Advertisement

'500 रुपये का नोट बंद किया जाए...', आंध्रा प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू का सुझाव- बड़ी करेंसी हटाओ, भ्रष्टाचार घटाओ

एनडीए के सहयोगी नेता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी करंसी नोटों को बंद करने की वकालत की है. उन्होंने कहा, “सभी बड़ी मुद्राएं ख़त्म कर देनी चाहिए. तभी भ्रष्टाचार मिटाया जा सकता है."

09 Jun, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
04:40 AM )
'500 रुपये का नोट बंद किया जाए...', आंध्रा प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू का सुझाव- बड़ी करेंसी हटाओ, भ्रष्टाचार घटाओ

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी नेता चंद्रबाबू नायडू ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी करंसी नोटों को बंद करने की वकालत की है. एक प्रमुख समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि देश में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है तो 500 रुपये के नोट तक को चलन से बाहर कर देना चाहिए.

नायडू ने कहा, “सभी बड़ी मुद्राएं ख़त्म कर देनी चाहिए. तभी भ्रष्टाचार मिटाया जा सकता है.” उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में केवल 100 और 200 रुपये से नीचे के नोट ही प्रचलन में होने चाहिए, ताकि कालेधन और घूसखोरी पर लगाम लगाई जा सके. इंटरव्यू के दौरान जब उनसे देश में बढ़ते फ्रीबीज कल्चर यानी मुफ्त की योजनाओं के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने इस शब्द को खारिज कर दिया. नायडू ने कहा, “फ्रीबीज शब्द सही नहीं है. पहले ज्यादा कल्याणकारी योजनाएं नहीं थीं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री एन. टी. रामाराव ने इस दिशा में कई पहल कीं.” उन्होंने कहा कि आज देश में विकास तो हो रहा है, संपत्ति भी बन रही है, लेकिन अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में कल्याणकारी योजनाएं जरूरी हैं, लेकिन इनकी डिलीवरी प्रभावी और पारदर्शी होनी चाहिए.

देश में जातिगत नहीं, समग्र जनगणना होनी चाहिए
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जातिगत जनगणना पर देश को एक नया दृष्टिकोण देने की बात कही है. उन्होंने सुझाव दिया है कि सिर्फ जाति आधारित नहीं, बल्कि एक साथ जातिगत, कौशल आधारित और आर्थिक जनगणना की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज के दौर में डेटा एक बेहद ताकतवर उपकरण बन चुका है और इसकी मदद से सरकारें सार्वजनिक नीतियों को ज़मीन पर और प्रभावी ढंग से लागू कर सकती हैं. नायडू ने कहा, “हर नागरिक के लिए एक समग्र जनगणना की जरूरत है. जब हमारे पास सटीक और विविध डेटा होगा, तभी हम वास्तव में inclusive और targeted पब्लिक पॉलिसी बना सकेंगे.” बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में देशव्यापी जातिगत जनगणना को हरी झंडी दी है. इससे पहले बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में ऐसी जनगणनाएं पहले ही हो चुकी हैं.

हिंदी पर भी रखी थी राय
नायडू ने कुछ समय पहले एक साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषा को लेकर भी अपनी संतुलित राय दी थी. उन्होंने कहा था, “स्थानीय भाषा और मातृभाषा बहुत ज़रूरी हैं, इनमें कोई समझौता नहीं हो सकता, चाहे तमिल हो, तेलुगु हो या कन्नड़. लेकिन हिंदी भी क्यों नहीं सीखी जा सकती, ताकि उत्तर भारतीयों से बेहतर संवाद हो सके? राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को मान्यता देने में कोई बुराई नहीं है.”

यह भी पढ़ें

बताते चलें कि एनडीए गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे नायडू के इस बयान को आगामी आर्थिक नीतियों की दिशा में संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है. इसके अलावा जातिगत जनगणना से लेकर भाषायी संतुलन तक नायडू के बयान को अहम माना जा रहा है.

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
अधिक
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें