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'वैश्यों की काशी' नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में विराजती हैं देवी पार्वती! जानें पौराणिक कथा

दक्षिण भारत के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी वास्तुकला और मान्यताओं की वजह से जाने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के पेनुगोंडा में है. इस मंदिर का नाम श्री वासवी कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर है, जो वैश्य समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है. चलिए विस्तार से जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारें में.

07 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
08:10 AM )
'वैश्यों की काशी' नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में विराजती हैं देवी पार्वती! जानें पौराणिक कथा

दक्षिण भारत के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी वास्तुकला और मान्यताओं की वजह से जाने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के पेनुगोंडा में है. इस मंदिर का नाम श्री वासवी कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर है, जो वैश्य समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है. 

आंध्र प्रदेश में स्थित वैश्या की काशी का रहस्य!

पश्चिम गोदावरी जिले में स्थित ये मंदिर इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस स्थान को वासवी कणिका परमेश्वरी का जन्म स्थल भी माना जाता है और इसे 'वैश्यों की काशी' भी कहा जाता है. ये मंदिर आंध्र प्रदेश में कोमाटी समुदाय की परंपरा को दर्शाते हैं. इस समुदाय के लोग कन्याका परमेश्वरी देवी को मां पार्वती के रूप में पूजते हैं. ये मां का सबसे पवित्र रूप माना जाता है. इस समुदाय में आर्य वैश्य, कलिंग वैश्य, अरवा वैश्य, मराठी वैश्य, बेरी वैश्य और त्रिवर्णिका वैश्य आते हैं.

श्री वासवी कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा!

मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. माना जाता है कि बहुत तप के बाद पेनुगोंडा पर राज करने वाला राजा कुसुम श्रेष्ठी और उनकी पत्नी कुसुसमाम्बा ने एक पुत्र और पुत्री के जन्म दिया था. पुत्री का नाम वासवम्बा था, जो कई कलाओं में निपुण थी. उनकी सुंदरता और कला को देखकर हर कोई मोहित हो जाता था. ऐसे में दूसरे राज्य के राजा विष्णु वर्धन की नजर वासवम्बा पर पड़ी और उन्होंने राजा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. राजा विष्णु पहले से विवाहित थे, ऐसे में कुसुम श्रेष्ठी अपनी बेटी का विवाह विष्णु वर्धन के साथ नहीं करना चाहते थे. वासवम्बा ने भी आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया लेकिन ये बात विष्णु वर्धन को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने पेनुगोंडा राज्य पर आक्रमण कर दिया. पेनुगोंडा राज्य लड़ाई में हारने लगा, तभी वासवम्बा ने अपना असली रूप दिखाया और मां पार्वती के रूप में लोगों और अपने राज्य की रक्षा की. तब से वहां वासवम्बा को मां पार्वती के अवतार में पूजा जाता है.

कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर की अद्भुत है वास्तुकला!

कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर की वास्तुकला बहुत खास है. मंदिर में कई ऊंचे राजगोपुरम हैं, जिन्हें खूबसूरत मूर्तियों से सजाया गया है. राजगोपुरम में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के अलावा वासवम्बा के माता-पिता की मूर्तियां भी बनी हैं. मंदिर में एक मुख्य गर्भगृह है, जहां मां कन्याका परमेश्वरी की प्रतिमा विराजमान है.

कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर के साथ इनके दर्शन जरुर करें!

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कन्याका परमेश्वरी देवी मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर 12 बजे तक और दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजे तक खुलता है. अगर आप मां कन्याका परमेश्वरी देवी के दर्शन के लिए आते हैं तो मंदिर के पास ही अस्तलक्ष्मी मंदिर भी है, जो मां लक्ष्मी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इसके अलावा, वहां से श्री वेंकटेश्वर वेद पाठशाला में घूमने भी जा सकते हैं, जो भीमावरम गांव में स्थित है.

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