धर्मांतरण गैंग को इलाहाबाद हाईकोर्ट का 440 वोल्ट का झटका, अब कन्वर्टेड ईसाई नहीं ले पाएंगे SC/ST समुदाय के लाभ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म बदलकर ईसाई बन जाने के बावजूद हिंदू जातियों मसलन SC समुदाय को मिलने वाले सरकारी लाभ जैसे कि आरक्षण का लाभ उठाने को सरासर संविधान के साथ धोखाधड़ी करार दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद धर्मांतरण गैंग को तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा कि केवल लाभ के लिए कागज पर हिंदू बने रहना फ्रॉड है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देश के इतिहास के सबसे ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने एक ऐसा आदेश दिया है जिससे जबरन, लोभ-लालच और साजिश के तहत धर्मांतरण के खेल में लगे गैंग और मिशनरियों को तगड़ा झटका लगा है. दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने के बाद भी अनुसूचित जाति (SC) का लाभा लेना "संविधान के साथ धोखा" है.
इतना ही नहीं कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अमले, सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे लोगों की पहचान करें धर्म से तो ईसाई बन गए हैं, लेकिन SC समुदाय को मिलने वाले लाभ ले रहे हैं. इसे तुरंत बंद कर दिया जाए.
जाति बदलने को लेकर क्या कहता है कानून?
भारत के संविधान के अनुसार व्यक्ति का धर्म तो बदला जा सकता है, उसकी जाति कानूनन नहीं बदली जा सकती है. यानी कि कोई अपना धर्म परिवर्तन करता है तो वो तो बदल जाएगा, लेकिन उसकी जाति वही की वही रहेगी. कानून की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर ऐसा देखा गया कि ये मिशनरी आदिवासियों, पिछड़ों और अनुसूचित जाति (SC) का धर्म बदलवाकर ईसाई तो बनवा देते थे लेकिन उन्हें जातिगत आरक्षण का लाभ मिलता रहता था. यहां तक कि ये लोग उसके नाम भी जस की तस रहने देते थे. बस मजहब बदलवा देते थे.
आरक्षण के लिए कागज पर हिंदू बने रहना धोखाधड़ी!
आपको बता दें कि बीते दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में अपना धर्म बदलने मसलन ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद अनुसूचित जाति के लिए तय लाभ लेने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि महज आरक्षण और सरकारी लाभ के लिए धर्म ईसाई बनने के बावजूद कागज पर हिंदू बने रहना सरासर धोखाधड़ी है. कोर्ट ने आगे कहा कि धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने पर व्यक्ति अपनी मूल जाति का दर्जा खो देता है और उसे SC/ST का लाभ लेने का अधिकार नहीं रहता.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल महाराजगंज से सामने आए एक मामले के बाद अदालत को ये आदेश देने पर मजबूर होना पड़ा. यहां एक व्यक्ति धर्म बदलकर ईसाई बन गया. इसके बावजूद उसने अपने हलफनामे में अपना धर्म हिंदू बताकर था लगातार आरक्षण का लाभ लेता रहा. कोर्ट ने इस केस को बेहद गंभीरता से लिया और कहा कि यह संविधान के नाम पर फ्रॉड है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने आगे से इस तरह के मामलों को रोकने के लिए व्यापक निर्देश जारी किया है.
4 महीने के अंदर कानूनी कार्रवाई के निर्देश
इतना ही नहीं कोर्ट ने यूपी शासन को 4 महीने के अंदर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने ये निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और यूपी के सभी जिलाधिकारियों (DM) को दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों को चार महीने के भीतर ऐसे मामलों को रोकने के लिए कार्रवाई करनी होगी. हाई कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि धर्मांतरण के बावजूद आरक्षण के लाभ का दुरुपयोग करने पर कानूनी कार्रवाई हो.
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