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महाराष्ट्र का ऐसा अद्भुत मंदिर जहां भक्त नहीं बल्कि भगवान करते है श्रद्धालुओं की प्रतिक्षा, जानें कार्तिकी एकादशी पर क्यों बढ़ जाता है महत्व

आपने कई मंदिरों में देखा होगा कि भक्त लंबी-लंबी लाइनों में भगवान के दर्शन के लिए इंतज़ार करते हैं. लेकिन महाराष्ट्र में मौजूद है ऐसा मंदिर जहाँ भक्त नहीं बल्कि भगवान भक्तों का इंतज़ार करते हैं. इस मंदिर में एकादशी को भी बहुत महत्व दिया जाता है. मंदिर के बारे में अद्भुत जानकारी के लिए आगे ज़रूर पढ़ें…

09 Oct, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
10:16 AM )
महाराष्ट्र का ऐसा अद्भुत मंदिर जहां भक्त नहीं बल्कि भगवान करते है श्रद्धालुओं की प्रतिक्षा, जानें कार्तिकी एकादशी पर क्यों बढ़ जाता है महत्व
Twitter@PandharpurVR

देशभर में बहुत सारे ऐसे मंदिर हैं, जहां भक्त भगवान के दर्शन की अभिलाषा के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगकर इंतजार करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु खुद भक्त के इंतजार में एक ईंट पर खड़े रहते हैं. यह मंदिर चंद्रभागा नदी के तट पर मौजूद है और यहां भक्त भगवान विट्ठल से मिलने के लिए नंगे पैर यात्रा करके भी आते हैं. चलिए विस्तार से जानते हैं…

बुधवार से कार्तिक मास शुरू हो चुका है और ये पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है. माना जाता है कि कार्तिक माह में रोज स्नान करके, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर जाप करने से भगवान विष्णु से मनचाही इच्छा का वरदान मांगा जा सकता है.

देवउठनी एकादशी के दिन भक्त पैदल यात्रा करके आते हैं

यही महीना पंढरपुर के विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर के लिए बेहद खास होता है. कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन मंदिर में भगवान को शयन से जगाने के लिए भक्त बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं. इस दिन भक्त पैदल यात्रा करके भगवान विट्ठल से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर पहुंचते हैं.

देवउठनी एकादशी पर मंदिर में दिखता भव्य नजारा

देवउठनी एकादशी के मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और इस दिन मंदिर पूरे 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है. भक्त रातभर चंद्रभागा नदी के तट और मंदिर में कीर्तन और भजन कर भगवान विट्ठल को जगाते हैं. इस दिन मंदिर में महाप्रसाद का भोज भी नारायण को लगता है, जिसमें श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार दान करते हैं.

पंढरपुर के मंदिर में कार्तिकी एकादशी का है बेहद महत्व

पंढरपुर के मंदिर में आषाढ़ी एकादशी और कार्तिकी एकादशी का बहुत महत्व है. आषाढ़ी एकादशी यानी विष्णु भगवान के सोने के समय पर भक्त कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर विट्ठल मंदिर पहुंचते हैं. मंदिर में पैदल चलने की मान्यता बीते 800 साल से चल रही है और आज भी देवशयनी एकादशी पर भक्त कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर मंदिर पहुंचते हैं.

कार्तिकी एकादशी पर नींद से जागते हैं भगवान विष्णु

कार्तिकी एकादशी पर भगवान अपनी नींद से जागते हैं. भक्तों के लिए ये दिन बहुत खास होता है. सिर्फ पंढरपुर में ही नहीं बल्कि देश के लगभग हर हिस्से में देवउठनी एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है. देवउठनी एकादशी के बाद से शादियों के मुहूर्त और शुभ काम दोबारा शुरू हो जाते हैं, जो पौष माह के पहले तक चलते हैं. पौष में 21 दिन के लिए फिर से शुभ काम बंद हो जाते हैं.

भगवान विष्णु आज भी कर रहे इंतजार!

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पंढरपुर के विट्ठल मंदिर की मान्यता बेहद खास है. माना जाता है कि भक्त पुंडलिक से खुद मिलने भगवान विष्णु आए थे. कहा जाता है कि परम भक्त पुंडलिक ने अपने माता-पिता की असीम सेवा की थी, जिसके भाव से प्रसन्न होकर खुद भगवान विष्णु विट्ठल अवतार में प्रकट हुए थे. कहा जाता है कि भक्त पुंडलिक ने खुद भगवान को एक ईंट पर खड़े होकर इंतजार करने के लिए कहा था. तब से मंदिर में भगवान की वही प्रतिमा स्थापित है.

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