युद्ध विराम के बीच फारूक अब्दुल्ला को याद आई अमरनाथ यात्रा
इन दिनों प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेंस पार्टी के मुखिया फारुक अब्दुल्ला बाबा बर्फ़ानी के नाम की माला जपने लगे हैं. अबकी बार की अमरनाथ यात्रा क्या कश्मीर की रौनक़ को वापस ला पायेगी ? पर्यटकों की खून से रंगी बैसरन घाटी क्या भक्ति की शक्ति से गुलज़ार हो पायेगी ? .बेटे का खीर भवानी मंदिर के दर्शन करना और पिता का अमरनाथ यात्रा का राग अलापना, किस ओर इशारा करता है ? इस पूरे मामले की ABC क्या कहती है, देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट..

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में सन्नाटा पसरा हुआ है, पर्यटकों की मौजूदगी ना के बराबर है. जन्नत की दुनिया वीरान पड़ी है, लेकिन क्या इस ख़ालीपन को भोले की शक्ति भर पायेगी ? इन दिनों प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेंस पार्टी के मुखिया फारुक अब्दुल्ला बाबा बर्फ़ानी के नाम की माला जपने लगे हैं. अबकी बार की अमरनाथ यात्रा क्या कश्मीर की रौनक़ को वापस ला पायेगी? पर्यटकों की खून से रंगी बैसरन घाटी क्या भक्ति की शक्ति से गुलज़ार हो पायेगी? बेटे का खीर भवानी मंदिर के दर्शन करना और पिता का अमरनाथ यात्रा का राग अलापना, किस ओर इशारा करता है ?
22 अप्रैल के दिन जम्मू-कश्मीर की बैसरन घाटी में जो कुछ भी हुआ. जिस प्रकार धर्म पूछकर पर्यटकों को मौत की नींद सुलाया गया. आतंक के आकाओं ने बंदूक़ की नोक पर जिस तरह बहु-बेटियों का सिंदूर उजाड़ा. उसे भुला पाना नामुमकिन है. हालाँकि ऑपरेशन सिंदूर से बदला लिया जा चुका है, आतंकी ठिकानों को पाकिस्तान में घुसकर मिट्ठी में मिलाया गया है. पाकिस्तान को उसकी औक़ात दिखाई गई है. ऑपरेशन सिंदूर के रास्ते खून का बदला खून से लिया गया है लेकिन बदले की इसी आग में वीरान पड़ी जन्नत की दुनिया क्या फिर से गुलज़ार हो पायेगी? अब्दुल्ला कंपनी का हिंदुत्व कार्ड पर्यटकों के मन में पैदा हुए भय को ख़त्म कर पाएगा ?
दरअसल पहलगाम हमले के बाद से ही अब्दुल्ला की सत्ता पर ख़तरे मंडराने लगे. देश का संत समाज मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर क्रोधित दिखा. हैरानी जताई गई, कि उनकी सत्ता में इतना बड़े आतंकी हमले को कैसे अंजाम दिया गया. अब्दुल्ला सरकार पर द्वारिका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज तक भड़के हुए नजर आए. जिसे देखते हुए, ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद सीएम अब्दुल्ला का मंदिर जाना शुरु हो गया. 20 मई के दिन मुख्यमंत्री कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी खीर भवानी देवी मंदिर के धाम पहुँचे और यहाँ से उन्होंने खीर भवानी मेला और अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाए रखने का दावा किया खुलकर रहा. आगामी खीर भवानी मेला और अमरनाथ यात्रा के सुरक्षित एवं सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रबंध किए जाएंगे। हमने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जहां तक सुरक्षा का सवाल है. सभी इंतजाम किए जाएंगे। हमारा प्रयास होगा कि पहले माता खीर भवानी मेला सफल हो और फिर अमरनाथ यात्रा दोनों मार्गों- सोनमर्ग और पहलगाम –से सुरक्षित रूप से संपन्न हो. हम चाहते हैं कि सभी श्रद्धालु सकुशल लौटें. बेटे की देखा देखी, अब फारुख अब्दुल्ला ने अमरनाथ यात्रा का राग अलापना अभी से शुरु कर दिया है. कुछ ही दिन बाद बाबा बर्फ़ानी की यात्रा आरंभ हो जाएगी, जिसे देखते हुए फारूक अब्दुल्ला पर्यटकों से जम्मू-कश्मीर आने की अपील कर रहे हैं.
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अमरनाथ यात्रा का ज़िक्र करते हुए महादेव के इंतज़ार करने की बात कह रहे हैं. “हमें पूरा अफसोस है जो हुआ, लेकिन हमने नहीं किया. मैं पूरे वतन के लोगों से कहना चाहता हूं कि आप वापस आइए, हम आपका इंतजार कर रहे हैं. हम ही नहीं, यहां भोलेनाथ भी आपका इंतजार कर रहे हैं. अमरनाथ की यात्रा होने वाली है, ज्यादा से ज्यादा आइए, हर तरफ से आइए, अपने घर जाएंगे तो बताएंगे कि आपने कितनी खूबसूरती देखी है और किस तरह लोग यहां इंतजार कर रहे हैं.” अतीत में आतंक के आकाओं ने हिंदुओं की आस्था पर प्रहार किया है. वैष्णों देवी यात्रा से लेकर अमरनाथ यात्रा आतंकियों के निशाने पर आई है, हालाँकि अब अगर भारत विरोधी ताक़तें अमरनाथ यात्रा में कुछ भी गड़बड़ करने की कोशिश करती है, तो उसी समय पाकिस्तान का पूरा सफ़ाया हो जाएगा..क्योंकि शिव भक्त पीएम मोदी साफ़ शब्दों में कह चुके हैं, भारत के ख़िलाफ़ होने वाली एक भी आतंकी घटना की क़ीमत पाकिस्तान को डायरेक्ट वॉर से चुकानी पड़ेगी. युद्ध के मैदान में पाकिस्तान 4 बार हार का मुँह देख चुका है , पाँचवीं बार बचने वाला नहीं है और इस बात से पाकिस्तानी हुकूमत और आर्मी अच्छे से वाक़िफ़ है. बहरहाल आपको क्या लगता है कि, अबकी बार क्या बाबा बर्फ़ानी के भक्तों की शक्ति कश्मीर में पसरे सन्नाटे को चीर पाने में कामयाब हो पाएगी.