सूखी हो या गीली, हर खांसी का इलाज छिपा है आपके किचन में! जानें आयुर्वेदिक नुस्खे
इन नुस्खों को रोज आजमाएं, लेकिन अगर लक्षण न घटें, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल से सलाह लें. सर्दी के मौसम में ये उपाय आपके परिवार को फिट रखेंगे. ज्यादा जानकारी के लिए आयुर्वेदिक किताबें या ऑनलाइन पोर्टल्स चेक करें.
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खांसी भले ही आम लगे, लेकिन ये शरीर का एक जरूरी डिफेंस सिस्टम है. ये कोई साधारण लक्षण नहीं, बल्कि शरीर की चेतावनी है कि कुछ गड़बड़ है. गले या श्वसन नली में धूल, धुआं, एलर्जी या इंफेक्शन होने पर खांसी शुरू होती है, जो हानिकारक कणों, कीटाणुओं या बलगम को बाहर निकालने का काम करती है. आयुर्वेद में इसे 'कास रोग' कहते हैं, जो वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से होता है.
अच्छी खबर ये है कि आपके किचन में ही सूखी और गीली दोनों तरह की खांसी का इलाज मौजूद है. ये आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे न सिर्फ आसान हैं, बल्कि तुरंत राहत भी देते हैं. अगर खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा टिके, तो डॉक्टर से चेकअप जरूरी है.
शरीर का डिफेंस मैकेनिज्म
खांसी तब शुरू होती है जब गले या श्वसन नली में कोई रुकावट या जलन होती है. धूल, धुआं, प्रदूषण, एलर्जी या इंफेक्शन (जैसे वायरल/बैक्टीरियल) से नसें मस्तिष्क को सिग्नल भेजती हैं. मस्तिष्क फेफड़ों को आदेश देता है, और खांसी के जरिए शरीर कीटाणु, म्यूकस या बाहरी कण बाहर निकालता है. खांसी के प्रमुख कारणों में सर्दी-जुकाम, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, अस्थमा, टीबी, धूम्रपान और साइनस इंफेक्शन शामिल हैं. अगर खांसी 3 हफ्ते से ज्यादा रहे, तो ये क्रोनिक हो सकती है और किसी गंभीर बीमारी का संकेत देती है.
खांसी के प्रकार :
- सूखी खांसी: इसमें बलगम नहीं बनता, गले में खराश और जलन होती है. आयुर्वेद में इसे वातज कास कहते हैं, जो वात दोष के असंतुलन से होता है.
- गीली खांसी: बलगम के साथ खांसी आती है, जो इंफेक्शन या सर्दी की वजह से होती है. इसे कफज कास कहते हैं, कफ दोष से जुड़ा है.
- पित्तज कास: गले में जलन, खट्टे डकार या बुखार जैसे लक्षण. ये पित्त दोष से होता है.
आयुर्वेद के मुताबिक, इन दोषों को बैलेंस करके खांसी का इलाज संभव है.
सूखी खांसी के लिए 3 आयुर्वेदिक नुस्खे
- अदरक और शहद : 1 चम्मच अदरक का रस और 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार लें. ये गले की खराश और सूखी खांसी को तुरंत शांत करता है. अदरक की तासीर गर्म होती है, जो वात दोष को कम करती है.
- मुलेठी की चाय : मुलेठी की जड़ को पानी में उबालकर चाय बनाएं. दिन में 1-2 बार पिएं. ये गले का सूखापन और जलन कम करती है.
- हल्दी वाला दूध : रात को सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं. ये इंफेक्शन और सूखी खांसी को कम करता है, साथ ही नींद में मदद करता है.
गीली खांसी के लिए 3 देसी उपाय
- लौंग और काली मिर्च : 2 लौंग और 4-5 काली मिर्च चबाएं या इनका पाउडर शहद के साथ लें. ये बलगम को ढीला कर बाहर निकालता है.
- अजवाइन की भाप : 1 लीटर गर्म पानी में 1 चम्मच अजवाइन डालकर भाप लें. इससे श्वसन नली में जमा बलगम निकलता है और सांस लेना आसान होता है.
- नमक वाले पानी से गरारे : गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक डालकर दिन में 2-3 बार गरारे करें. ये गले की जलन और बलगम कम करता है.
दोनों तरह की खांसी के लिए यूनिवर्सल नुस्खा
तुलसी का काढ़ा : 10-12 तुलसी के पत्ते, 1 इंच अदरक, 4-5 काली मिर्च और 1 चम्मच शहद को 2 कप पानी में उबालें. जब पानी आधा रह जाए, छानकर पिएं. ये इम्यूनिटी बढ़ाता है, इंफेक्शन से लड़ता है और सूखी-गीली दोनों खांसी में राहत देता है. दिन में 1-2 बार लें.
खांसी को जड़ से खत्म करें
- ठंडी चीजों से बचें : आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक या ठंडा पानी न पिएं. ये बलगम बढ़ा सकते हैं.
- प्रदूषण से दूरी : धूल, धुआं और प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें. खासकर सर्दियों में स्मॉग से सावधान रहें.
- धूम्रपान छोड़ें : सिगरेट या हुक्का खांसी को और बिगाड़ता है. तुरंत बंद करें.
- हाइड्रेशन जरूरी : दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं. ये गले को नम रखता है और बलगम पतला करता है.
- योग और प्राणायाम : अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम रोज करें. ये फेफड़ों को मजबूत करते हैं और खांसी रोकते हैं.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर खांसी 3 हफ्ते से ज्यादा टिके, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टी या वजन कम होने जैसे लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. ये टीबी, निमोनिया या अस्थमा का संकेत हो सकता है. बच्चों और बुजुर्गों में खांसी को हल्के में न लें.अंतिम सलाह: किचन को बनाएं अपनी दवाआपके किचन में मौजूद चीजें जैसे अदरक, शहद, तुलसी, हल्दी और लौंग खांसी का पक्का इलाज हैं.
इन नुस्खों को रोज आजमाएं, लेकिन अगर लक्षण न घटें, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल से सलाह लें. सर्दी के मौसम में ये उपाय आपके परिवार को फिट रखेंगे. ज्यादा जानकारी के लिए आयुर्वेदिक किताबें या ऑनलाइन पोर्टल्स चेक करें. स्वस्थ रहें, जय हिंद!
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