गर्म-गर्म औषधीय छाछ ‘खलम’: पाचन से लेकर दर्द तक, हर समस्या में फायदेमंद!
पेट फूल रहा है? गैस, थकान या सर्दी से परेशान हैं? दवाइयों की जगह आज़माएं दादी-नानी का यह आज़माया हुआ चमत्कारी नुस्खा—‘खलम’। गर्मागर्म औषधीय छाछ, जो ना केवल पाचन सुधारती है, बल्कि सर्दी-जुकाम, बदन दर्द और थकावट में भी रामबाण है. जानिए कैसे रसोई की 4-5 चीज़ों से बनने वाला यह देसी पेय आपके पूरे शरीर को दे सकता है राहत और ऊर्जा—वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के!
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गर्म-गर्म औषधीय छाछ ‘खलम’—नाम भले ही अनसुना लगे, लेकिन इसके फायदे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे! दादी-नानी के ज़माने से चले आ रहे इस देसी नुस्खे में छिपा है पेट से लेकर पूरे शरीर को ठीक रखने का राज़. गैस, अपच, जुकाम, थकावट या हल्का बुखार... सिर्फ एक कप ‘खलम’ और मिलती है राहत—वो भी बिना किसी दवा के!
क्या है खलम? देसी छाछ का चमत्कारी रूप
छाछ या मट्ठा तो आम है, लेकिन जब इसी छाछ को औषधीय मसालों के साथ धीमी आंच पर गर्म किया जाता है, तो वह बन जाती है 'खलम' यह कोई साधारण पेय नहीं, बल्कि परंपरागत भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद पर आधारित घरेलू औषधि है, जिसका उपयोग पुराने समय से पाचन ठीक करने, गैस व अपच से राहत और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं को दूर करने में किया जाता रहा है. खास बात यह है कि इसे बनाना बेहद आसान है और सभी सामग्री आपकी रसोई में मौजूद होती है.
खलम बनाने की विधि
खलम बनाने के लिए सबसे पहले एक गिलास छाछ लें (ताजी या खट्टी दोनों चलती हैं. अब इसमें 1/2 चम्मच अजवाइन, एक चुटकी हींग, 1/2 चम्मच सौंठ (सूखा अदरक पाउडर), काली मिर्च और हल्का सा नमक डालें. चाहें तो देसी घी या सरसों के तेल में अजवाइन और हींग का तड़का लगाकर छाछ में डालें. अब इसे धीमी आंच पर हल्का गर्म करें, बस इतना कि भाप निकले—उबालना नहीं है. गर्मगर्म या गुनगुना पीना ही इसके लाभदायक प्रभाव को बढ़ाता है.
पाचन शक्ति बढ़ाने में जबरदस्त असरदार
खलम को आयुर्वेद में ‘अग्निदीपक’ कहा गया है—यानी ये पाचन अग्नि को तेज करता है. भोजन के बाद अगर भारीपन लगे, डकारें आएं या गैस बने, तो एक कप खलम इन समस्याओं को मिनटों में दूर कर देता है. अजवाइन और हींग गैस को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जबकि सोंठ और काली मिर्च आँतों की सफाई में सहयोग करते हैं.
सर्दी-जुकाम, खांसी और बलगम में भी रामबाण
जब शरीर में कफ बढ़ जाए या ठंडी हवा से सर्दी-जुकाम हो जाए, तो खलम शरीर को अंदर से गर्म करके तुरंत राहत देता है. सोंठ और काली मिर्च बलगम को ढीला कर बाहर निकालते हैं, वहीं अजवाइन और हींग सर्दी के लक्षणों को कम करने में कारगर हैं. गले की खराश और हल्की खांसी में भी खलम पीना लाभकारी रहता है.
थकान, कमजोरी और बदन दर्द में भी लाभकारी
खलम केवल पेट ही नहीं, शरीर की थकावट भी दूर करता है. काम के बाद या लंबी यात्रा के दौरान शरीर भारी लगने लगे, तो एक कप खलम शरीर को फिर से ऊर्जा देता है. यह रक्त संचार बेहतर करता है, मांसपेशियों की जकड़न कम करता है और शरीर में हल्कापन लाता है.
महिलाओं के लिए विशेष लाभ, खासकर प्रसव के बाद
गांवों में प्रसव के बाद महिलाओं को खलम पिलाने की परंपरा है. यह गर्भाशय की सफाई, पाचन सुधार और शरीर में आई कमजोरी को दूर करने में मदद करता है. सोंठ, अजवाइन और हींग जैसी औषधियां प्रसवोत्तर रिकवरी के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं.
कब पिएं खलम और कितनी मात्रा में?
खलम को सुबह खाली पेट या दोपहर के भोजन के बाद पिया जा सकता है. यह दिन में एक बार पर्याप्त है, खासकर जब पेट गड़बड़ हो या शरीर थका हुआ लगे. सर्दियों में इसका सेवन और भी लाभदायक होता है क्योंकि यह शरीर में ऊष्मा बढ़ाता है.
किन्हें नहीं पीना चाहिए?
- खलम को ज्यादा तीखा या अधिक मसालेदार बनाना नुकसानदायक हो सकता है.
- गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
- अल्सर या गंभीर पेट की समस्याओं वाले व्यक्ति इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें.
- बहुत ज्यादा गर्म करके पीने से गले को नुकसान पहुंच सकता है.
रसोई में छिपा है देसी डॉक्टर
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खलम महज एक पेय नहीं, बल्कि हर घर में बनने वाला देसी टॉनिक है. जब आधुनिक दवाएं हर छोटी बात पर ली जाती हैं, ऐसे में खलम जैसे नुस्खे हमारी परंपरा, सेहत और स्वाद तीनों का ख्याल रखते हैं.तो अगली बार जब पेट भारी लगे, सर्दी हो, थकावट सताए या शरीर में ऐंठन महसूस हो—तो रसोई में जाइए और बना लीजिए गर्मागरम ‘खलम’!
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