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BJP को हल्के में ले रही थी कांग्रेस, जानिए कैसे हरियाणा में पार्टी हार की आशंकाओं के बीच बन गई बाज़ीगर

एग्जिट पोल और मतगणना के दौरान शुरुआती रुझानों में कांग्रेस तेजी से आगे बढ़ रही थी लेकिन मतगणना का चक्र बढ़ाते बढ़ाते भाजपा राज्य में बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर चुकी हैं ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि भाजपा ने हरी हुई बाजी को अपने पक्ष में कैसे किया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे अब लगभग लगभग साफ हो चुके हैं। राज्य में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी जीत की हैट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रही है। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला था। एग्जिट पोल और मतगणना के दौरान शुरुआती रुझानों में कांग्रेस तेजी से आगे बढ़ रही थी लेकिन मतगणना का चक्र बढ़ाते बढ़ाते भाजपा राज्य में बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर चुकी हैं ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि भाजपा ने हरी हुई बाजी को अपने पक्ष में कैसे किया। 

बात हरियाणा की राजनीति की होती है तो यहाँ चर्चा  36 जातियों की बात हमेशा से होती आई है। 36 जातियां ही मिलकर हरियाणा में सरकार की संरचना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही वजह है कि विधानसभा के चुनाव में सभी राजनीतिक दल जातिगत समीकरण को सजाते हुए अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतरते हैं। अगर इस चुनाव की बात करें तो कांग्रेस मुख्य रूप से जाटों पर निर्भर दिखी। जो आबादी का करीब 22 फ़ीसदी हिस्सा है। कांग्रेस ने मौके को भुनाते हुए किसानों के आंदोलन के बाद जाटों की भाजपा से नाराज़गी का फ़ायदा उठाने की कोशिश की तो वहीं दूसरी तरफ़ करीब 21 फ़ीसदी दलित और अल्पसंख्यक वोटो पर भी कांग्रेस की निगाह रही। 


बीजेपी में हरियाणा में किसे साधा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जहां जाट और दलित के भरोसे चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशियों को उतरी तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा गैस जाट यानी कि सवर्ण बिरादरी और ओबीसी को एकजुट करने में लगी रही। अगर हरियाणा में ओबीसी बिरादरी की बात करें तो इनकी आबादी करीब 35 फ़ीसदी है। इसके साथ ही भाजपा ने अपने परंपरागत वोट बैंक यानी कि सवर्ण बिरादरी को भी साधे रखा। इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी ने विशेष अभियान चलाकर अनुसूचित जाति तक पहुंचाने के भी भरसक कोशिश की।  इसका भी खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा और बीजेपी जीत की हैट्रिक की दहलीज पर पहुंच चुकी है। वही राज्यों में अन्य दलों की बात करें तो इनेलो बसपा  गठबंधन और जेजेपी - असपा गठबंधन भी मुकाबले में थे। लेकिन ये दोनो दल इस चुनाव में कोई भी प्रभाव डालने में पूरी तरह विफल रहें। लेकिन इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात तो यह रही की ये दोनो दल दलित और जाटों के भरोसे थे। ऐसे में करीबी मुकाबले वाली सीटों पर ये गठबंधन भाजपा के बजाज कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है। 


बहुमत के करीब बीजेपी

वही हरियाणा में मतगणना के दौरान निकालकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक भारतीय जनता पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े को पार करते हुए 49 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं इनमें से 40 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक बढ़ाते यानी कि लगभग लगभग बीजेपी के प्रत्याशी इस सीट पर जीत चुके हैं जिनका औपचारिक ऐलान होना बाकी रह गया है। इसके बाद यह साफ हो चुका है कि हरियाणा में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बना तकरीबन तय है। वही हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उन्हें 35 से 36 सीटों पर बढ़त मिलती हुई दिखाई दे रही है यानी कि कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से लगभग 10 सीट दूर है। 


गौरतलब है कि हरियाणा के 2019 विधानसभा चुनाव में 10 सीट जीतने वाली जेजेपी इस बार जीत का खाता खोलते हुए भी नहीं दिखाई दे रही है। इसके साथ ही दिल्ली के राजनीति से शुरुआत कर पंजाब में सरकार बनाने वाले आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में अपने पैर जमाने के लिए भर्षक प्रयास की लेकिन यहां भी आम आदमी पार्टी कोई भी सीट जीतती हुई नहीं दिखाई दे रही है। इन आंकड़ों को देखकर यह साफ लग रहा है कि हरियाणा के चुनाव में इस बार क्षेत्रीय दलों की भूमिका काफी कम रही और बीजेपी और कांग्रेस की सीधे-सीधे तक कर रहे जिसमें जनता का आशीर्वाद भारतीय जनता पार्टी के साथ रहा।

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