Advertisement

आखिर कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति? भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के अहंकार से जुड़ी है पौराणिक कथा

जिनका न अंत है न आरंभ है, जो न शून्य है न विशाल है, जिनसे ही प्रकृति का प्रमाण है, वो कहलाते हैं भगवान शिव. हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और रहस्यमयी देवता हैं भगवान शिव. माना जाता है कि दुनिया के कण-कण में शिव ही समाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव का निराकार रूप यानी शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? तो चलिए इसे एक पौराणिक कथा से समझते हैं…

05 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
08:22 AM )
आखिर कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति? भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के अहंकार से जुड़ी है पौराणिक कथा

भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और रहस्यमय रूपों में से एक माना जाता है. हजारों सालों से भक्त श्रद्धा के साथ शिवलिंग की पूजा करते हैं, जलाभिषेक करते हैं और अपने मंगल की कामना भी करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी? चलिए इसके बारे में भी आपको विस्तार से बताते हैं… 

कैसे हुई थी शिवलिंग की उत्पत्ति? 

इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा शिव पुराण में वर्णित ज्योतिर्लिंग की कथा है. इस कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब सृष्टि की रचना हो चुकी थी. तब भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि उनमें से कौन सबसे महान है. दोनों अपने-अपने ज्ञान और शक्ति पर गर्व कर रहे थे…

भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के अहंकार को तोड़ने की कहानी है शिवलिंग से जुड़ी  

इसी दौरान उनके बीच अचानक एक विशाल और अनंत प्रकाश स्तंभ प्रकट हुआ. यह अग्नि का इतना तेजस्वी स्तंभ था कि उसकी न तो कोई शुरुआत दिखाई देती थी, न अंत. तभी आकाशवाणी हुई कि जो इस स्तंभ का आदि या अंत खोज लेगा, वही सबसे श्रेष्ठ देवता कहलाएगा. भगवान ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और ऊपर की ओर उड़ चले ताकि उस स्तंभ का सिरा खोज सकें. वहीं, भगवान विष्णु ने वराह (सूअर) का रूप लिया और नीचे की ओर पृथ्वी के गर्भ में जाकर उसका प्रारंभिक सिरा खोजने निकले.

ब्रह्मा जी ने बोला था शिव से झूठ! 

दोनों देवताओं ने काफी कोशिश की, लेकिन किसी को भी उस प्रकाश स्तंभ का अंत या आरंभ नहीं मिला. अंत में विष्णु जी ने अपनी हार मान ली और लौट आए, मगर ब्रह्मा जी ने सोचा कि अगर वे कह दें कि उन्होंने स्तंभ का सिरा देख लिया है, तो उन्हें श्रेष्ठता मिल जाएगी. उन्होंने झूठ बोल दिया और साथ में केतकी के फूल से झूठी गवाही दिलवा दी.

भगवान शिव ने दिया था ब्रह्मा जी को श्राप!

यह भी पढ़ें

तभी अचानक वह अग्नि स्तंभ फट गया और उसके मध्य से स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए. उनका रूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य था. शिव जी ब्रह्मा के झूठ से बहुत क्रोधित हुए. उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि उनकी पूजा इस धरती पर कहीं नहीं की जाएगी और केतकी के फूल को भी श्राप दिया कि वह उनके पूजन में कभी इस्तेमाल नहीं होगा. शिव जी ने तब बताया कि यह अग्नि स्तंभ वास्तव में उनका निराकार स्वरूप ज्योतिर्लिंग है, जिसका न कोई आरंभ है और न कोई अंत. यह सम्पूर्ण सृष्टि, ऊर्जा और ब्रह्मांड का प्रतीक है.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें