आसिम मुनीर की बीवी ने ले ली अमेरिका की नागरिकता! बदले में करनी पड़ी ये सीक्रेट डील, पाकिस्तान को ट्रंप के हाथों गिरवी रखा!
पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता सिर्फ 22 देशों तक मान्य है, मगर सरकारी नौकरी पर रोक के बावजूद सेना और सियासत में यह आम है. अब मौजूदा आर्मी चीम आसिम मुनीर की बीवी के बारे में दावा किया जा रहा है कि उसने अमेरिका की नागरिकता ले ली है. राहिल शरीफ से लेकर नवाज शरीफ के परिवार तक और इमरान खान की कैबिनेट तक, कई बड़े नाम विदेशी पासपोर्ट रखते हैं.
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एक कहावत है- दुनियाभर में देशों के पास अपनी सेना, Army होती है लेकिन पाकिस्तान का मामला अलग है. यहां पर उसकी आर्मी के पास अपना देश है. वैसे तो सेना देश को खूब लूटती है लेकिन जब रहने की बात सामने आती है तो देश छोड़कर भाग जाती है. हां, इनसर्विस रहते ही उसका परिवार विदेश में सेटल हो जाता है. देश में जमीन का पट्टा और विदेश में ग्रीन कार्ड और वीजा के जुगाड़ में उसका पूरा जीवन बीत जाता है. इसलिए कहा जाता है कि पाकिस्तानी जनरलऔर नेताओं का लगाव अपने ही मुल्क से कम और विदेशों से ज्यादा दिखाई देता है. अब सोशल मीडिया पर एक ऐसा दावा सामने आया है जिसने सबको चौंका दिया है. कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की पत्नी सईदा इरम ने जून के पहले हफ्ते में अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन किया था. हालांकि इसकी पाक आर्मी की तरफ से न पुष्टि न हुई है और न होगी क्योंकि सेना प्रमुख कोई आम आदमी तो है नहीं बल्कि सत्ता उसी की है, तो एक भी खबर, एक भी पत्ता उसकी इजाजत के नहीं हिल सकता.
आसिम मुनीर की बीवी को मिली अमेरिकी नागरिकता!
दावा किया जा रहा है कि 22 अगस्त को सईदा इरम और उनके तीनों बच्चों को अमेरिकी पासपोर्ट मिल गया. यह दावा मेजर जनरल राजू चौहान से जुड़े एक एक्स अकाउंट पर किया गया. अकाउंट पर उन्होंने लिखा- ‘मैं काफी समय से कह रहा हूं कि अपने सभी पूर्ववर्तियों की तरह, वह (मुनीर) भी पाकिस्तान में सब कुछ बेचकर भाग जाएंगा.’ कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने भी यही दावे किए. इन खबरों मे क्या सच्चाई है इसकी पुष्टि NMF News नहीं करता है. लेकिन पाकिस्तानी सेना के इतिहास औऱ उसके जनरलों की करतूतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये कोई पहला वाकया नहीं है जिस पर संदेह किया जाए.
परिवार की नागरिकता के बदले मुनीर अमेरिका को क्या दे रहा है?
आपको बता दें कि इस खबर की इसलिए भी चर्चा हो रही है क्योंकि आसिम मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद से करीब दो बार अमेरिका का दौरा किया. एक बार तो उनकी व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ प्राइवेट लंच भी हुआ. कहा जा रहा है कि मुनीर और ट्रंप के बीच में पर्सनल डील हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुनीर और ट्रंप फैमिली के बीच बिजनेस पर बात बन गई है. ट्रंप फैमिली समर्थित एक फर्म पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल में निवेश करेगा, जिसकी देखरेख और कर्ता-धर्ता मुनीर और सेना ही है. और तो और, ये भी रिपोर्ट्स सामने आ रही है कि मुनीर को अपनी फैमिली की नागरिकता के बदले पाकिस्तान में रेअर अर्थ मिनरल की खोज के लिए US को इजाजत देनी होगी, नियम चेंज करने होंगे और एक्सक्लूसिव एक्सेस देनी होगी. इसके लिए मुनीर मान गया है. ये अमेरिका के लिए कितनी जरूरी है आप इसी बात से समझ सकते हैं कि जब ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाया तो पलटवार में ड्रैगन ने मिनरल्स की सप्लाई पर रोक लगा दी जो उसके चिप-सेमी कंडक्टर्स और टेक के लिए बहुत जरूरी है. इन सबसे इतर मुनीर का एकतरफा ट्रंप को नोबेले के लिए नॉमिनेट करना भी उसी एपीज करने की रणनीति का हिस्सा था. आप आसानी से कड़ी से कड़ी को जोड़ सकते हैं. इस संबध में CNN के पत्रकार फरीद जकारिया ने खुलासा भी किया था और बीते दिनों पूर्व अमेरिकी NSA जैक सुलिवन ने भी बयान देते हुए ट्रंप पर हमला बोला था.
ऑपरेशन सिंदूर के वक्त अमेरिका भाग गया था मुनीर का परिवार!
आपको बताते चलें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी यह रिपोर्ट सामने आई थी कि मुनीर ने अपनी पत्नी और बच्चों को विदेश भेज दिया था. वैसे, पाकिस्तान में नेताओं, अफसरों और सैन्य अधिकारियों द्वारा पश्चिमी देशों की नागरिकता लेना कोई नई बात नहीं है.
पाकिस्तान में कानून के साथ खिलवाड़ का चलन
पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता कानूनी तौर पर मान्य है लेकिन इसकी इजाजत सिर्फ 22 देशों तक सीमित है. इसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के 14 देश शामिल हैं. संविधान मूल रूप से इसकी इजाजत नहीं देता था, लेकिन 1972 में संशोधन के बाद यह रास्ता खुला. दिलचस्प यह है कि दोहरी नागरिकता वाले लोगों को सरकारी नौकरी की अनुमति नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में यह नियम अक्सर मजाक बनकर रह जाता है.
पाकिस्तान ने खुद मारी अपने पैरों पर कुल्हाड़ी!
पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता का मसला हमेशा विवादों में रहा है। कानूनन इसकी इजाज़त है, लेकिन यह सिर्फ 22 देशों तक सीमित है, जिनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के 14 देश शामिल हैं। मूल संविधान इसके खिलाफ था, लेकिन 1972 में हुए संशोधन के बाद यह रास्ता खुला। दिलचस्प बात यह है कि नियमों के मुताबिक दोहरी नागरिकता रखने वाले लोग पाकिस्तान में सरकारी नौकरी नहीं कर सकते, लेकिन व्यवहार में यह नियम अक्सर मज़ाक बनकर रह जाता है।
किस-किस पर लगे विदेशी नागरिकता लेने के आरोप!
पाकिस्तानी सेना और राजनीति में इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। सेना के पूर्व जनरल रहील शरीफ रिटायर होते ही सऊदी अरब चले गए, वहीं पूर्व ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा ने UAE की एक मल्टीनेशनल कंपनी जॉइन कर ली। दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तक तलब किया था। छोटे रैंक के अफसर भी अकसर रिटायरमेंट के बाद विदेश जाकर बस जाते हैं।
राजनीति में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बेटे हसन और हुसैन ब्रिटिश नागरिक हैं। नवाज और उनकी बेटी मरियम नवाज के पास ब्रिटेन का ILR (Indefinite Leave to Remain) है, जो स्थायी निवास के बराबर माना जाता है। वहीं, भुट्टो परिवार की बात करें तो बिलावल भुट्टो के पास दोहरी नागरिकता नहीं है, लेकिन उनकी मां बेनजीर भुट्टो और पिता आसिफ अली जरदारी ने लंबा वक्त पढ़ाई और जीवन विदेश में बिताया।
मुशर्रफ से लेकर शरीफ खानदान तक, सब भगोड़ा!
पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ की नागरिकता रद्द कर दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद वे 2023 में अपनी मौत तक दुबई में ही रहे। इमरान खान की कैबिनेट में भी कई मंत्री अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा की नागरिकता रखते थे। यहां तक कि सांसद हारून अख्तर और सादिया अब्बासी को विदेशी पासपोर्ट रखने के कारण अपनी संसदीय सदस्यता गंवानी पड़ी थी।
इतना ही नहीं मौजूदा रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ मंत्री रहते विदेशी बैंक में नौकरी करते रहे वहीं, इमरान खान के करीबी जुल्फी बुखारी भी विदेशी नागरिक होते हुए भी सरकार में सलाकार की भूमिका में थे. और तो और मीडिया, सिनेमा में दोहरी नागरिकता वालों का जलवा है.
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