हुंजा घाटी के लोग 120 साल तक कैसे रहते हैं स्वस्थ? कड़वे खुबानी के तेल में है लंबी उम्र का सीक्रेट, जानें वैज्ञानिक सच!
Hunza Valley के लोगों की लंबी उम्र का राज उनके प्राकृतिक जीवनशैली और खान-पान में छिपा माना जाता है. खासकर कड़वे खुबानी के तेल का इस्तेमाल, पहाड़ी शुद्ध पानी, ताज़ा अनप्रोसेस्ड भोजन, रोज़ाना शारीरिक श्रम और तनाव-मुक्त जीवन उन्हें बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है.
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हुंजा घाटी, पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के उत्तरी हिस्से में बसी यह घाटी सदियों से अपनी रहस्यमयी लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए जानी जाती है. यहां के लोग औसतन 100-120 साल जीते हैं, और कैंसर जैसी बीमारियां लगभग न के बराबर पाई जाती हैं. वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका राज उनके पारंपरिक आहार और जीवनशैली में छिपा है, खासकर कड़वे खुबानी के बीजों से बने तेल में. लेकिन क्या यह सचमुच इतना चमत्कारी है? आइए जानते हैं इसकी सच्चाई और वैज्ञानिक पहलुओं को.
लंबी उम्र का रहस्यमयी ठिकाना
हुंजा घाटी हिमालय की ऊंचाई पर बसी एक अलग-थलग घाटी है, जहां करीब 8,000 फुट की ऊंचाई पर बर्फीले पहाड़ों के बीच हरियाली भरी खेती होती है. 1930 के दशक में ब्रिटिश डॉक्टर रॉबर्ट मैककैरिसन ने यहां के लोगों का अध्ययन किया. उनके अनुसार, हुंजा के लोग (बुरुशो समुदाय) कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग या मोटापे जैसी आधुनिक बीमारियों से मुक्त रहते हैं. कुछ लोग 135 साल से ज्यादा जीते हैं. राष्ट्रीय भौगोलिक मैगजीन की 1970 की रिपोर्ट में भी इसे 'शंगरी-ला' (लॉस्ट होराइजन किताब से प्रेरित) कहा गया. लेकिन जापानी शोधकर्ताओं (1955) ने पाया कि यहां कुपोषण, गलगंड, गठिया और कैंसर के केस मौजूद हैं. फिर भी, औसत आयु 90-100 साल बताई जाती है, जो वैश्विक औसत (72 साल) से कहीं ज्यादा है.
कड़वा खुबानी तेल
हुंजा के लोग साल भर खुबानी (एप्रिकॉट) पर निर्भर रहते हैं. गर्मियों में ताजा खुबानी, सर्दियों में सूखे फल और बीज. उनका मुख्य रहस्य कड़वे खुबानी के बीजों से निकाला जाने वाला तेल है, जिसे 'हुंजा ऑयल' कहा जाता है. यह तेल खाना पकाने, मालिश और दवा के रूप में इस्तेमाल होता है.
- आहार में भूमिका : हर परिवार के पास कम से कम एक खुबानी का पेड़ होता है. बीजों को पीसकर तेल निकाला जाता है, जो ओमेगा-3, ओमेगा-6, विटामिन ई और प्रोटीन से भरपूर है. स्थानीय व्यंजनों में यह तेल प्रमुख है.
- जीवनशैली का योगदान : लोग ग्लेशियर के साफ पानी से नहाते-पीते हैं, कच्चा शाकाहारी भोजन (फल, सब्जियां, अनाज) खाते हैं. कोई प्रोसेस्ड फूड या ज्यादा मांस नहीं. हार्ड लेबर से फिट रहते हैं.
कैंसर के खिलाफ 'प्राकृतिक हथियार'?
इस तेल का सबसे विवादास्पद दावा विटामिन B17 से जुड़ा है, जो कड़वे बीजों में पाया जाता है. डॉ. अर्नेस्ट क्रेब्स (1950) ने दावा किया कि यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है, क्योंकि यह साइनाइड रिलीज करता है जो केवल कैंसर सेल्स को टारगेट करता है. हुंजा के लोग बीजों का बड़े मात्रा में सेवन करते हैं, जिससे कैंसर न के बराबर बताए जाते हैं. कुछ अध्ययनों में एमिग्डालिन को सूजन और कैंसर सेल्स के खिलाफ प्रभावी पाया गया.
लेकिन :
- वैज्ञानिक सच्चाई : कैंसर काउंसिल और यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी के अनुसार, कोई ठोस सबूत नहीं कि यह कैंसर ठीक करता है. क्लिनिकल ट्रायल्स विफल रहे. यह 'विटामिन' नहीं, बल्कि ग्लाइकोसाइड है.
- जोखिम : ज्यादा सेवन साइनाइड पॉइजनिंग का खतरा, सिरदर्द, बुखार, नर्व डैमेज या मौत. जापानी अध्ययन में हुंजा में कैंसर केस मिले.
फिर भी, पारंपरिक रूप से यह जोड़ों के दर्द, त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद माना जाता है.
मिथक या हकीकत?
हुंजा की लंबी उम्र के दावे आंशिक मिथक हैं. 2012 की स्मिथसोनियन रिपोर्ट में कहा गया कि ये 'अफवाहें' हैं, क्योंकि जन्म रिकॉर्ड गलत होते थे. लेकिन आधुनिक अध्ययन में पुष्टि हुई कि उनका प्लांट-बेस्ड डाइट, ग्लेशियर वॉटर और एक्सरसाइज लंबी उम्र बढ़ाता है. कैंसर-मुक्ति का दावा अतिशयोक्ति है, पाकिस्तान सरकार के अनुसार, यहां कैंसर मौजूद है. फिर भी, खुबानी तेल के पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं.
विशेषज्ञ सलाह: डॉक्टर से पूछे बिना ज्यादा न लें.
अपनाएं स्वस्थ आदतें, लेकिन सावधानी से
हुंजा घाटी हमें सिखाती है कि प्राकृतिक आहार और सक्रिय जीवन लंबी उम्र का आधार है. कड़वा खुबानी तेल पोषण दे सकता है, लेकिन कैंसर का 'जादू' नहीं. ज्यादा बीजों से बचें. अगर आप लंबी उम्र चाहते हैं, तो फल-सब्जियां बढ़ाएं, व्यायाम करें.
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