शर्मिंदगी हो रही मुझे...देवबंद में आमिर खान मुत्तकी का शाही सम्मान, भड़के जावेद अख्तर, बताया तालिबान का इतिहास
तालिबान के विदेश मंत्री के देवबंद दौरे को लेकर देशभर में विवाद छिड़ गया है. मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है और लोगों की प्रतिक्रियाएं दो हिस्सों में बंट गई हैं.
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मशहूर गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर ने अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के उत्तर प्रदेश के देवबंद में भव्य स्वागत पर तीखी नाराजगी जताई है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में अख्तर ने लिखा कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन के नुमाइंदे का ऐसा सम्मान देखकर उनका सिर शर्म से झुक जाता है. यह बयान मुत्ताकी के भारत दौरे के दौरान आया, जो 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है.
तालिबान विदेश मंत्री का भारत दौरा
आमिर खान मुत्ताकी 9 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे, जहां विदेश मंत्रालय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. संयुक्त राष्ट्र के ट्रैवल बैन में छूट के बाद यह दौरा हुआ. 10 अक्टूबर को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसमें दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर करने और काबुल में भारतीय दूतावास को पूरी तरह दोबारा खोलने पर बात हुई. 11 अक्टूबर को मुत्ताकी सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद पहुंचे, जो दक्षिण एशिया का बड़ा इस्लामी मदरसा है. यहां दारुल उलूम के हेड मौलाना अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना अरशद मदनी और दूसरे लोगों ने फूल-मालाओं के साथ उनका शानदार स्वागत किया.
मुत्ताकी ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा, "भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों का भविष्य अच्छा है. हम नए राजदूत भेजेंगे और आपसे काबुल आने की उम्मीद करते हैं. " उन्होंने चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स पर साथ काम करने की बात भी कही. दारुल उलूम देवबंद का तालिबान से पुराना कनेक्शन है. तालिबान की विचारधारा देवबंदी इस्लाम से जुड़ी है, हालांकि पाकिस्तान का दारुल उलूम हक्कानिया 'तालिबान का जनक' माना जाता है. इस दौरे को तालिबान की वैधता बढ़ाने और भारत को धार्मिक डिप्लोमेसी से जोड़ने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
जावेद अख्तर का तीखा रिएक्शन
13 अक्टूबर को एक्स पर जावेद अख्तर ने लिखा, "जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन तालिबान के नुमाइंदे का स्वागत उन लोगों ने किया, जो आतंकवाद के खिलाफ बड़े-बड़े दावे करते हैं, तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है. देवबंद को भी शर्मिंदगी महसूस होनी चाहिए कि उसने अपने 'इस्लामी हीरो' का ऐसा सम्मान किया, जो उन लोगों में है जिन्होंने लड़कियों की पढ़ाई पर पूरी तरह बैन लगा दिया." मेरे भारतीय भाई-बहनो! हमारे साथ क्या हो रहा है?" अख्तर ने तालिबान के औरतों और लड़कियों की एजुकेशन पर लगाए बैन का खास जिक्र किया, जो दुनियाभर में निंदा का सबब रहा है. उनकी पोस्ट एक्स पर वायरल हो गई. कुछ यूजर्स ने उनकी बात का समर्थन किया, तो कुछ ने डिप्लोमेसी की जरूरत बताकर इसका बचाव किया. एक यूजर ने लिखा, "डिप्लोमेसी का मतलब सहमति नहीं, बल्कि असर डालना है. " लेकिन अख्तर के सपोर्टर्स ने तालिबान के ह्यूमन राइट्स वायलेशन पर जोर दिया.
I hang my head in shame when I see the kind of respect and reception has been given to the representative of the world’s worst terrorists group Taliban by those who beat the pulpit against all kind of terrorists . Shame on Deoband too for giving such a reverent welcome to their “…
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) October 13, 2025
देवबंद दौरे का मायना
धार्मिक और डिप्लोमैटिक नजरियादारुल उलूम देवबंद का तालिबान से गहरा रिश्ता है. 19वीं सदी में शुरू हुआ यह मदरसा देवबंदी मूवमेंट का सेंटर रहा, जिसने ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी. तालिबान के कई लीडर देवबंदी विचारधारा से प्रभावित हैं, हालांकि भारत का दारुल उलूम पाकिस्तान के वर्जन से अलग है. मुत्ताकी का दौरा पाकिस्तान के दावों को चैलेंज करने का जरिया माना जा रहा है, जो खुद को देवबंदी इस्लाम का लीडर बताता है.
इस दौरे में मुत्ताकी ने हदीस पढ़ी और 'कासमी' टाइटल हासिल किया. अभी अफगानिस्तान से 15 स्टूडेंट्स देवबंद में पढ़ रहे हैं, हालांकि वीजा रूल्स की वजह से उनकी तादाद पहले से कम है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह दौरा भारत को अफगानिस्तान में असर बढ़ाने का मौका देता है, खासकर सिक्योरिटी और ट्रेड के मामले में.
सोशल मीडिया पर हंगामा
अख्तर के बयान ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी. कई यूजर्स ने तालिबान के प्रति भारत की नरम रवैये पर सवाल उठाए, तो कुछ ने कहा कि डिप्लोमेसी में वैचारिक मतभेदों को इग्नोर करना पड़ता है. बॉलीवुड की दूसरी हस्तियों ने अभी चुप्पी साधी है, लेकिन अख्तर की बेबाकी ने उनकी प्रोग्रेसिव इमेज को और मजबूत किया.
यह मामला भारत की अफगान पॉलिसी पर नई बहस छेड़ रहा है, जहां ह्यूमन राइट्स और स्ट्रैटेजिक इंटरेस्ट्स में बैलेंस बनाना मुश्किल है. मुत्ताकी का दौरा 16 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें वे आगरा में ताजमहल देखेंगे और बिजनेस लीडर्स से मिलेंगे.
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