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अरविंद केजरीवाल को मिला सरकारी बंगला, दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने किया आवंटन

यह आवंटन न केवल केजरीवाल की लंबे समय से चली आ रही परेशानी को खत्म करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक होने के नाते उन्हें सरकारी सुविधाओं का अधिकार है. हालांकि, इसकी प्रक्रिया और देरी ने राजनीतिक विवादों और न्यायिक हस्तक्षेप को जन्म दिया.

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आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सरकारी बंगला मिल गया है. केंद्र सरकार ने उन्हें लोधी एस्टेट स्थित टाइप-VII श्रेणी का बंगला (95, लोधी एस्टेट) आवंटित किया है. यह फैसला करीब एक साल की लंबी प्रतीक्षा और दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद आया है.

केजरीवाल को मिला सरकारी बंगला

केजरीवाल ने सितंबर 2024 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था. इसके बाद अक्टूबर 2024 में उन्होंने आधिकारिक आवास 6, फ्लैगस्टाफ रोड खाली कर दिया था. तब से वे आप के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल के सरकारी आवास में रह रहे थे.

फ्लैगस्टाफ रोड वाले बंगले के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं को लेकर भाजपा ने आप पर "शीश महल" बनाने का आरोप लगाया था, जो उस समय बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया था.

क्यों मिला केजरीवाल को बंगला?

राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक के तौर पर अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी आवास का अधिकार है. जुलाई 2014 की डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स की नीति के मुताबिक, किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष या संयोजक को सरकारी आवास दिया जा सकता है. हालांकि नीति में आवास का प्रकार स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के मिला केजरीवाल को बंगला

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के भूमि निदेशालय की ओर से देरी होने के कारण यह मामला अदालत तक पहुंचा. दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने अब उन्हें आधिकारिक आवास आवंटित कर दिया है.

यह आवंटन न केवल केजरीवाल की लंबे समय से चली आ रही परेशानी को खत्म करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक होने के नाते उन्हें सरकारी सुविधाओं का अधिकार है. हालांकि, इसकी प्रक्रिया और देरी ने राजनीतिक विवादों और न्यायिक हस्तक्षेप को जन्म दिया.

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