महालक्ष्मी का ऐसा मंदिर जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने वाले भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी! दिवाली पर होती है विशेष पूजा
मध्य प्रदेश के खरगोन में ऊन महालक्ष्मी मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर भक्त अपनी गुप्त मनोकामनाएं मांगते हैं, लेकिन क्या हर स्वास्तिक के पीछे कोई अनजान रहस्य छिपा है? कहा जाता है कि मां लक्ष्मी तीन रूपों में दर्शन देती हैं. दिवाली की रात जब मंदिर के द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खुलते हैं, तो क्या कोई ऐसी शक्ति जागती है जो हर मुराद को सच कर देती है, आइये विस्तार से जानते हैं…
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भारत मंदिरों का देश है, जहां शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिरों की मान्यता सबसे ज्यादा है. देश के अलग-अलग राज्यों में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी मनोकामनाओं के साथ भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं.
ऐसा ही मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है, जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ऊन महालक्ष्मी मंदिर जितना पुराना है, उतना ही मान्यताओं के लिए जाना जाता है. दिवाली के मौके पर मंदिर में श्रद्धालु खास परंपरा का निर्वहन करते हैं जिसमें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भक्त मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और जैसे ही उनकी मनोकामना पूरी होती है, वे पुनः मंदिर में आकर स्वास्तिक को सीधा करते हैं.
मंदिर में माता लक्ष्मी देती हैं 3 अलग रूपों में दर्शन
मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की प्रतिमा भी काफी मनमोहक है. कहा जाता है कि यहां मां तीन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं. महालक्ष्मी सुबह बच्चे के रूप में, दोपहर में एक युवा के रूप में, और रात को एक वृद्ध महिला के रूप में दिखती हैं. इसके अलावा, मां की प्रतिमा में छह हाथ हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, और मां कमल के फूल पर विराजमान हैं. बताया जाता है कि ऊन महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण परमार राजाओं के काल में हुआ था. उस काल में खरगोन और उसके आसपास कई मंदिरों का निर्माण किया गया था. बाकी सभी मंदिरों की हालत जर्जर है, लेकिन मां लक्ष्मी का मंदिर आज भी ठीक-ठाक हालत में है.
दिवाली पर होता है विशेष पूजा का आयोजन
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मंदिर की प्रतिमा 1000 साल पुरानी है, जिसे पत्थर से बनाया गया था. भक्तों के बीच ऊन महालक्ष्मी का मंदिर काफी लोकप्रिय है. भक्तों की मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना कर मनोकामना मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. यहां मां को धन, सुख, यश और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता है. दिवाली पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है और धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष हवन रखा जाता है. भक्तों के लिए मंदिर के द्वार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं और दिवाली के दिन हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं.
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