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दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का जन्माष्टमी से कनेक्शन, यहां क्यों अलग परंपरा से मनाया जाता है यह त्यौहार?

मान्यताओं के अनुसार मंदिर के पास स्थित झील का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास के समय में करवाया था. इसलिए ये झील और यहां बना युला कांडा मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है.

12 Aug, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
10:20 PM )
दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का जन्माष्टमी से कनेक्शन, यहां क्यों अलग परंपरा से मनाया जाता है यह त्यौहार?
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जिसने अर्जुन को गीता का सार समझाया, जिसने अपनी लीलाओं से सबको दीवाना बनाया, जिसने प्रेम का सही अर्थ समझाया वो हैं श्रीकृष्ण. भगवान विष्णु के आठवें अवतार. जब भक्त को जीवन में कभी मुश्किलें आती हैं, तब-तब श्रीकृष्ण आत्म-ज्ञान का मार्ग बनकर उसका साथ देते है. और अब 16 अगस्त को इन्हीं का जन्म दिवस आने वाला है, इस दिन माखनचोर के भक्त उनके दर्शन के लिए वृंदावन, मथुरा जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है, जहां जन्माष्टमी का त्यौहार बिल्कुल अलग तरह से मनाया जाता है. मंदिर का नाम है युला कांडा मंदिर जो कि समुद्र तल से लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये मंदिर हिमांचल के किन्नौर जिले में बसा हुआ है, इसलिए इसकी प्राकृतिक सुंदरता और आध्य़ात्म शक्ति भक्तों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है.

मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता
मान्यताओं के अनुसार मंदिर के पास स्थित झील का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास के समय में करवाया था, इसलिए ये झील और यहां बना युला कांडा मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, इस मंदिर की जन्माष्टमी भारत में बेहद ही मशहूर है, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां मनाई जाने वाली जन्माष्टमी उत्सव का इतिहास बुशहर रियासत से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि बुशहर रियासत के समय में राजा केहरी सिंह ने इस परंपरा की शुरुआत की थी, हालांकि उस समय ये उत्सव बहुत छोटे स्तर पर मनाया जाता था. लेकिन अब इस उत्सव के बारे में दुनिया जानती है. इसलिए जब भी जन्माष्टमी का त्यौहार आने वाला होता है तब से ही इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लग जाती है.

 

जन्माष्टमी मनाने की दिलचस्प परंपरा
जब भी जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है तो भक्त मंदिर के पास वाली झील में किन्नौरी टोपी उल्टी करके डालते हैं ताकि मनोकामना जल्द ही पूरी हो सके. अगर टोपी बिना डूबे तैरती हुई झील के किनारे तक पहुंच जाती है, तो इसका मतलब होता है कि जल्द ही आपकी मनोकामना पूरी होगी. लेकिन अगर टोपी बीच में ही डूब गई तो मतलब आपका भाग्य आपका साथ नहीं देगा और आने वाला साल भी बुरा जाएगा.

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मंदिर तक कैसे पहुंचे ?
आपको हवाई जहाज से किन्नौर आने के लिए सबसे नजदीक रेलवे एयरपोर्ट शिमला ही पड़ेगा, ये कल्पा से करीब 267 किलोमीटर दूर है, यहां से दिल्ली और कुल्लू के लिए हवाई सुविधा भी उपलब्ध है, इसके बाद एयरपोर्ट से किन्नौर तक पहुंचने के लिए आपको टैक्सी मिल जायेगी लेकिन आपको इस जर्नी में कुछ किलोमीटर का ट्रैक भी करना पड़ेगा. इस तरह आप यहां पहुंच सकते है.

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