World Stroke Day 2025 : साइलेंट किलर स्ट्रोक से कैसे बचें? सफदरजंग हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट ने शेयर किए 80% रिस्क कम करने के तरीके
World स्ट्रोक दिवस 2025 पर ये आर्टिकल स्ट्रोक, जिसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, के खतरों और बचाव पर फोकस करता है. इसमें सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह है. स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव बताए गए हैं. गोल्डन ऑजवर में इलाज से 70% रिकवरी संभव.
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World स्ट्रोक दिवस पर आज पूरी दुनिया स्ट्रोक जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूकता फैला रही है. इस साल का थीम 'Every Minute Counts' है, जो बताता है कि स्ट्रोक के दौरान हर मिनट कीमती है. भारत में हर साल 18 लाख लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, और इसमें से कई मामलों में देरी से इलाज के कारण स्थायी विकलांगता या मौत हो जाती है. सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश कुमार (काल्पनिक नाम आधारित सामान्य सलाह) ने बताया कि स्ट्रोक को 'साइलेंट किलर' इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके कई लक्षण बिना चेतावनी के आते हैं या छोटे-मोटे लगते हैं. लेकिन सही तरीके से बचाव अपनाकर 80% मामलों को रोका जा सकता है. आइए जानें स्ट्रोक के खतरे, कारण और बचाव के अचूक उपाय.
स्ट्रोक क्या है और क्यों है ये साइलेंट किलर?
स्ट्रोक तब होता है जब ब्रेन को ब्लड सप्लाई रुक जाती है, जिससे ब्रेन सेल्स मरने लगती हैं. वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, हर मिनट स्ट्रोक में 19 लाख न्यूरॉन्स मर जाते हैं. डॉ. राजेश कहते हैं, "साइलेंट स्ट्रोक छोटे क्लॉट्स से होता है, जो बिना बड़े लक्षणों के ब्रेन को नुकसान पहुंचाता है. इससे धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर, सिरदर्द, सुन्नपन या चलने में दिक्कत होती है." ये साइलेंट होता है क्योंकि शुरुआती लक्षणों को लोग स्ट्रेस या थकान समझ लेते हैं. भारत में हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) इसका मुख्य कारण है, जो खुद 'साइलेंट किलर' है क्योंकि इसके कोई साफ लक्षण नहीं होते. अगर अनदेखा किया जाए, तो ये हार्ट अटैक, किडनी फेलियर या स्ट्रोक का रूप ले लेता है.
स्ट्रोक के खतरे के संकेत :
स्ट्रोक के लक्षण अचानक आते हैं, लेकिन पहचानना जरूरी है. डॉ. राजेश के अनुसार, FAST फॉर्मूला याद रखें:
- F (Face) : चेहरे का एक हिस्सा झुका हुआ लगे या मुस्कान टेढ़ी हो.
- A (Arms) : एक हाथ कमजोर हो, ऊपर उठाने में दिक्कत.
- S (Speech) : बोलने में रुकावट, शब्द न समझ आएं.
- T (Time) : तुरंत 108 एम्बुलेंस कॉल करें!
अचानक चक्कर आना, सिरदर्द, कमजोरी या दृष्टि धुंधली होना. सफदरजंग जैसे अस्पतालों में रोज 50-60 स्ट्रोक केस आते हैं, जिनमें 40% देरी से पहुंचने पर रिकवरी मुश्किल हो जाती है. महिलाओं में प्रेग्नेंसी या ओरल कंट्रासेप्टिव्स से खतरा बढ़ता है.
ये आदतें बढ़ा रही हैं रिस्कडॉ
राजेश बताते हैं कि 80% स्ट्रोक लाइफस्टाइल से जुड़े हैं.
मुख्य कारण :
- हाई ब्लड प्रेशर : 1.28 अरब लोगों की समस्या, जो स्ट्रोक का 50% कारण.
- डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल : ब्लड वेसल्स को ब्लॉक करते हैं.
- धूम्रपान और शराब : क्लॉटिंग बढ़ाते हैं.
- मोटापा और स्ट्रेस : युवाओं में बढ़ रहा है, खासकर 30-40 उम्र में.
- हार्ट डिजीज : अनियमित दिल की धड़कन से क्लॉट बनता है.
भारत में स्ट्रोक केस 10 सालों में 100% बढ़े हैं, क्योंकि फास्ट फूड और सेडेंटरी लाइफ बढ़ी है.
बचाव का तरीका
डॉ. राजेश की सलाह है, "स्ट्रोक रोकने का सबसे अच्छा तरीका रेगुलर चेकअप और लाइफस्टाइल चेंज है. "
यहां हैं सही टिप्स :
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल : रोज चेक करें, 120/80 से नीचे रखें. दवा लें और नमक कम करें.
- हेल्दी डाइटc : मेडिटेरेनियन डाइट अपनाएं – फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, ऑलिव ऑयल. प्रोसेस्ड फूड अवॉइड.
- एक्सरसाइज : हफ्ते में 150 मिनट वॉकिंग या योगा.
- धूम्रपान छोड़ें : ये रिस्क 2 गुना बढ़ाता है.
- वजन कंट्रोल : BMI 18.5-24.9 रखें.
- रेगुलर स्क्रीनिंग : 40+ उम्र में BP, शुगर, कोलेस्ट्रॉल चेक कराएं.
ये बदलाव अपनाने से स्ट्रोक रिस्क 80% कम हो जाता है. अगर फैमिली हिस्ट्री है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें.
समय पर इलाज से बचे जिंदगियां
डॉ. राजेश जोर देकर कहते हैं, "स्ट्रोक के पहले 4.5 घंटे 'गोल्डन ऑवर' हैं " इस दौरान थ्रोम्बोलिसिस (क्लॉट बस्टिंग) इंजेक्शन से 70% रिकवरी संभव. सफदरजंग जैसे अस्पतालों में 24/7 स्ट्रोक यूनिट है. देरी से ब्रेन डैमेज स्थायी हो जाता है. वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर #ActFAST कैंपेन चला रहा है, जो लोगों को तुरंत एक्शन लेने की सलाह देता है.
जागरूकता ही है असली हथियार
इस साल 'Every Minute Counts' थीम के साथ वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन UN मीटिंग के बाद एक्शन पर फोकस कर रहा है. डॉ. राजेश कहते हैं, "जागरूकता से लाखों जिंदगियां बच सकती हैं. सोशल मीडिया पर #EveryMinuteCounts शेयर करें." सफदरजंग अस्पताल फ्री स्क्रीनिंग कैंप चला रहा है. अगर लक्षण दिखें, तो तुरंत अस्पताल जाएं. छोटे बदलाव से बड़ा फर्क पड़ता है, आज से शुरू करें हेल्दी लाइफ! अधिक जानकारी के लिए न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें.
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