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कब है परिवर्तिनी एकादशी, इसका व्रत क्यों माना जाता है बेहद खास और क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त, जानें सबकुछ

अगर आप भी करना चाहते हैं अपनी गलतियों का प्रायश्चित तो 3 सितंबर के दिन परिवर्तिनी एकादशी का व्रत ज़रूर रखें. आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त कब है, व्रत को रखने के लाभ, साथ ही व्रत के दिन किन सावधानियों को बरतना अनिवार्य है जानिए...

30 Aug, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
10:52 PM )
कब है परिवर्तिनी एकादशी, इसका व्रत क्यों माना जाता है बेहद खास और क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त, जानें सबकुछ
Bhagwan Vishnu

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन आने वाली परिवर्तिनी एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. वैसे तो साल भर में 24 एकादशियां मनाई जाती हैं, लेकिन परिवर्तिनी एकादशी को बेहद खास माना जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में की गई गलतियों का पश्चाताप हो जाता है. आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, व्रत करने के लाभ और व्रत करते समय किन बातों को याद रखना चाहिए.

परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 3 सितंबर को सुबह 04 बजे से शुरू होकर 4 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इसलिए 3 सितंबर को ही परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दौरान पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 35 मिनट से लेकर 9 बजकर 10 मिनट तक रहने वाला है.

परिवर्तिनी एकादशी को व्रत करने के क्या लाभ हैं?

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  • मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से आत्मा को शांति भी मिलती है.
  • अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो इस व्रत को कर सकते हैं, इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.
  • इस व्रत को करने से आत्मा की शुद्धि होती है. साथ ही पाचन तंत्र को आराम भी मिलता है.
  • इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और भक्त के बीच का संबंध भी मज़बूत होता है.

व्रत के नियम क्या हैं?

  • व्रत का संकल्प लेने से पहले भगवान विष्णु को ज़रूर याद करें.
  • इस दौरान चावल, अनाज और तामसिक भोजन से दूर रहें.
  • इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान वामन का पाठ भी ज़रूर करें. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना न भूलें.
  • इस दिन गरीबों में भोजन, कपड़ा या फिर धन का दान ज़रूर करें.
  • एक बात और ध्यान में रखें कि व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर ही करें.

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