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800 साल पुराने शिव मंदिर पर छिड़ा सीमा विवाद, थाईलैंड की प्रधानमंत्री को गंवानी पड़ी कुर्सी

दुनिया के नक़्शे पर मौजूद दो मुल्क ऐसे हैं, जिनकी आपसी दुश्मनी की जड़ एक 800 साल पुराना शिव मंदिर है. ना ही इन देशों की गिनती हिंदू राष्ट्रों में होती है और ना ही इन मुल्कों की जनसंख्या हिंदू बहुल है, फिर भी शिव मंदिर के चक्कर में बंदूकें चलती हैं, शिव मंदिर के चक्कर में सैनिक मारा जाता है, शिव मंदिर के चक्कर में हिंसक झड़पें होती हैं और शिव मंदिर के चक्कर में प्रधानमंत्री की कुर्सी भी चली जाती है. 800 साल पुराना शिव मंदिर, कंबोडिया-थाईलैंड की आपसी दुश्मनी और थाईलैंड के प्रधानमंत्री का पद गंवाना — क्या है ये पूरा मामला? देखिए सिर्फ धर्म ज्ञान पर.

09 Jul, 2025
( Updated: 09 Jul, 2025
08:49 AM )
800 साल पुराने शिव मंदिर पर छिड़ा सीमा विवाद, थाईलैंड की प्रधानमंत्री को गंवानी पड़ी कुर्सी

दुनिया के नक़्शे पर मौजूद दो मुल्क ऐसे हैं, जिनकी आपसी दुश्मनी की जड़ 800 साल पुराना शिव मंदिर है. ना ही इन देशों की गिनती हिंदू राष्ट्रों में होती है और ना ही इन मुल्कों की जनसंख्या हिंदू बहुल है… फिर भी शिव मंदिर के चक्कर में बंदूकें चलती हैं, शिव मंदिर के चक्कर में सैनिक मारा जाता है, शिव मंदिर के चक्कर में हिंसक झड़पें होती हैं और शिव मंदिर के चक्कर में प्रधानमंत्री की कुर्सी भी चली जाती है. 800 साल पुराना शिव मंदिर, कंबोडिया–थाईलैंड की आपसी दुश्मनी और थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा का पद चला जाना... क्या है ये पूरा मामला? देखिए सिर्फ धर्म ज्ञान पर.

इन दिनों पूरी दुनिया युद्ध के मुहाने पर खड़ी है, अधिकांश देशों के बीच की तनातनी जंग जैसे हालातों में बदल चुकी है नाम का युद्धविराम लगा हुआ है, लेकिन अंदर ही अंदर युद्ध की चिंगारी सुलग रही है. रूस–यूक्रेन से लेकर इज़रायल–ईरान तक, शांति कहीं नहीं है. इसी कड़ी में दो देश ऐसे भी हैं, जिनकी दुश्मनी का कारण 800 साल पुराना शिव मंदिर बना हुआ है. और इसी विवाद के चलते हाल ही में थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा को अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ी. इस पूरे मामले को तब तक नहीं समझा जा सकता, जब तक आप इस ऐतिहासिक शिव मंदिर की पृष्ठभूमि को ना जानें.

दरअसल भारत‑पाकिस्तान की तरह थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भी सीमा विवाद है. और इसी विवाद का केंद्र है 9वीं सदी का एक हिंदू मंदिर, जिसका नाम प्रेह विहेयर है और जो कि जटाधारी भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर का इतिहास खमेर सम्राट सूर्यवर्मन से जुड़ा है, जिन्होंने मंदिर की नींव कंबोडिया के सीमावर्ती प्रांत में रखी थी, जिसका कुछ हिस्सा थाईलैंड की सीमा में भी आता है.

कंबोडिया ने इस विवाद में आग में घी तब डाली जब उसने प्रेह विहेयर मंदिर को UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करवा लिया. तभी से इन दोनों देशों के बीच 2008 से 2011 के बीच कई बार झड़पें हुईं. हालात इस कदर ख़राब हुए कि मंदिर के चक्कर में गोलियाँ चलीं, हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.

दो महीने पहले, 28 मई को हालात तब और बिगड़ गए जब एक हिंसक झड़प में कंबोडिया का एक सैनिक मारा गया. ये झड़प उस समय हुई जब कंबोडिया की एक सैन्य टुकड़ी ने मंदिर परिसर में पहुँचकर अपना राष्ट्रगान गाया. थाईलैंड की सेना ने इसका विरोध किया और यह विरोध इतना उग्र हो गया कि फायरिंग शुरू हो गई, जिसमें कंबोडिया का एक सैनिक मारा गया.

चूँकि अब तक इन दोनों देशों की सीमाएँ स्पष्ट नहीं हैं, इसलिए आपसी व्यापार भी अस्थाई तौर पर स्थगित है. इसी तकरार को सुलझाने के लिए थाईलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा ने कंबोडिया के एक शीर्ष नेता को फोन किया, जो बाद में उनके लिए भारी पड़ गया.

शिनावात्रा पर आरोप है कि उन्होंने उस कॉल में अपने ही देश की सेना की आलोचना की, और जब इस कॉल का ऑडियो लीक हुआ, तो देश में राजनीतिक भूचाल आ गया. हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की तरह थाईलैंड में भी सत्ता की चाबी सेना के पास ही होती है. सौ बात की एक बात यही है कि सीमा विवाद के चलते यह 800 साल पुराना शिव मंदिर आज भी थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दुश्मनी का केंद्र बना हुआ है.

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