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श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर में सौगंध खाकर सुलझते हैं बड़े से बड़े विवाद! जानें महत्व और पौराणिक कथा

सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी का सबसे पहले आह्वान किया जाता है. ऐसे में इनसे जुड़े कई सारे मंदिर हैं जो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंध्र प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां आज भी चमत्कार होते हैं. जहां आज भी गणेश जी की प्रतिमा का आकार बढ़ रहा है, यहां सौगंध खाने मात्र से बड़े से बड़े मसले पल भर में सुलझ जाते हैं. इतना ही नहीं मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद ही दिलचस्प है. तो जानने के लिए आगे पढ़िए…

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14 Nov 2025
( Updated: 10 Dec 2025
06:41 PM )
श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर में सौगंध खाकर सुलझते हैं बड़े से बड़े विवाद! जानें महत्व और पौराणिक कथा

प्रथम पूज्य भगवान गणेश के मंदिर भारत के हर कोने में मिल जाएंगे, जो अपने-अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश में मौजूद है, जहां हर साल प्रतिमा का आकार बढ़ जाता है. भक्तों का मानना है कि वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर में जाकर स्नान करने से बड़े से बड़ा रोग भी खत्म हो जाता है.

गर्भगृह में मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार हर साल क्यों बढ़ता है?

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पास कनिपक्कम गांव है, जहां भक्त दूर-दूर से भगवान गणेश के प्राचीन मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर की प्रतिमा पर्यटक और श्रद्धालु दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है. माना जाता है कि गर्भगृह में मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार हर साल बढ़ता है और जब कलयुग खत्म हो जाएगा, तब प्रतिमा अपना पूर्ण आकार ले लेगी और भगवान स्वयं प्रतिमा से प्रकट होंगे.

कब हुआ था श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर का निर्माण?

मंदिर में मौजूद भगवान की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी और मंदिर के सामने बने तालाब से निकली थी. माना जाता है कि जिस तालाब से भगवान गणेश प्रकट हुए थे, वह अमृत है और उस पानी को पीने से सारे रोगों का नाश होता है. यह मंदिर 1,000 साल से भी अधिक पुराना है, जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी के प्रारंभ में चोल राजा कुलोथुंगा चोल प्रथम ने करवाया था.

क्या है मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा?

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा की बात करें तो कहा जाता है कि हजारों साल पहले एक अंधा, एक बहरा और एक गूंगा भाई था, जो पानी के लिए कुआं खोदने का काम कर रहे थे, लेकिन तभी उनका औजार पत्थर की प्रतिमा से टकरा जाता और प्रतिमा से खून बहने लगता. कुएं का पानी प्रतिमा के खून से लाल हो गया. उस कुएं के पानी से भी तीनों भाइयों के रोग दूर हो गए. स्थानीय लोगों को जब इस चमत्कार के बारे में पता चला तो सभी मिलकर प्रतिमा को कुएं के पास स्थापित करते हैं.

मंदिर की सौगंध खाकर होता है विवादों का समाधान!

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स्थानीय लोगों के बीच मंदिर बहुत पवित्र है और मंदिर की पवित्रता की सौगंध खाकर ही वहां के विवादों का समाधान किया जाता है. माना जाता है कि जो भी वरसिद्धि विनायक की झूठी शपथ लेता है, उसके साथ बहुत बड़ी अनहोनी होती है. स्थानीय लोग वरसिद्धि विनायक को सत्य के देवता के रूप में भी पूजते हैं.

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