अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मशहूर फिल्ममेकर की मौत, DNA टेस्ट से हुआ कंफर्म
12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में मशहूर गुजराती फिल्ममेकर महेश जीरावाला की मौत की पुष्टि हो गई है. डीएनए जांच से पहचान हुई, जानिए पूरी घटना और परिवार की प्रतिक्रिया.
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अहमदाबाद, 12 जून 2025 — जीवन कभी-कभी इतनी बेरहमी से छीन लेता है कि अपनों के पास ना कोई शब्द बचते हैं, ना ही आंसुओं की ताकत. अहमदाबाद में हाल ही में हुए भयावह विमान हादसे ने देशभर को झकझोर कर रख दिया. इस त्रासदी में 240 मासूम जिंदगियां चली गईं, और अब पुष्टि हो चुकी है कि गुजरात के फिल्म निर्देशक महेश जीरावाला भी उन पीड़ितों में शामिल थे.
एक उभरती आवाज, एक शांत विदाई
महेश जीरावाला ने गुजराती फिल्मों में अपनी मेहनत और सच्ची भावनाओं से खास जगह बनाई थी. ऐसे कलाकार का अचानक यूं चले जाना सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे सिने जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
बता दें दुर्घटना के बाद सबसे पहले शाहीबाग इलाके में दुर्घटनास्थल के पास महेश जी का स्कूटर लावारिस हालत में मिला था. मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हो गया था और उसकी आखिरी लोकेशन क्रैश साइट से केवल 700 मीटर दूर दर्ज की गई थी. ये सब इशारा कर रहे थे कि शायद महेश जी भी उस दिन वहां मौजूद थे, लेकिन कहीं ना कहीं परिवार को एक चमत्कार की उम्मीद थी.
जब शंकास्पद शव मिला, तो परिजनों ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया. मन नहीं मान रहा था. महेश जी को यूं खो देने की कल्पना भी असहनीय थी. लेकिन दिल को समझाना एक बात होती है, और सच्चाई को स्वीकारना दूसरी.
Film director Mahesh Jirawala feared dead in AI crash: Why was he 700 mtrs from the crash site?https://t.co/KsO2GQKnTN#maheshjirawala #AirIndiaPlaneCrash #AirIndiaCrash pic.twitter.com/my5DSxLpKb
— shefali jha (@shefalijha) June 17, 2025
डीएनए रिपोर्ट ने की पुष्टि
परिवार ने सच्चाई जानने के लिए डीएनए टेस्ट की मांग की. और अब, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये पुष्टि हो गई है कि महेश जीरावाला का निधन इसी हादसे में हुआ था. डॉक्टर्स ने डीएनए जांच के बाद शव को उनके परिवार को सौंप दिया है, जिससे अब उनका अंतिम संस्कार किया जा सकेगा.
सिनेमा को कहा अलविदा, लेकिन यादें अमर
महेश जीरावाला की मौत से गुजरात की कला और संस्कृति ने एक प्रेरणास्रोत खो दिया है. उनकी फिल्मों में एक सच्चाई थी, एक भावना थी, और सबसे बढ़कर, समाज को जागरूक करने की ईमानदार कोशिश थी.उनके करीबी कहते हैं कि वो हमेशा कैमरे के पीछे रहकर इंसानों की कहानियों को बोलने देना पसंद करते थे. आज वही कहानी अधूरी रह गई है.
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इस हादसे ने केवल महेश जीरावाला को नहीं छीना, बल्कि उनके अधूरे ख्वाबों, कहानियों और समाज के लिए उनकी आवाज को भी हमेशा के लिए खामोश कर दिया.
उनके चाहने वालों, दोस्तों, प्रशंसकों और फिल्म बिरादरी के लिए ये खबर किसी सदमे से कम नहीं. लेकिन उनकी बनाई फिल्में, उनके विचार और उनकी संवेदनशीलता हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे.
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