कफ सिरप से मौत के मामले में एक्शन मोड में केंद्र सरकार, बैठक कर गुणवत्ता और सही इस्तेमाल पर दी कड़ी चेतावनी
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में केंद्र सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने खांसी की दवाइयों की गुणवत्ता और उनके सही इस्तेमाल को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की.
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मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में केंद्र सरकार ऐक्शन मोड में नजर आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने खांसी की दवाइयों की गुणवत्ता और उनके सही इस्तेमाल को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की. मीटिंग में खासकर बच्चों के लिए खांसी की दवाइयों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया. आपको बता दें कि यह बैठक हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई कई बच्चों की मौत की खबरों के बाद की गई थी. खबर है कि इन मौतों का संबंध कथित तौर पर दूषित खांसी की दवाइयों का सेवन करने से हुआ है.
क्या है रिपोर्ट?
दरअसल जांच में खुलासा हुआ कि ‘कोल्ड्रिफ’ नामक खांसी की दवा में DEG (डायथिलीन ग्लाइकॉल) की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दवा निर्माण इकाइयों में गुणवत्ता मानकों के सख्त पालन को सुनिश्चित करना, बच्चों में खांसी की दवाओं के सही और तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना, तथा खुदरा दवा दुकानों पर ऐसी दवाओं की अनियंत्रित बिक्री और दुरुपयोग पर रोक लगाना था. इस मामले में सख्त कार्रवाई की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
स्वास्थ्य मंत्री ने की समीक्षा
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले की पहले ही समीक्षा कर ली थी. उन्होंने निर्देश दिया था कि इस मुद्दे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विस्तृत चर्चा की जाए, ताकि आवश्यक कदम तुरंत उठाए जा सकें. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी साझा की गई थी.
कई वरिष्ठ अधिकारी हुए शामिल
इस बैठक में केंद्र और राज्यों के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. प्रमुख प्रतिभागियों में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव एवं ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) डॉ. सुनीता शर्मा, भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ. राजीव रघुवंशी, और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के निदेशक डॉ. रंजन दास शामिल थे.
इसके अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (स्वास्थ्य), औषधि नियंत्रक, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के निदेशक, मिशन निदेशक (NHM) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहे.
बैठक में तीन मुख्य बिंदुओं पर रहा फोकस
पहला, दवा निर्माण इकाइयों में गुणवत्ता मानकों से संबंधित शेड्यूल–M और अन्य GSR प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना, ताकि बाजार में उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता उच्च स्तर की बनी रहे.
दूसरा, बच्चों में खांसी की दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना. इसमें अनावश्यक मिश्रण या अनुपयुक्त दवाओं के प्रयोग से बचने पर विशेष जोर दिया गया.
तीसरा, खुदरा दवा दुकानों के विनियमन को मजबूत बनाना, ताकि ऐसी दवाओं की अनियंत्रित बिक्री और दुरुपयोग पर प्रभावी रोक लगाई जा सके.
बनाई गई विशेषज्ञों की केंद्रीय टीम
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम गठित की गई. इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के महामारी विशेषज्ञ, सूक्ष्मजीवविज्ञानी, कीटविज्ञानी और औषधि निरीक्षक शामिल हैं.
टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा कर मध्य प्रदेश के राज्य अधिकारियों के साथ मिलकर रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों का विस्तृत विश्लेषण किया.
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