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रमा एकादशी का व्रत क्यों होता है खास? पौराणिक कथा से समझें इस दिन का महत्व

वैसे तो हिंदू धर्म में बहुत सारे व्रत किए जाते हैं, उन्हीं में से एक होता है रमा एकादशी का व्रत. मान्यता है कि जो जातक इस दिन व्रत रखकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. लेकिन आखिर यह व्रत क्यों रखा जाता है? इस व्रत को रखने के पीछे क्या पौराणिक कथा छिपी है? आइए विस्तार से जानते हैं…

17 Oct, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
10:17 PM )
रमा एकादशी का व्रत क्यों होता है खास? पौराणिक कथा से समझें इस दिन का महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है. जातक व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. मान्यता है कि आज विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है. रमा एकादशी की महिमा का उल्लेख ब्रह्म-वैवर्त पुराण और पद्म पुराण में मिलता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद के माध्यम से इसके महत्व को बताया गया है.

रमा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा 

भगवान ने एकादशी को लेकर कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में राजा मुचुकुंद भगवान विष्णु के परम भक्त और सत्यनिष्ठ शासक थे. वह अपने राज्य में रमा एकादशी का व्रत अनिवार्य रूप से करवाते थे. उनके राज्य में सभी लोग इस दिन निर्जला व्रत रखते और भगवान की भक्ति में लीन रहते. मुचुकुंद की पुत्री चंद्रभागा का विवाह राजकुमार शोभन से होता है, जो शारीरिक रूप से कमजोर था. फिर भी, शोभन ने ससुर के नियम और अपनी भक्ति के बल पर रमा एकादशी का व्रत रखा. कठिन व्रत के कारण द्वादशी के दिन पारण से पहले उनकी मृत्यु हो गई. चंद्रभागा दुखी हुई, लेकिन उसका भगवान पर विश्वास अटल रहा. वहीं, भगवान विष्णु ने शोभन की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अगले जन्म में मंदराचल पर्वत का राजा बनाया. जब राजा मुचुकुंद ने अपने दामाद को राजा के रूप में देखा, तो चंद्रभागा को यह समाचार दिया. चंद्रभागा ने भी रमा एकादशी का व्रत रखा और पुण्य प्राप्त किया. अंततः वह अपने पति के साथ सुखपूर्वक रहने लगी.

मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से होती हैं भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण 

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रमा एकादशी केवल व्रत नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का पर्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह व्रत जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति लाता है. भक्त सुबह स्नान कर, भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेते हैं और दिनभर भक्ति-भाव से पूजा करते हैं. रमा एकादशी का व्रत हर वर्ग के लिए कल्याणकारी है. यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाता है, बल्कि जीवन को सुखमय बनाता है.

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