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इस सोमवार जरुर करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, मिलेगा मनोवांछित फल और दूर होगी संतान से जुड़ी हर समस्या!

कई बार जीवन में बहुत सारी समस्याएं अचानक आने लगती हैं, ऐसे में समझ नहीं आता है कि असल में इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिए, लेकिन इस सोमवार आप भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्याओं को कम कर सकते हैं. मात्र मंत्र जाप से भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

27 Oct, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
11:43 AM )
इस सोमवार जरुर करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, मिलेगा मनोवांछित फल और दूर होगी संतान से जुड़ी हर समस्या!

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सोमवार को है. यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार के दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 7 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.

स्कंद षष्ठी का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि भगवान कार्तिकेय ने इस दिन तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था. देवताओं ने इस दिन जीत की खुशी में स्कंद षष्ठी का उत्सव मनाया था. यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें स्कंद षष्ठी का व्रत अवश्य करना चाहिए. इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है.

किस तरह करें भगवान कार्तिकेय की पूजा?

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और आसन बिछाएं, फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित करें. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा करें और व्रत संकल्प लें.

किस मंत्र के जाप से दूर होगी हर समस्या!

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इसके बाद कार्तिकेय भगवान को वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें. भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा है. इस वजह से इस दिन को स्कंद षष्ठी, कांडा षष्ठी के साथ चंपा षष्ठी भी कहते हैं. भगवान कार्तिकेय की आरती और तीन बार परिक्रमा करने के बाद “ऊं स्कंद शिवाय नमः” मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करें और प्रसाद ग्रहण करें.

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