आतंकी नसरुल्लाह पर आंसू बहा रहे और शहीद बशीर अहमद का ज़िक्र तक नहीं ! ये दोहरापन क्यों ?
देश में बैठे ऐसे कुछ चुनिंदा कट्टरपंथी पूरे मुसलमान समुदाय को बदनाम करते हैं। जिस कश्मीर में नसरुल्लाह के मरने पर छीती पीती गई, उसी कश्मीर में एक कॉस्टेंबल शहीद होता है और कोई उस तरफ़ ध्यान तक नहीं देता। एक आंतकी के लिए रो रहे हो एक शहीद के लिए नहीं क्यों ? दोनो का मज़हब तो एक ही था ना ? फिर आप जैसे लोगों की विचारधारा पर सवाल उठेंगे तो आप बौखला जाएंगे।