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उन्हें नहीं हमें लगता है इजरायल से डर… मुस्लिम देश के राष्ट्रपति का सरेआम कबूलनामा, कहा- जल्दी समझौता कर लो!

इजरायल का मिडिल ईस्ट में क्या खौफ है वो सीरिया के राष्ट्रपति के बयान से साफ पता चलता है. बशर अल असद का तख्तापलट कर सत्ता में आने वाले विद्रोहियों के नेता ने मान लिया है कि यहूदी देश से उन्हें और उनके देश को डर लगता है, इजरायल को डरने की जरूरत नहीं है. वो उसके लिए खतरा नहीं है. शरा ने वो बातें कही हैं जिसके बाद इजरायली कार्रवाई की हनक का अंदाजा लगता है.

Image: Al Shara / Benjamin Netanyahu (File Photo)

मिडिल ईस्ट, खाड़ी और दुनियाभर के मुस्लिम देशों में इजरायल का क्या खौफ़ है ये सबको पता है. वजूद में आने के बाद दुनिया का यह एकमात्र यहूदी देश जिसकी आबादी महज 85 से 90 लाख है, उसने कई जंग लड़ लिए हैं. हर ओर से इस्लामिक देशों से घिरे इस मुल्क को अब तक कोई हरा नहीं पाया है. यही वजह है कि वह अपनी सुरक्षा और राष्ट्रहित के लिए किसी भी देश से भिड़ जाता है और उसको अंजाम तक पहुंचा कर ही मानता है. इसी कारण उसके दुश्मन दहशत में रहते हैं. अब यही डर एक मुस्लिम देश के राष्ट्रपति चेहरे पर दिखा है. उन्होंने साफ स्वीकार किया कि उन्हें इस देश से डर लगता है.

सीरिया में लंबे समय तक शासन करने वाले बशर अल असद की सत्ता को उखाड़कर फेंकने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक में भाग लेने और अपना संबोधन देने के लिए अमेरिका की अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे नए सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल उनकी सरकार के साथ सीरिया की संप्रभुता और सुरक्षा को संरक्षित रखने का लेकर पीस ट्रीटी नहीं करता है तो पूरा मिडिल ईस्ट फिर से उथल-पुथल के नए दौर से घिर सकता है.

इजरायल से लगता है डर: अल शरा

अपने अमेरिकी दौरे में अल शरा ने इजरायल के साथ सुरक्षा समझौता कि मांग करते हुए कहा और सरेआम स्वीकार किया कि उनके देश को तेल अवीव (इजरायल) से डर लगता है और वे (सीरिया-अल शरा) इजरायल के लिए कोई खतरा नहीं हैं.

‘बशर अल अशद की उखाड़ दी थी सत्ता’

सीरिया के राष्ट्रपति-तानाशाह के रूप में लंबे समय तक शासन करने वाली असद फैमिली की सत्ता को उखाड़ फेंकने, तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल-असद का दिसंबर में तख्तापलट करने के बाद विद्रोहियों के नेता अहमद अल शरा ने सीरिया की सत्ता संभाली थी. इसके बाद उनकी दुनियाभर के नेताओं के साथ मुलाकात हुई है, यहां कि अमेरिकी प्रशासन के साथ भी उनकी बैठकें हुईं हैं. 

शरा ने हालिया सैन्य तनाव के बीच स्पष्ट किया है कि उनकी और अंतरिम सरकार की प्राथमिकता इजरायल के साथ एक सुरक्षा समझौता करना है. हालांकि उन्होंने इस दौरान ये भी आरोप लगाया कि इजरायल जानबूझकर बातचीत को टाल रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि तेल अवीव सीरिया की हवाई और जमीनी सीमाओं का उल्लंघन आए दिन कर रहा है.

‘इजरायल से हम दहशत में ना कि वो हमसे’

शरा ने मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक कार्यक्रम में कहा कि "हम इजरायल के लिए कोई समस्याएं खड़ी नहीं कर रहे हैं. हमें इजरायल से डर है, नाकि इजरायल को हम से. इजरायल की तरफ से बातचीत में देरी और हमारी सीमाओं का उल्लंघन कई तरह के जोखिम खड़े कर रहे हैं.”
 
नहीं हो सकता सीरिया का बंटवारा: शरा

सीरिया के राष्ट्रपति ने अपने देश के किसी भी बंटवारे की चर्चा को भी सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार डूज अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा कर रही है. शरा ने कहा ने कहा, "जॉर्डन दबाव में है, और सीरिया के बंटवारे की कोई भी बात इराक और तुर्की को भी नुकसान पहुंचाएगी. इससे हम सभी फिर से वहीं लौट जाएंगे, जहां से शुरुआत हुई थी." उन्होंने ये भी कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि सीरिया अभी-अभी डेढ़ दशक लंबे युद्ध से निकला है.

ऐतिहासिक समझौते के करीब सीरिया और इजरायल!

मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच आने वाले दिनों में बड़ी खबर सामने आ सकती है. अमेरिका के सीरिया मामलों के विशेष दूत टॉम बरैक ने इशारा किया है कि सीरिया और इजरायल के बीच डि-एस्केलेशन समझौता (तनाव से पीछे हटना और तनाव को ठंडा करना) लगभग तय होने ही वाला है. अगर ये समझौता हो जाता है तो इजरायल आगे से सीरिया पर हवाई हमले और घुसपैठ को रोक देगा.

वहीं सीरिया को भी इस बात पर राज़ी होना होगा कि वह इजरायली बॉर्डर और उस से सटे इलाकों के पास कोई भारी हथियार या बड़ी सैन्य मशीनरी नहीं तैनात करेगा. बरैक के मुताबिक ये कदम दोनों देशों के बीच बड़े सुरक्षा समझौते की दिशा में पहला पड़ाव हो सकता है. उनका आगे कहा है कि सभी पक्ष अभी अच्छे भरोसे के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

क्या है गोलान हाइट्स और डूज समुदाय को लेकर तनाव

आपको बताएं कि सीरियाई सरकार चाहती है कि इजरायल गोलान हाइट्स के बफर ज़ोन (दो देशों के बीच का इलाका) पर कब्जा जमाए अपने सैनिकों को हटाए और लगातार हो रहे हवाई हमले बंद करे. असद सरकार के कमजोर पड़ने और आंतरिक लड़ाई के बीच इजरायल सीरिया के सैन्य ठिकानों को टारगेट करता रहा है ताकि उसकी ताकत घटाई जा सके. साथ ही दक्षिणी सीरिया में डूज समुदाय पर हमलों को रोकने के लिए भी इजरायल ने कई बार दखल दिया है.

ट्रंप के नोबेल की राह में आ रहा बाधा!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि इस हफ्ते ही इस समझौते का एलान हो जाए, लेकिन अभी तक पर्याप्त प्रगति नहीं हुई. इसके अलावा यहूदी नववर्ष रोश हशाना के कारण भी प्रक्रिया धीमी हो गई. ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी के मुताबिक यह सुरक्षा समझौता लगभग 99% तैयार है और अगले दो हफ्तों में इसकी घोषणा की जा सकती है.

फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा इजरायल

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि सीरिया और लेबनान दोनों के साथ शांति का नया मौका सामने आया है, खासकर तब जब हाल की सैन्य कार्रवाई में हिजबुल्लाह को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि नेतन्याहू ने ये भी साफ किया कि सीरिया के साथ किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा.

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