खांसी की दवा बन गई जानलेवा! MP-राजस्थान में सात बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग ने सिरप पर रोक लगाई
मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं. दोनों राज्यों में कुल सात बच्चों की मौत हुई है, जिनमें छह मध्य प्रदेश और एक राजस्थान में है. शुरुआती जांच में खांसी की दवा को मौत का कारण माना जा रहा है, हालांकि पुष्टि रिपोर्ट आने के बाद ही होगी. एमपी के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त-सितंबर में बच्चों में सर्दी और खांसी के मामले बढ़े. इलाज के दौरान दवा लेने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ी और एक बच्चे की मौत हो गई.
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मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में बच्चों की मौत के मामलों ने सभी को झकझोर दिया है. दोनों राज्यों में सात बच्चों की मौत की सूचना सामने आई है, जिनमें सबसे ज्यादा मौतें मध्यप्रदेश में दर्ज की गई हैं. यहां छह बच्चों की मौत हुई, जबकि एक की हालत गंभीर बनी हुई है. राजस्थान में एक बच्चे की मौत हुई है और कई बच्चे अस्पताल में इलाजरत हैं. शुरुआती जांच में इन मौतों का कारण खांसी की दवा माना जा रहा है, हालांकि इसकी पुष्टि अभी रिपोर्ट आने के बाद ही संभव है.
मध्य प्रदेश में क्या हैं हालात
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया समेत अन्य इलाकों में बच्चों में अचानक सर्दी और खांसी के मामले बढ़ने लगे थे. छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि अगस्त और सितंबर महीने में ऐसे मामलों में इजाफा हुआ था. बच्चों को खांसी और बुखार रोकने के लिए दवा दी गई थी, लेकिन अगस्त के आखिरी हफ्ते में कुछ बच्चों की तबीयत गंभीर हो गई. सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे के अनुसार, 24-25 अगस्त के दौरान बच्चों के मामले तेजी से बढ़े. सितंबर के पहले हफ्ते में कई बच्चों की तबीयत और बिगड़ गई, जिससे एक बच्चे की मौत हो गई.
नागपुर में बच्चों को कराया गया भर्ती
प्रशासन ने बच्चों के बुखार और पेशाब में परेशानी की वजह से अलग-अलग इलाकों से पानी के सैंपल लिए और जांच के लिए पुणे भेजे. लेकिन प्रारंभिक जांच में किसी बैक्टीरिया या वायरस की पुष्टि नहीं हुई. बच्चों को नागपुर में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां चार बच्चों की मौत हो गई. इस पर उनकी किडनी की बॉयोप्सी करवाई गई, जिसमें पता चला कि सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल खराब था. इसके बाद प्रशासन ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने की सलाह दी. सीएमएचओ ने बताया कि परासिया में अलग वार्ड बनाया गया है और अब तक छह बच्चों की मौत किडनी फेल होने की वजह से हुई है. केंद्र और राज्य स्वास्थ्य विभागों की टीमें जांच कर रही हैं. अभी तक लगभग 3,000 ब्लड सैंपल लिए जा चुके हैं और रिपोर्ट का इंतजार है.
राजस्थान की क्या स्थिति
राजस्थान में भी बच्चों को दी जा रही खांसी की दवा से साइड इफेक्ट के मामले सामने आए हैं. बांसवाड़ा, भरतपुर और सीकर के बाद राजधानी जयपुर में भी बच्चों की तबीयत खराब होने लगी. बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया था, जो सरकारी अस्पतालों में वितरित की गई थी. सीकर जिले में 5 साल के नितियांस की मौत इस दवा के सेवन के बाद हुई. परिजन उसे नजदीकी चिराना सीएचसी लेकर गए थे, जहां उसे दवा दी गई. रात में ही बच्चे की तबीयत बिगड़ी और अगले दिन उसे मृत घोषित कर दिया गया. ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि भरतपुर और सीकर के अस्पतालों में बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद दवा के सैंपल लिए गए हैं. जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. जयपुर की लोकल फार्मा कंपनी कायसन्स फार्मा ने यह सिरप सप्लाई किया था. इसके दो बैच की जांच की जा रही है और सभी अस्पतालों में इसकी सप्लाई रोक दी गई है.
मामलों की हो रही जांच
अभी तक हुई जांच में स्पष्ट हुआ कि बच्चों की मौत सीधे खांसी की दवा से जुड़ी हो सकती है. प्रशासन ने सभी अस्पतालों में इस दवा की सप्लाई रोक दी है और इसे सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने की चेतावनी दी है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार बच्चों की स्थिति की निगरानी कर रही हैं. जानकारों का कहना है कि बच्चों को किसी भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है. गलत या मिलावटी दवा बच्चों की जीवन रक्षा के लिए खतरा बन सकती है. आम जनता से अपील की जा रही है कि किसी भी खांसी या सर्दी की दवा को बिना जांच और डॉक्टर की सलाह के न दें.
बताते चलें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के हालात यह बताते हैं कि स्वास्थ्य सुरक्षा और दवा की गुणवत्ता दोनों ही बेहद महत्वपूर्ण हैं. छोटे बच्चों की जान जोखिम में डालने वाले ऐसे मामले बेहद चिंताजनक हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद ही पुख्ता कार्रवाई संभव बताई जा रही है.
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