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आज खरना पूजन के दौरान इन 6 गलतियों को भूलकर भी न करें, जानें सही पूजा विधि और लाभ

हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारो में से एक छठ का पर्व कई लोगों के लिए बेहद खास होता है. यह पर्व न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि लाखों लोगों की श्रद्धा और आत्मविश्वास का प्रतीक भी है. इस दौरान व्रत करने वाली व्रती को कई चीजों का ध्यान रखना होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है छठ का महापर्व? आज यानी खरना पूजन के दिन किन बातों का ध्यान बेहद जरूरी है? ताकि आपके द्वारा की गई पूजा का सही फल मिल सके, आइए विस्तार से जानते हैं…

26 Oct, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
08:05 AM )
आज खरना पूजन के दौरान इन 6 गलतियों को भूलकर भी न करें, जानें सही पूजा विधि और लाभ

हिंदू धर्म में हर सुबह दर्शन देने वाले भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ महापर्व का बहुत अधिक महत्व होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से इस पर्व का शुभारंभ हो चुका है और आज इसका दूसरा यानी खरना पूजन का दिन है. वहीं इस व्रत के दौरान घर-परिवार और संतान की सुख-समृद्धि के लिए कई कठिन नियमों का पालन किया जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं खरना पूजन की विधि, जरूरी नियम और यह भी जानेंगे कि आखिर क्यों मनाया जाता है छठ का त्योहार? 

खरना पूजन की विधि क्या है?

खरना पूजन वाले दिन स्नान-ध्यान किया जाता है. इस दौरान छठ करने वाले व्रती 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ करती हैं. ऐसे में आज व्रती पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं. साथ ही शाम के समय स्नान-ध्यान दोबारा करके मन और तन से पवित्र होते हैं. इसके बाद ये लोग पूजा स्थल को साफ करके मिट्टी के नए चूल्हे बनाकर प्रसाद की सामग्री बनाते हैं. ऐसे में छठी मैया को भोग लगाने के लिए घी से चुपड़ी हुई रोटी भी बनाई जाती है. लेकिन इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, आइए आपको वह भी बताते हैं. 

खरना पूजन में भोग बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना है बेहद जरूरी?

  • इस दौरान छठी मैया के लिए भोग बनाते समय पवित्रता का पूरा ध्यान रखें. 
  • चीनी या नमक का प्रयोग करने से बचें. इसकी जगह आप गुड़ का प्रयोग कर सकते हैं.
  • भोग बनाते समय नए चूल्हे का ही प्रयोग करें. आम की लकड़ी का इस्तेमाल करना भी शुभ होता है.
  • खीर बनाते समय केवल अरवा चावल का ही उपयोग करें.
  • छठी मैया को भोग लगाने के बाद ही व्रती प्रसाद ग्रहण करें.
  • इस दौरान व्रती को शांत रहकर ध्यान करना चाहिए.
  • ध्यान रखें कि व्रती द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही घर के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करें.

आखिर क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व?

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छठ पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान सूर्य और छठी मैया की कृपा पाना होता है. लोगों के लिए यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने का तरीका भी माना जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. साथ ही परिवार में खुशहाली, संतान प्राप्ति और लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं.

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