पहलगाम हमले के बाद शंकराचार्य की भविष्यवाणी से खतरे में अब्दुल्ला !
पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला संत समाज के निशाने पर क्यों है, ये तभी समझा जा सकता है, जब आप जम्मू-कश्मीर पर की गई शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती की भविष्यवाणी के बारे में जानेंगे … अबकी बार की शंकराचार्य की भविष्यवाणी क्या अब्दुल्ला की सत्ता को ही चीर डालेगी ? …क्या है ये पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं…

पीएम मोदी की सऊदी यात्रा के बीच पहलगाम आतंकी हमला। धर्म पूछकर आतंकियों का गोलियां चलाना। पर्यटकों के खून से लहूलुहान होती बैसरन घाटी। कश्मीर की फ़िज़ाओं में पसरा मौसम। जन्नत की इस तस्वीर ने प्रत्येक भारतीय को अंदर से झकझोर दिया है। लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ भारतीयों का खून खौल रहा है। ईंट का जवाब पत्थर से दिए जाने की माँग उठ रही है।हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान पर अपनी कूटनीतिक स्ट्राइक कर चुके हैं, लेकिन बदले की माँग तभी थमेगी जब पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर संत समाज क्यों नाराज़ है
हालाँकि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी लोगों के निशाने पर हैं। देश का संत समाज मुख्यमंत्री अब्दुल्ला पर भड़का हुआ है। बीते दिनों तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अब्दुल्ला के इस्तीफ़े की माँग कर डाली। अपने बयान में उन्हें यह कहना पड़ा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए इतना भयंकर कांड हुआ है, ऐसे में नैतिकता के तौर पर उन्हें इस्तीफ़ा देना चाहिए।
शंकराचार्य की भविष्यवाणी और राष्ट्रपति शासन की माँग
इसी कड़ी में शंकराचार्य शारदा पीठ से स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की माँग कर रहे हैं। दरअसल पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शंकराचार्य का ग़ुस्सा फूटा है। उन्होंने इस घटना के पीछे पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर को ज़िम्मेदार ठहराया है।
टू नेशन थ्योरी का 'ट्रेलर' बताया हमला
शंकराचार्य ने कहा—
“पहलगाम में जो हुआ वह टू नेशन थ्योरी का ट्रेलर है। इस घटना के तीन दिन पूर्व पाकिस्तान सेनाप्रमुख असीम मुनीर ने पाकिस्तान में सार्वजनिक भाषण में टू नेशन थ्योरी की जिस तरह व्याख्या की थी, उसी का प्रैक्टिकल कश्मीर में दिखा। यह चिंता की बात है कि धर्म विशेष के लोगों को मारा जाए। इससे सांप्रदायिक तनाव और गृह युद्ध की स्थिति बन सकती थी।”
हिंदू विरोधी मानसिकता पर हमला
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कश्मीर प्रशासन कभी नहीं चाहता कि हिंदू आबादी प्रवेश करे और ना ही पाकिस्तान चाहता है कि पाकिस्तान में हिंदू बढ़ें। अब समय आ गया है कि कश्मीर प्रशासन की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
पर्यटकों पर हमला और बढ़ती असहिष्णुता
पर्यटकों पर आतंकी हमला ऐसे समय में हुआ जब कश्मीर में टूरिस्ट सीज़न चरम पर था। हमले में चिन्हित करके हिंदुओं को मारा गया। इसे देखते हुए शंकराचार्य का साफ़ कहना है कि कश्मीर का वर्तमान चुनावी गठबंधन कश्मीर का विकास तो चाहता है लेकिन हिंदुओं के प्रवेश को नहीं।
क्या राष्ट्रपति शासन अब विकल्प है
इसी मुद्दे पर ज़ोर देते हुए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी राष्ट्रपति शासन लगाने की सांकेतिक भविष्यवाणी कर रहे हैं। उनका मानना है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक कश्मीर को केंद्र सरकार पूरी तरह अपने हाथों में ले और राष्ट्रपति शासन लागू करे।
भारत में ऋषि-मुनियों की परंपरा रही है और समाज में संत समाज का सम्मान सर्वोपरि माना गया है। जब देश के शंकराचार्य राष्ट्रपति शासन की माँग करें, तो यह ज़रूर देखने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर क्या फैसला लेते हैं। यह तो समय ही बताएगा।