प्रेग्नेंसी में पेट फूलने की दिक्कत से कैसे पाएं राहत? जानें विशेषज्ञों की राय और असरदार घरेलू उपाय
र्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव और पाचन की गति धीमी होने से कई महिलाओं को गैस, पेट फूलना और भारीपन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह एक आम स्थिति है, लेकिन असहजता बढ़ा सकती है. सही खान-पान, पर्याप्त पानी और हल्की शारीरिक गतिविधि अपनाकर इससे काफी हद तक राहत पाई जा सकती है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है.
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गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक बेहद खास और संवेदनशील समय होता है. इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जो न सिर्फ भावनात्मक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी महिला को प्रभावित करते हैं. गर्भधारण के समय हार्मोनल स्तर में भारी उतार-चढ़ाव आता है, जिसके चलते कुछ असहज स्थितियां भी पैदा होती हैं, जो सामान्य होते हुए भी बेहद परेशान करने वाली होती हैं. इन्हीं में से एक है पेट फूलना, गैस बनना, अपच और लगातार बेचैनी महसूस होना. इस लेख में हम इस समस्या के कारणों और उपायों को आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद के दृष्टिकोण से समझेंगे.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गैस और पेट फूलने के कारण
1. हार्मोनल बदलाव और प्रोजेस्टेरोन का प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. यह हार्मोन मांसपेशियों को ढीला करता है, जिसमें पाचन तंत्र की मांसपेशियां भी शामिल हैं. इसके परिणामस्वरूप पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, और खाना लंबे समय तक पेट में रहता है. इससे गैस बनने लगती है, जिसके कारण पेट भारी और फूला हुआ महसूस होता है.
2. गर्भाशय का बढ़ता आकार
जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती है, गर्भाशय का आकार बढ़ने लगता है, जो आंतों पर दबाव डालता है. यह दबाव गैस को बाहर निकलने में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे वह पेट में जमा हो जाती है. कुछ मामलों में यह दबाव इतना अधिक हो सकता है कि सांस लेने में भी थोड़ी तकलीफ महसूस हो सकती है.
3. लौ फिजिकल ऐक्टिविटी
गर्भावस्था में शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे पाचन तंत्र की कार्यक्षमता और कमजोर हो सकती है. इससे भोजन का पाचन धीमा होता है, और गैस बनने की समस्या बढ़ सकती है.
4. आहार में बदलाव
कई गर्भवती महिलाएं स्वस्थ खानपान की ओर रुख करती हैं, जिसमें फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, फल और सब्जियां शामिल होती हैं. हालांकि ये पदार्थ सेहत के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अगर इन्हें अचानक और अधिक मात्रा में लिया जाए, खासकर पर्याप्त पानी के बिना, तो गैस और पेट फूलने की समस्या हो सकती है.
5. हवा निगलना
जल्दी-जल्दी खाना खाने या खाते समय बात करने से अनजाने में हवा पेट में चली जाती है. यह हवा गैस और पेट फूलने का एक प्रमुख कारण बन सकती है.
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से गैस और पेट फूलने के कारण
1. वात दोष का असंतुलन
आयुर्वेद के अनुसार, गर्भावस्था में वात दोष का असंतुलन पाचन समस्याओं का मुख्य कारण है. वात दोष के बढ़ने से शरीर में गैस, सूखापन और कब्ज जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. यह स्थिति तब और बिगड़ सकती है जब भोजन अनियमित हो या लंबे समय तक भोजन न किया जाए.
2. अनुचित आहार और दिनचर्या
आयुर्वेद में यह माना जाता है कि अनुचित आहार, जैसे भारी, तैलीय या वातवर्धक भोजन (जैसे ठंडा, सूखा या कच्चा खाना), गैस और अपच को बढ़ावा देता है. इसके अलावा, अनियमित खानपान और तनाव भी वात दोष को बढ़ा सकते हैं.
गैस और पेट फूलने से राहत के उपाय
1.आयुर्वेदिक उपाय :
- सौंफ, अजवाइन और हिंग : ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पाचन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं. एक चुटकी सौंफ या अजवाइन को हल्के गुनगुने पानी के साथ लेने से गैस कम होती है और पेट साफ रहता है. हिंग को दाल
- या सब्जी में थोड़ा-सा मिलाकर खाने से भी राहत मिलती है.
- हल्का और गर्म भोजन : आयुर्वेद में गर्भवती महिलाओं को हल्का, गर्म और सुपाच्य भोजन लेने की सलाह दी जाती है, जैसे मूंग दाल की खिचड़ी, सूप या उबली सब्जियां.
- अदरक का सेवन : अदरक को थोड़ा-सा शहद या नींबू के साथ लेने से पाचन बेहतर होता है और गैस की समस्या कम होती है.
- नियमित दिनचर्या : आयुर्वेद में नियमित समय पर भोजन करने और पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी जाती है ताकि वात दोष संतुलित रहे.
2. वैज्ञानिक उपाय छो :
एक बार में ज्यादा खाना खाने के बजाय दिन में कई बार हल्का और संतुलित भोजन करें. इससे पाचन तंत्र पर कम दबाव पड़ता है और गैस बनने की संभावना घटती है.
- धीरे-धीरे खाएं : भोजन को अच्छे से चबाकर और धीरे-धीरे खाने से हवा निगलने की समस्या कम होती है.
- पर्याप्त पानी पिएं : फाइबर युक्त आहार के साथ पर्याप्त पानी पीना जरूरी है ताकि कब्ज और गैस की समस्या न हो.
- हल्की शारीरिक गतिविधि : गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित हल्की सैर या योग (डॉक्टर की सलाह के अनुसार) पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है.
- गैस पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से बचें : कुछ खाद्य पदार्थ जैसे गोभी, ब्रोकोली, बीन्स और कार्बोनेटेड पेय गैस को बढ़ा सकते हैं. इनका सेवन सीमित करें.
डॉक्टर की सलाह लें :
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- कोई भी नया उपाय या जड़ी-बूटी शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें, क्योंकि गर्भावस्था में हर चीज का प्रभाव मां और शिशु दोनों पर पड़ता है.
- अनावश्यक दवाओं से बचें : बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी एलोपैथिक या आयुर्वेदिक दवा न लें.
- तनाव कम करें : तनाव भी पाचन को प्रभावित करता है. ध्यान, प्राणायाम या हल्की मालिश से तनाव को कम किया जा सकता है.
गर्भावस्था में गैस और पेट फूलने की समस्या आम है, लेकिन इसे सही आहार, दिनचर्या और प्राकृतिक उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है. आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भवती महिला का खानपान हल्का, पौष्टिक और नियमित होना चाहिए. छोटे-छोटे बदलाव और सावधानियां अपनाकर इस असहज स्थिति से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है. यदि समस्या गंभीर हो या बार-बार हो रही हो, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.
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