Advertisement

सीरिया में ऐसा क्या है शिया मुस्लिमों के लिए ख़ास, क्यों सता रहा डर ?

हर शिया मुस्लिम इस वक़्त सीरिया की राजधानी दमिश्क की तरफ़ देख रहा है…इसकी वजह है शिया के हाथ से सीरिया की सत्ता निकलने के बाद सुन्नी के होथों में चले जाना और इस वजह से दमिश्क और आसपास के इलाक़ों में सैयदा जैनब की दरगाह और सैयदा रुकैया मस्जिद जैसे अहम धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को ख़तरा होना..

13 Dec, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
09:41 AM )
सीरिया में ऐसा क्या है शिया मुस्लिमों के लिए ख़ास, क्यों सता रहा डर ?
सीरिया में क़रीब डेड़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध तख्तापलट के साथ ख़त्म हुआ। राष्‍ट्रपति बशर अली असद अपने परिवार के साथ देश छोड़ भागे और रूस के मोस्को में जाकर पुतिन की शरण में चले गए। असद और उनके परिवार ने लंबे समय तक सीरिया पर शासन किया अपनी सत्‍ता बचाने के लिए उन्‍होंने शिया का सहारा लिया। और अब उनका शासन खत्‍म होने से शियाओं के लिए सीरिया में बड़ा संकट खड़ा हो गया है। लेकिन हर शिया मुस्लिम इस वक़्त सीरिया की राजधानी दमिश्क की तरफ़ देख रहा है।इसकी वजह है शिया के हाथ से सीरिया की सत्ता निकलने के बाद सुन्नी के हांथो में चले जाना और इस वजह से दमिश्क और आसपास के इलाक़ों में सैयदा जैनब की दरगाह और सैयदा रुकैया मस्जिद जैसे अहम धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को ख़तरा होना हालांकि HTS यानि हयात तहरीर अल शाम ने अभी तक किसी धार्मिक स्थल को कोई नुकसान नहीं किया है और सुरक्षा का भरोसा भी अल्पसंख्यकों को दिया है।अब ये धार्मिक स्थल शियाओं के लिए इतने ख़ास हैं कि सैयदा जैनब की मजार को नुकसान ना पहुंचे। इसलिए हथियारों से लैस शिया लड़ाके मजार के आसपास तैनात रहते हैं।इनमें लेबनानी गुट हिजबुल्लाह के लड़ाके भी शामिल हैं।शिया लड़ाकों का कहना है कि सैयदा जैनब के रौजे की हिफाजत उनका फर्ज है।


सैयदा जैनब पैगंबर मोहम्‍मद की नवासी हैं।यानी की सैयदा जैनब, पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा और इमाम अली की बेटी हैं।दमिश्क में ही सैयदा रुकैया मस्जिद है। ये मस्जिद पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की बेटी और हजरत अली की पोती रुकैया के मकबरे के पास बनाई गई है। दमिश्क का बाब अल-साघिर कब्रिस्तान भी ऐतिहासिक है, जहां रुकैया की बड़ी बहन सुकैना दफ्न हैं। ये शिया मुसलमानों के धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं।और दुनियाभर से हर साल लाखों शिया मुस्लिम इन जगहों की ज़ियारत करने जाते हैं।शियाओं के डर की वजह ये भी है कि असद शासन से लड़ रहे सीरिया के विद्रोही गुट सलाफी विचारधार के हैं। ये लोग मजारों को नहीं मानते हैं, ऐसे में शियाओं को डर है कि कहीं वे सैयद जैनब की मजार को नुकसान ना पहुंचा दें।

दमिश्क के ग्रमीण इलाक़े में बनी से दरगाह पश्चिम एशिया के सबसे प्रमुख शिया धार्मिक स्थलों में से एक है पैगंबर मोहम्मद के परिवार से होने के साथ ही पैगंबर की शिक्षाओं और विरासत को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाने और ख़राब परिस्थितियों में अटूट धैर्य के लिए सैयदा जैनब का मुसलमानों के बीच बहुत सम्मान है।खासतौर से शिया मुस्लिमों की उनमें बहुत आस्था है। पारंपरिक इस्लामी डिजाइन में बनी इस इमारत में शानदार गुंबद और मीनारें हैं। सैयदा जैनब दरगाह के महत्व को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि सीरिया में जंग शुरू होने के बाद इसकी सुरक्षा के लिए दुनिया के कई देशों से शिया लड़ाके दमिश्क पहुंच गए थे।

दमिश्क में ही बनी सैय्यदा रुकैया मस्जिद को 1985 में शानदार बनाया गया। ये इमारत नीली सिरेमिक टाइलों से सजी है। इराक, ईरान और दुनियाभर के शिया यहां पहुंचते हैं। वहीं दमिश्क का बाब अल-साघिर कब्रिस्तान मुसलमानों के बीच अलग और खास जगह रखता हैइसकी वजह इस कब्रिस्तान में पैगंबर मोहम्मद के समय के कई अहम लोगों की कब्र है।

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें