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आज बन रहा दुर्लभ संयोग, सही व्रत और पूजन विधि से पाएं किस्मत का अटूट साथ

इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी. इस दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो जातक इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़े...

11 Sep, 2025
( Updated: 11 Sep, 2025
12:30 PM )
आज बन रहा दुर्लभ संयोग, सही व्रत और पूजन विधि से पाएं किस्मत का अटूट साथ
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आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को गुरुवार पड़ रहा है और इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है. इस दिन सूर्य सिंह राशि और चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे. दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा और राहुकाल का समय दोपहर के 1 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा.

काशी में शिवलिंग की स्थापना किसने की थी?
अग्नि पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी. इस दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो जातक इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए. ऐसा करने से लाभ मिलता है. वहीं, भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

मां सरस्वती की पूजा क्यों है जरूरी?
इसके अलावा, इस दिन विद्या की देवी सरस्वती मां की पूजा करने से ज्ञान में भी वृद्धि होती है. गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है.

क्या केले के पत्ते में होता है भगवान विष्णु का वास?
इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं और 16 गुरुवार तक व्रत रखकर उद्यापन कर दें.
मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है. इसी कारण गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है.

किस तरह करें आज व्रत और पूजा-अर्चना?
इस दिन व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें. फिर केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें. दीपक जलाएं, कथा सुनें और भगवान बृहस्पति भगवान की आरती करें. उसके बाद आरती का आचमन करें. इस दिन पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.

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सर्वार्थ सिद्धि योग का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है. इसका मुहूर्त 11 सितंबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.

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