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‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ के बाज़ार में चीन का खेल खत्म..! अब नया किंग बनेगा भारत, मोदी सरकार ने तैयार किया पूरा प्लान

India-china: ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ के क्षेत्र में भारत सरकार ने चीन का दबदबा हटाने के लिए क़रीब 7,000 करोड़ की योजना लाने जा रही है.

‘रेयर अर्थ मैग्नेट’, ये देखने में जितनी छोटी होती है, इसकी ताकत उतनी ही बड़ी है. इसका एक छोटे से स्मार्टफ़ोन, हेडफोन, स्पीकर, लैपटॉप, स्मार्टवॉच से लेकर बड़ी-बड़ी गाड़ियों तक में इसका इस्तेमाल होता है. अगर आपके पास कोई भी उपकरण है तो उसमें ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ जरूर लगा होगा. यह वो जादुई चीज है जिसके बिना हर छोटे से बड़ा उपकरण अधूरा होता है. लेकिन इस जादूई चुंबक पर चीनी बाज़ार का दबदबा है. पर अब ये तस्वीर बहुत जल्द बदलने वाली है. क्योंकि भारत सरकार इस दिशा में एक बड़ी योजना पर काम कर रही है. जो सीधे चीनी बाज़ार को चुनौती देगी. दरअसल, भारत अपने इंसेंटिव प्रोग्राम को लगभग तीन गुना बढ़ाने की तैयारी में है. ताकी देश में ही इस जादूई चुंबक का उत्पादन किया जा सके.

इस क्रांति से स्वदेशी उत्पादन को मिलेगी ताकत 

आज दुनिया में 90 प्रतिशत 'रेयर अर्थ मैग्नेट' के उत्पादन पर चीनी बाज़ार की ही मुहर लगी है. यही कारण है कि बाज़ार में बिक रहे बड़े से लेकर छोटे से छोटे उपकरणों पर भी ‘Made in China’ का मुहर लगा रहता है. चीन ने अपनी इस ताक़त का इस्तेमाल कई बार वैश्विक बाज़ार में हथियार की तरह भी किया है. अभी हाल ही में पीएम मोदी ने कहा था कि जरूरी खनिजों का इस्तेमाल किसी के ख़िलाफ हथियार की तरह नहीं होना चाहिए. इन्हीं सबको ध्यना में रखते हुए भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है ताकि भविष्य में उसे किसी की भी मनमानी का सामना न करना पड़े.

केंद्रीय कैबिनेट ने 7,280 करोड़ रूपये की दी मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को 7,280 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय से सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य भारत में प्रतिवर्ष 6 हजार मीट्रिक टन एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) मैन्युफैक्चरिंग क्षमता स्थापित करना है। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारत वैश्विक आरईपीएम बाजार में प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग देश के रूप में स्थापित होगा।

इस दिशा में कैसे आगे बढ़ेगा भारत?

इसके लिए भारत सरकार की तरफ़ से एक ठोस खाका तैयार किया गया है. जानकारी के मुताबिक़, योजना के लिए क़रीब 290 मिलियन डॉलर का बजट तैयार किया गया था, जिसे अब लगभग तीन गुना बढ़ाकर 7,000 करोड़ रूपये करने का फैसला किया गया है. इसका सीधा मकसद है कि दुनिया में जो भी बड़ी कंपनियां हैं वो भारत में अपनी फैक्ट्री लगाएं या भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम शुरू करें. इससे देश के अंदर रोज़गार के अवसर उत्पन्न तो होंगे ही, इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत चीनी मैग्नेट के आयात पर निर्भर न होकर आत्मनिर्भर हो जाएगा. 

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