जेलेंस्की से भिड़े ट्रंप तो दिखा रौद्र रूप, अमेरिका में बवाल हो गया !
राष्ट्रपति बनने से पहले जो ट्रंप कह रहे थे कि मैं होता तो रूस - यूक्रेन जंग होती ही नहीं वहीं ट्रंप आज अपने देश बुलाकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का अपमान कर रहे हैं…उन्हें बुलाया तो बोलने के लिए गया था…लेकिन बार बार उन्हें टोक रहे ट्रंप बदज़ुबानी पर भी आ गए

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बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। ये कहावत इस वक़्त दुनिया में महाशक्ति होने का दम भरने वाले अमेरिका पर सटीक बैठ रही है एक छोटे से देश जो पिछले 3 सालों से अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। उसपर पहले रूस और अब अमेरिका के हावी होने से बवाल मच गया है। राष्ट्रपति बनने से पहले जो ट्रंप कह रहे थे कि मैं होता तो रूस - यूक्रेन जंग होती ही नहीं वहीं ट्रंप आज अपने देश बुलाकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का अपमान कर रहे हैं। उन्हें बुलाया तो बोलने के लिए गया था।लेकिन बार बार उन्हें टोक रहे ट्रंप बदज़ुबानी पर भी आ गए।यहीं नहीं अपने मेहमान की बात सुनने की बजाए। जेलेंस्की पर तीसरे विश्व युद्ध की आग भड़काने का आरोप लगाया।लेकिन इन सबके बीच भी जेलेंस्की बिना डरे बिना सहमें और बेहद तरीक़े से अपनी बात कहते रहे। उन्होंने कहा भी कि यहां मुझे बोलने के लिए बुलाया गया लेकिन बोलने नहीं दिया जा रहा। अब इस व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान जो कुछ हुआ उससे अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
जेलेंस्की ने जाते-जाते एक X पर पोस्ट किया जिसमें उन्होंने थैंक्यू अमेरिका तो बोला है लेकिन यह जता दिया कि वे फिलहाल झुकने वाले नहीं है।असल में ट्रंप प्रशासन यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों तक अमेरिका की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता करवाना चाहता था लेकिन तीखी बहस के बाद यह समझौता रद्द हो गया। अब ट्रंप ने जो किया क्या वो सही था। इतने बड़े देश के राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ वो जितने चर्चा में रहते है क्या ये रैवया उन्हें शोभा देता है।और क्या लगता है पीएम मोदी अगर इस जगह होते तो वो ऐसे व्यवहार करते ?पीएम मोदी और भारत हमेशा से इस जंग को बातचीत से हल करने की बात कहते रहे हैं।पीएम जब यूक्रेन और रूस गए थे तब भी उन्होंने शांति का हल बातचीत से ही निकालने के लिए ही कहा था।लेकिन यहां लगता ट्रंप MAKE AMERICA GREAT का नारा देकर दवाब बनाना चाहते हैं।वो चाहते हैं की उनकी कही हुई बात सब सुनें। लेकिन उनके आगे कोई बोले नहीं।अब ऐसा हो तो हो कैसे पिछले दिनों जब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ट्रंप से मिलने गए तो उन्होंने भी ट्रंप को बीच में रोककर उन्हें ठीक किया। उसके बद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से भी उलझते नज़र आए थे। लेकिन अब जेलेंस्की के साथ जो हुआ वो तो हद हो गई। रूस - यूक्रेन के बीच शांति करवाने के लिए ट्रंप ने यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों को अपना बनाने के लिए जेलेंस्की को अपने देश बुलाया । औऱ रूस के साथ अकेले बात कर उसे पहले रूस को समझाने की बात बता रहे हैं। अमेरिका केवल अपने हित के लिए काम कर रहा है। इससे और ज्यादा साफ होता है लेकिन जेलेंस्की अगर रूस से अपने लोगों को बचाने के लिए अमेरिका का सहारा लेना चाहते हैं और कह रहे हैं कि उन्हें सुरक्षा गारंटी चाहिए तो भी उन्हें ये सब झेलना पड़ रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि उनका देश तब तक रूस के साथ शांति वार्ता में शामिल नहीं होगा जब तक उसे किसी अन्य हमले के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती। तो इसमें गलत क्या है। वहीं रूस का तरफ से अब तक इस मामले पर कोई बयान सामने नहीं आया है।