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2050 तक इलाज हो सकता है ढाई गुना महंगा, एंटीबायोटिक प्रतिरोध बन रहा नई चुनौती

2050 तक इलाज ढाई गुना महंगा हो सकता है! एंटीबायोटिक दवाएं अब धीरे-धीरे असर खो रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इनका गलत इस्तेमाल नहीं रुका, तो मामूली संक्रमण भी जानलेवा हो सकते हैं। इलाज महंगा होगा और दवाएं बेअसर!

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न मेडिकल शोध संस्थानों की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस (Antibiotic Resistance) एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप लेता जा रहा है. जब बैक्टीरिया बार-बार एंटीबायोटिक्स के संपर्क में आते हैं, तो वे इनके प्रभाव को पहचानना और उससे बचना सीख लेते हैं. नतीजतन, दवाएं असर करना बंद कर देती हैं और सामान्य संक्रमण भी जानलेवा बन जाते हैं.

2050 तक इलाज हो सकता है ढाई गुना महंगा

एक अनुमान के अनुसार, अगर यही स्थिति जारी रही तो 2050 तक संक्रमणों के इलाज की लागत मौजूदा समय से करीब ढाई गुना बढ़ सकती है. यह केवल मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली, बीमा कंपनियों और सरकारों पर भी भारी आर्थिक बोझ डालेगा. पहले जिन संक्रमणों का इलाज 5-7 दिनों में संभव था, वो लंबे अस्पताल प्रवास और महंगी दवाओं की मांग करेंगे.

बैक्टीरिया बनते जा रहे हैं सुपरबग्स

आज की तारीख में कई बैक्टीरिया ऐसे हैं जो लगभग सभी प्रमुख एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हैं. इन्हें सुपरबग्स कहा जाता है. ये ICU, ऑपरेशन थिएटर, और यहां तक कि सामान्य क्लीनिकों में भी तेजी से फैल सकते हैं. मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट (MDR) ट्यूबरकुलोसिस और एक्स्टेंसिवली-ड्रग रेसिस्टेंट (XDR) बैक्टीरिया जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं.

गलत एंटीबायोटिक उपयोग है मुख्य कारण

एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की सबसे बड़ी वजह है इन दवाओं का अंधाधुंध और बिना ज़रूरत के इस्तेमाल. कई बार मामूली बुखार, जुकाम या वायरल संक्रमण में भी लोग एंटीबायोटिक ले लेते हैं — जबकि ये केवल बैक्टीरिया पर असर करती हैं, वायरस पर नहीं. इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह के बिना दवा शुरू करना या बीच में बंद कर देना भी इस संकट को बढ़ाता है.

भारत सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल

भारत में एंटीबायोटिक्स का उपयोग दुनिया में सबसे अधिक है. इसकी वजह है दवाओं की आसानी से उपलब्धता, ओवर-द-काउंटर सेल, जागरूकता की कमी और कभी-कभी डॉक्टरों द्वारा भी गलत प्रिस्क्रिप्शन. रिपोर्ट्स बताती हैं कि आने वाले वर्षों में भारत एंटीबायोटिक प्रतिरोध से सबसे अधिक मौतों वाले देशों में शामिल हो सकता है.

अगर अभी नहीं चेते, तो परिणाम होंगे गंभीर

अगर सरकारें, मेडिकल संस्थान और आम जनता समय रहते सचेत नहीं हुए तो आने वाला समय बहुत ही खतरनाक हो सकता है. सामान्य सर्जरी, डिलीवरी और डेंगू-जैसे संक्रमणों का इलाज भी कठिन हो सकता है. चिकित्सा खर्चों में भारी वृद्धि के साथ-साथ जान बचाना भी मुश्किल होगा.

समाधान और सावधानियां

  • एंटीबायोटिक्स केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
  • पूरा कोर्स करें, बीच में दवा न छोड़ें.
  • वायरल इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक लेने से बचें.
  • साफ-सफाई और वैक्सीनेशन पर ध्यान दें.
  • डॉक्टर और फार्मासिस्ट को लगातार जागरूक किया जाए. 

एक अदृश्य खतरा, जिसे अब नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता

एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक ऐसा संकट है जो चुपचाप हमारे स्वास्थ्य तंत्र को खोखला कर रहा है. अगर अब भी हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो 2050 तक इलाज न केवल महंगा होगा, बल्कि कई बीमारियों का इलाज असंभव भी हो सकता है. समय रहते जागरूक होना ही एकमात्र बचाव है.

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