Advertisement

इस मंदिर में देवताओं का होता है आमना-सामना, स्कंदाश्रमम की पूजा से मिलता है संतान का सुख!

तमिलनाडु के सलेम जिले के उदयपट्टी गांव में पहाड़ियों के बीच बसा स्कंदाश्रमम मंदिर भगवान मुरुगन यानी स्कंद को समर्पित है. 1971 में बने इस मंदिर से कई भक्तों की आस्था जुड़ी है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन-पूजन से संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. ऐसे में आप भी इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जान लीजिए.

03 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
03:24 PM )
इस मंदिर में देवताओं का होता है आमना-सामना, स्कंदाश्रमम की पूजा से मिलता है संतान का सुख!

दक्षिण भारत में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय यानी स्कंद (मुरुगन) की पूजा होती है. दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों में मुरुगन को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन तमिलनाडु के सलेम में बना स्कंदश्रमम मंदिर विशेष है. यहां भगवान स्कंद अकेले नहीं, बल्कि कई देवी-देवताओं के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर में मां लक्ष्मी अष्टादश भुजा रूप (18 भुजाओं के साथ) में विराजमान हैं. 

स्कंदश्रमम मंदिर में मौजूद हैं कई छोटे मंदिर!

उदयपट्टी गांव में स्कंदश्रमम मंदिर पहाड़ियों के बीचों बीच बसा है और दूर-दूर से भक्त यहां भगवान के पंच रूपी और अष्टरूपी प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में कई छोटे-छोटे मंदिर बने हैं, जिनमें पंचमुख विनायक, अष्टादशभुजा महालक्ष्मी, पंचमुख अंजनेय और भगवान धन्वतरि विराजमान हैं. मंदिर की स्थापना ओम श्री संतानंद स्वामीगल ने कराई थी और मंदिर का निर्माण कार्य 1971 में पूरा हुआ था. किवदंती कि भगवान स्कंद ने ओम श्री संतानंद स्वामीगल को सपने में आकर दर्शन दिए थे और पहाड़ी पर मंदिर बनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराया.

संतानहीन दंपत्ति के लिए वरदान है ये मंदिर!

माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और संतानहीन दंपत्ति के लिए ये मंदिर पूज्यनीय है. कहा जाता है कि जिन दंपत्ति के पास संतान नहीं है, वे इस मंदिर में आकर अनुष्ठान करते हैं. भगवान मुरुगन और अष्टादश भुजी महालक्ष्मी भक्तों की मुरादों को पूरा करती हैं.

मंदिर में होती है मुरुगन की विशेष पूजा!

इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां की ज्यादातर प्रतिमाएं आमने-सामने की तरफ हैं. मंदिर में मुरुगन की स्कंद गुरु के रूप में पूजा की जाती है और मां लक्ष्मी को अष्टभुजा महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है; दोनों की प्रतिमाएं एक-दूसरे के आमने-सामने विराजमान हैं. मंदिर में मां पार्वती को दुर्गा परमेश्वरी के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में स्कंदमठ भी है, जहां अष्ट दशपूजा महालक्ष्मी और दुर्गा परमेश्वरी की खास पूजा होती है. इसके साथ ही मंदिर परिसर के उत्तरी भाग के बाहरी परिसर में 16 फुट की पंचमुख आंजनेयर और पंचमुख भगवान गणेश की अद्भुत मूर्तियां देखी जा सकती हैं.

इस उपाय से दूर होंगी संतान संबंधी परेशानियां!

यह भी पढ़ें

जो भक्त मंदिर में आकर 'स्कंद कवचम' का पाठ करते हैं, उनकी हर परेशानी दूर होती है और संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. मंदिर में सभी देवी-देवताओं का अभिषेक होता है, लेकिन बाकी मंदिरों की तरह पूजा-पाठ नहीं की जाती. मंदिर में भगवान की कपूर से पूजा करने पर पाबंदी है. तमिल त्योहार वैकासी विसकम, नवरात्रि और पंगुनी उथिरम के मौके पर मंदिर में विशेष कार्यक्रम और अनुष्ठान होते हैं. मंदिर में बड़ी यज्ञशाला भी मौजूद है, जहां यज्ञ किए जाते हैं.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें