ट्रंप का टैरिफ दांव पड़ा उल्टा, अमेरिकी सोया-मक्का की खरीद से भारत का इनकार, अमेरिकी सीनेट में गरमाया मुद्दा
ट्रंप की टैरिफ नीतियों का अमेरिका के किसानों पर फर्क पड़ना शुरू हो गाय है. वो अपने मक्का और सोयाबीन को दुनियाभर के मार्केट में नहीं बेच पा रहे हैं. उनकी इस राह में टैरिफ, प्रतिबंध आड़े आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये दोनो मुद्दे ऐसे हैं जिसके आधार पर भारत-चीन ट्रंप की अक्ल ठिकाने लग सकता है.
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140 करोड़ का देश, 1 बोरी मक्का भी नहीं खरीदता... कुछ दिनों पहले बिल्कुल यही बयान था अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक का. ये सिर्फ एक स्टेटमेंट नहीं बल्कि अमेरिका के लिए असली दर्द है. उसकी हमेशा से कोशिश रही है कि उसके एग्रो प्रोडक्ट्स को भारत और ब्राजील जैसे देशों में डंप किया जाए. हालांकि भारत डटा हुआ है और अपने खेती-किसानी, किसानों और मझोले उद्योगों के हित से किसी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं है. इसी कारण अमेरिकी किसान हमेशा इसकी शिकात लगाते रहे हैं. ट्रंप ने उन्हें खुश करने के लिए हिंदुस्तान पर दबाव डाला लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. यहां तक कि 50% सेंशन के बावजूद अपने रुख से पीछे नहीं हटा.
अब खबर आ रही है कि अमेरिकी किसान अपने मक्का और सोयाबीन को दुनियाभर के मार्केट में नहीं बेच पा रहे हैं. उनकी इस राह में टैरिफ, प्रतिबंध आड़े आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन दोनों अनाजों और फसलों की बदौलत ट्रंप की अक्ल ठिकाने लग सकता है.
मामले के जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो ट्रंप की धौंस निकलनी तय है. उनके मुताबिक अगर भारत और चीन ऐसे ही डटे रहे और अपनी मार्केट को नहीं खोला तो अमेरिकी सोयाबीन और मक्का का नामलेवा कोई नहीं मिलेगा. यही एक प्वाइंट है जिस पर ट्रंप भी बार्गेनिंग टेबल पर आ सकते हैं. ये ऐसा मुद्दा है जो ना सिर्फ अमेरिकी सिनेट में उठ रहा है बल्कि कुछ महीनों में मिडटर्म इलेक्शन में गर्मा भी सकता है.
ट्रंप को ऐसे झुका सकते हैं भारत-चीन!
दिग्गज भारतीय वकील नवरूप सिंह ने सलाह दी कि अमेरिका को भारत-चीन और रूस को राहत नहीं देनी चाहिए और ना ही अमेरिका देगा. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी टैरिफ वॉर के खिलाफ चीन के पलटवार से अमेरिकी निर्यात लड़खड़ा रहा है.
भारत के अवाला ब्राजील भी ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ अपने स्टैंड पर कायम है. आपको याद हो ब्राजील के राष्ट्रपति कितना सख्त रुख ट्रंप के खिलाफ ले रहे हैं. उन्होंने कहा था कि वो मोदी को कॉल कर लेंगे, जिनपिंग को कर लेंगे लेकिन ट्रंप को नहीं करेंगे. नवरूप सिंह की मानें तो अगर भारत ट्रेड डील पर बात को स्टैंडबॉय रखता है, इसे इसी तरह लंबा खींचता है तो यूएस के लिए ट्रेड मुश्किल हो जाएगा.
उन्होंने X पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा: 'अमेरिकी मक्का और सोयाबीन के लिए कोई खरीदार नहीं! भारत और चीन, रूस और ब्राजील अगर डोनाल्ड ट्रंप को थोड़ा और घसीटेंगे, वह झुक जाएंगे!” उनकी ये टिप्पणी अमेरिकी सीनेट में एग्रो प्रोडक्ट्स को लेकर बढ़ती गर्मी और सीनेटर जॉन थ्यून द्वारा साउथ डकोटा के किसानों की मांगों औप परेशानियों को लेकर दिए गए बयान पर आई है.
ट्रंप के साथ-साथ अमेरिकी सीनेट में मुद्दा बना सोयाबीन और मक्का
आपको बता दें कि एनबीसी के मीट द प्रेस कार्यक्रम में बोलते हुए थ्यून ने कहा कि ट्रंप की टैरिफ सनक और ट्रेड वॉर के कारण हालात बिगड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि खासतौर पर चीन के जवाबी 34% टैरिफ और अमेरिकी सोयाबीन खरीद पर रोक के कारण किसानों के पास काफी फसल बची हुई है और इसे बेचने के लिए उन्हें कोई जगह नहीं मिल रही है. इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं.
समाचार एजेंसी AP की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में सोयाबीन की फसल कटाई के लिए तैयार है, लेकिन किसानों को यही नहीं पता कि वे अपनी फसल का करेंगे क्या, इसका ठिकाना क्या होगा, वो इसे बेचेंगे कहां. क्योंकि चीन ने इसके आयात पर रोक लगा दी है. दूसरी तरफ अमेरिका में उसके सोयबीन की फसल की खरीद के लिए तो भारत को एक वैकल्पिक बाजार के रूप में पेश किया गया, लेकिन इस मोर्चे पर भी उसे मुंह की खानी पड़ी.
भारत नहीं खरीद रहा अमेरिकी सोया और मक्का, परेशान ट्रंप!
भारत के बाजार अमेरिकी कृषि, डेयरी सामानों के लिए खोलने की तमाम कोशिशों, दबावों के बावजूद उसे कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. भारत की पहले दिन से स्ट्रेटजी स्पष्ट है. वो अपने किसानों के हितों से समझौता नहीं होने देगा और अपनी मार्केट को डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाएगा. हिंदुस्तान में अमेरिकी मक्का और सोयाबीन के लिए शुल्क बहुत कड़े हैं. जानकारी के मुताबिक मक्का पर 45% और सोयाबीन पर 60% तक के शुल्क लागू हैं.
आपको बता दें कि भारत फिलहाल आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फूड प्रोडक्ट्स के आयात पर प्रतिबंध लगाता है, जिस कैटेगरी में अधिकांश अमेरिकी सोयाबीन किस्में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपनी सोया ऑयल और कृषि जरूरतों और आयात के लिए अमेरिका की जगह अर्जेंटीना, ब्राजील और यूक्रेन को तरजीह देता है.
ट्रंप का ट्रेड डील दांव फेल
दुनिया में एग्रो प्रोडक्ट्स के निर्यात के लिए सीमित विकल्पों की वजह से अमेरिकी किसानों को अपने अनाजों के भंडारण खर्च सहित इसका नुकसान सहने पर मजबूर हैं. ट्रेड डील भी उसी ओर इशारा कर रहे हैं. लाख कोशिश के बावजूद ट्रंप अपने किसानों को कोई भी राहत देने में फेल रहे हैं, ऊपर से उन्होंने दुनियाभर के देशों से झगड़ा मोल ले लिया है.
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