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‘उदयपुर फाइल्स' के खिलाफ मौलाना अरशद मदनी ने मोदी सरकार पर निकाली भड़ास, बोले- सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था…

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने फिल्म पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भारतीय मुसलमानों को आतंकवाद के समर्थक के रूप में दर्शाती है, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दे सकती है.

24 Jul, 2025
( Updated: 24 Jul, 2025
10:10 PM )
‘उदयपुर फाइल्स' के खिलाफ मौलाना अरशद मदनी ने मोदी सरकार पर निकाली भड़ास, बोले- सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था…

राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ काफी दिनों से खबरों में बनी हुई है, हाल ही में खबरें आई थी कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फिल्म पर रोक लगा दी है. इस फिल्म को 11 जुलाई को रिलीज़ किया जाना था, लेकिन अभी फिल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ़ नहीं हुआ है. 

‘उदयपुर फाइल्स’ मामले में दायर हुआ हलफनामा
वहीं अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने फिल्म पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भारतीय मुसलमानों को आतंकवाद के समर्थक के रूप में दर्शाती है, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दे सकती है.  

मोदी सरकार पर बौखलाए अरशद मदनी
मदनी ने दावा किया कि कथित तौर पर फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान के आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाला या उनके इशारे पर काम करने वाला दिखाया गया है.  उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा बताया और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से गठित स्क्रीनिंग कमेटी के आदेश पर भी सवाल उठाए. 

‘ये फिल्म भारतीय मुसलमानों को गलत तरीके से पेश करती है’
उन्होंने कहा कि मंत्रालय उनकी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रहा और केवल कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा किया. कमेटी ने फिल्म में सिर्फ छह मामूली बदलावों का सुझाव दिया, जो उनके मुताबिक अपर्याप्त हैं. मदनी ने आरोप लगाया कि सरकार ने सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्यों को ही स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल किया, जबकि जमीयत ने सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट को ही चुनौती दी थी. यह हितों के टकराव का मामला है. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी कमेटी का गठन नहीं करना चाहिए था. जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि फिल्म के निर्माताओं को निर्देश दिया जाए कि वे एक निजी स्क्रीनिंग आयोजित करें, ताकि कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज फिल्म की सामग्री और मंशा को समझ सकें. 

मदनी का कहना है कि यह फिल्म न केवल भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर केंद्रित है, बल्कि यह भारतीय मुसलमानों को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. 

हाई कोर्ट ने लगाई थी फिल्म की रिलीज पर रोक
 फिल्म की रिलीज को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस मामले में अंतिम फैसला नहीं लेती, तब तक फिल्म रिलीज नहीं होगी. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद को सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा-6 के तहत केंद्र सरकार के पास अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए दो दिन का समय दिया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि ऐसी शिकायत मिलती है, तो केंद्र सरकार को एक सप्ताह में फैसला लेना होगा.

किस पर बेस्ड है फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’?
‘उदयपुर फाइल्स’ 28 जून 2022 को उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल साहू की हत्या पर आधारित है. कन्हैया लाल पर आरोप था कि उन्होंने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी, जिसके बाद दो हमलावरों ने उनकी दुकान पर घुसकर गला रेतकर हत्या कर दी थी. इस घटना को हमलावरों ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल भी किया था, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया था.

फिल्म की स्टारकास्ट 
फिल्म में विजय राज, रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म 11 जुलाई को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी. हालांकि, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर कर दावा किया कि फिल्म का कंटेंट सांप्रदायिक तनाव भड़का सकता है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से पहले कई कट्स लगाए थे.

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क्यों विवादों में है फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ वर्ष 2022 में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है. ट्रेलर में नूपुर शर्मा के बयान, ज्ञानवापी विवाद और कुछ ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिन्हें लेकर आरोप लगे हैं कि वे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाते हैं. इसी आधार पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली, मुंबई और गुजरात हाईकोर्ट में फिल्म की रिलीज पर  रोक लगाने की याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह फिल्म सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है, वहीं फिल्म निर्माता दावा कर रहे हैं कि उनका उद्देश्य केवल सत्य को सामने लाना है.

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