगठन कट्टरता की तरफ बढ़ने लगा. मुस्लिम युवाओं को जिहाद के लिए भड़काने लगा. कई बड़े आतंकी हमलों जैसे 2006 में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, 2008 में दिल्ली-अहमदाबाद ब्लास्ट, में SIMI से जुड़े सदस्यों के नाम सामने आए. वहीं, इस दौरान सीमी पर कई बार बैन भी लगा. पहली बार 27 सितंबर 2001 को गुजरात दंगों के बाद दो साल के लिए बैन किया गया. और उसके बाद निरंतर बैन की तिथी आगे बढ़ाई जाती रही. वर्तमान में SIMI पूरी तरह से प्रतिबंधित है. जांच में ये भी पाया गया कि इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) असल में SIMI का ही सशस्त्र था.
क्या था इंडियन मुजाहिद्दीन संगठन सच?
इंडियन मुजाहिद्दीन एक आतंकी संगठन था, जिसमें वो लोग शामिल थे जो SIMI में रहते हुए इस्लामिक कट्टरता को अपना चुके थे. इसलिए IM को SIMI का ही उपशाखा कहा जाता है. इंडियन मुजाहिद्दीन ने कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, पुणे, हैदराबाद जैसे कई शहरों में हुए बम धमाकों में अनगिनत लोगों की मौत हुई. वहीं, 4 जून 2010 को भारत सरकार ने इसे UAPA के तहत आतंकवादी संगठन घोषित करके बैन कर दिया. इन दोनों संगठन के अलावा एक और संगठन PFI था, जो घरेलु जिहादी नेटवर्क को बढ़ावा दे रहा था और मुस्लिम युवाओं को कट्टरता की तरफ खींच रहा था.
क्या था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)?
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साल 2022 में PFI के कुल 106 ठिकानों पर NIA और दूसरी केंद्रीय एजेंसियों ने छापा मारा और 109 सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया. इसके अलावा PFI से जुड़े कुल 9 संगठनों को भी बैन किया गया. पीएफआई को बैन करने का मुख्य कारण इनके सदस्यों का आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होना था. इनके ठिकानों से कई ऐसे दस्तावेज मिले थे जो देश के अंदर घरेलु जिहादी नेटवर्क को बढ़ावा दे रहे थे. ये वो तमाम संगठन हैं जिन्होंने देश को अंदर से कमजोर करने की कोशिश की, देश की एकता अखंडता को तोड़ना चाहा, लेकिन इन्हें कभी भी कामयाबी नहीं मिली.
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