छांगुर बाबा के ठिकाने से मिली ऐसी किताब जिसे देख ठनका ATS का माथा, जानें 'शिजर-ए-तैयबा' में आखिर क्या लिखा
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर पीर बाबा के ठिकाने से ‘शिजर-ए-तैयबा’ नाम की संदिग्ध किताब बरामद हुई है. एटीएस का दावा है कि यह किताब लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण का वैचारिक हथियार थी. बताया जा रहा है कि खुद छांगुर बाबा ने इस किताब को छपवाया था और इसका उद्देश्य इस्लाम के नाम पर युवाओं का ब्रेनवॉश करना था. विशेष रूप से मुस्लिम युवकों को यह निर्देश दिए जा रहे थे कि वे किस प्रकार हिंदू युवतियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण की ओर ले जाएं.
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उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में हाल ही में जो कुछ सामने आया है, वह केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि एक खतरनाक वैचारिक अभियान की कहानी है. जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर बाबा, जो वर्षों से एक धार्मिक गुरु के रूप में अपनी पहचान बना चुका था, अब देश की सबसे संवेदनशील जांच एजेंसियों के रडार पर है. एटीएस और ईडी ने इस बाबा की गतिविधियों की जांच शुरू की तो जो सच सामने आया, उसने धर्म की आड़ में देश को तोड़ने वाली साजिश का चेहरा उजागर कर दिया.
'शिजर-ए-तैयबा' किताब का मकसद
एटीएस की कार्रवाई में एक बेहद अहम सबूत मिला के रूप में एक किताब मिली है, जिसका नाम ‘शिजर-ए-तैयबा’ है. शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है कि यह कोई साधारण धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि सुनियोजित ब्रेनवॉश करने का माध्यम है. बताया जा रहा है कि खुद छांगुर बाबा ने इस किताब को छपवाया था और इसका उद्देश्य इस्लाम के नाम पर युवाओं को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना था. विशेष रूप से मुस्लिम युवकों को यह निर्देश दिए जा रहे थे कि वे किस प्रकार हिंदू युवतियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण की ओर ले जाएं.
धर्मांतरण से ज्यादा बड़ा एजेंडा
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह मामला केवल ‘लव जिहाद’ या अवैध धर्मांतरण तक सीमित नहीं है. इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जिसकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली हो सकती हैं. हवाला नेटवर्क से लेकर विदेशी संगठनों तक इस साजिश के तार जुड़े होने की आशंका है. ईडी इस पहलू की गहन पड़ताल कर रही है कि कहीं इस किताब और अभियान के लिए विदेश से फंडिंग तो नहीं हुई? क्या यह पूरा सिंडिकेट भारत की सामाजिक संरचना को तोड़ने की दिशा में काम कर रहा था?
1500 से अधिक हिंदू महिलाओं को बनाया निशाना
उत्तर प्रदेश एटीएस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें जलालुद्दीन उर्फ़ छांगुर बाबा को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, छांगुर बाबा ने जबरन और लालच देकर अब तक 1,500 से अधिक हिंदू महिलाओं और हजारों गैर-मुस्लिमों का इस्लाम में धर्मांतरण कराया है. बलरामपुर के मधपुर निवासी बाबा ने खास तौर पर गरीब, विधवा और असहाय महिलाओं को निशाना बनाया. जांच में यह भी सामने आया है कि उसका नेटवर्क न सिर्फ देश के कई राज्यों में फैला था, बल्कि दुबई तक इसकी पहुंच
युवाओं को टारगेट करने की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, इस किताब को धार्मिक आयोजनों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए युवाओं तक पहुंचाया जाता था. युवाओं को मानसिक रूप से तैयार किया जाता था ताकि वे कट्टर विचारधारा की ओर झुक जाएं. किताब में ‘धर्मी सैनिकों’ की कल्पना भी की गई है. ऐसे युवा जो धर्म के नाम पर कुछ भी करने को तैयार हों. यह एक गहरी वैचारिक लड़ाई है, जहां धर्म की भाषा में उन्माद और कट्टरता की आग भड़काई जा रही थी.
एटीएस ने साझा की जानकारी
उत्तर प्रदेश एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस केस को लेकर कई अहम बातें साझा कीं. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर बाबा का नेटवर्क केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें एक व्यवस्थित और पूर्व-नियोजित साजिश की बू है. एटीएस अधिकारी ने बताया कि ‘शिजर-ए-तैयबा’ नाम की किताब कोई सामान्य धार्मिक साहित्य नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे कंटेंट पाए गए हैं जो युवाओं के ब्रेनवॉश और उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलने के लिए तैयार किए गए थे. अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह किताब धार्मिक कार्यक्रमों, युवाओं के सोशल ग्रुप्स और ऑनलाइन माध्यमों के जरिए फैलाई जा रही थी. इसका उद्देश्य धर्मांतरण को संस्थागत रूप देना और भारत की सांस्कृतिक एकता को कमजोर करना था. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि किताब में कोड वर्ड्स और विशेष मानसिक फ्रेमवर्क का इस्तेमाल किया गया था, जिससे युवाओं को इस्लाम की कट्टर व्याख्या की ओर मोड़ा जा सके. अधिकारी के मुताबिक आने वाले समय में कई और गिरफ्तारियां और खुलासे संभव हैं. साथ ही लोगों से अपील की गई कि अगर उनके पास इस किताब या छांगुर बाबा से जुड़ी कोई भी संदिग्ध जानकारी हो, तो वह तुरंत जांच एजेंसियों या पुलिस को सूचित करें.
जांच एजेंसियों की निगाह अब नेटवर्क पर
उत्तर प्रदेश एटीएस की जांच अब इस दिशा में चल रही है कि ‘शिजर-ए-तैयबा’ की कितनी प्रतियां छपवाई गईं, किन-किन राज्यों में भेजी गईं और किस स्तर तक इसका प्रचार किया गया. बाबा के मोबाइल और अन्य डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच हो रही है, ताकि इस पूरे नेटवर्क का पता लगाया जा सके. एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि छांगुर बाबा अकेला था या किसी बड़े संगठन का मोहरा. अब यह मामला केवल व्यक्तिगत अपराध का नहीं, बल्कि वैचारिक आतंकवाद की श्रेणी में आता है. जहां बंदूकें नहीं, किताबें और विचार ब्रेनवॉश करने का हथियार बन रही हैं. ‘शिजर-ए-तैयबा’ केवल एक किताब नहीं, बल्कि एक वैचारिक ग्रेनेड है, जो समाज में नफरत का बारूद भर सकता है.
बताते चलें कि छांगुर बाबा की गिरफ्तारी के बाद जो परतें खुलनी शुरू हुई हैं, वे यही दिखा रही हैं कि धर्म की आड़ में कैसे एक सुनियोजित मानसिक युद्ध चलाया जा रहा था. ये साजिशें न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि देश की सांस्कृतिक अखंडता के लिए भी खतरा हैं. अगले कुछ हफ्तों में ‘शिजर-ए-तैयबा’ से जुड़े और भी कई खुलासे सामने आ सकते हैं.
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