फिर सामने आया ट्रंप का दोगलापन, भारत को दिखाते रहे आंख, उधर अंडे तक भी रूस से मंगा रहे, 'चोर दरवाजे' से करते रहे व्यापार
अमेरिका जो रूस की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए लगातार प्रतिबंध लगाता रहा, अब उसी से व्यापार करने पर मजबूर हो गया है. ताज़ा मामला जुलाई 2025 का है, जब अमेरिका ने 32 साल बाद पहली बार रूस से मुर्गी के अंडे खरीदे. रूसी सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने अमेरिकी सांख्यिकीय विभाग के हवाले से यह जानकारी साझा की. आखिरी बार 1992 में अमेरिका ने रूस से अंडों का आयात किया था. अब साफ हो गया है कि ट्रंप का भारत पर अनावश्यक दबाव बनाना कितना गैरजरूरी और बदले की भावना से की गई कार्रवाई है.
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भारत सहित दुनियाभर के कई देशों कों रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध तोड़ने को लेकर गीदड़भभकियां, धमकियां देने और पेनाल्टी लगाने वाले अमेरिका का फिर दोगलापन सामने आ गया है. जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंदुस्तान पर मॉस्कों के साथ ऑयल ट्रेड को खत्म करने के लिए दबाव बना रहे थे ठीक उसकी वक्त अमेरिका अपने हित साध रहा था और जब उसे जरूरत महसूस हुई तो उसने अपने कट्टर प्रतिद्वंदी से अंडा आयात कर रहा था, वो भी 32 साल में पहली बार. ये कैमिकल और फर्टिलाइजर के ट्रेड से इतर है.
आपको बताएं कि ताज़ा मामला जुलाई 2025 का है, जब अमेरिका ने 32 साल बाद पहली बार रूस से मुर्गी के अंडे खरीदे. रूसी सरकारी समाचार एजेंसी RIA नोवोस्ती ने अमेरिकी सांख्यिकीय विभाग के हवाले से यह जानकारी साझा की. आखिरी बार 1992 में अमेरिका ने रूस से अंडों का आयात किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, केवल जुलाई महीने में ही अमेरिका ने रूस से ताज़ा अंडों के लिए करीब 4.55 लाख डॉलर यानी लगभग 3.8 करोड़ रुपये चुकाए. यह खरीद उस समय की गई जब बर्ड फ्लू महामारी से अमेरिकी पोल्ट्री उद्योग अस्त-व्यस्त हो गया और अंडों की आपूर्ति पर संकट गहराने लगा.
पड़ी बर्ड फ्लू और महंगाई की दोहरी मार तो अक्ल आ गई ठिकाने!
2025 की शुरुआत में फैले बर्ड फ्लू ने लाखों मुर्गियों को प्रभावित किया. जनवरी में सीएनएन ने रिपोर्ट दी थी कि हालात इतने बिगड़ गए कि कई सुपरमार्केट्स को अंडों पर खरीद की सीमा तय करनी पड़ी. फरवरी तक एक दर्जन अंडों का दाम 7 डॉलर तक पहुंच गया था. हालांकि हाल के महीनों में दाम थोड़े गिरे, लेकिन जुलाई 2025 में अंडे अब भी पिछले वर्ष की तुलना में 16.4 प्रतिशत महंगे रहे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने इस स्थिति के लिए सीधे पूर्व बाइडेन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. उनका आरोप था कि पद छोड़ने से पहले सरकार ने करीब 80 लाख मुर्गियों को बिना वजह मार डाला, जिससे संकट और गहराया.
प्रतिबंधों के बावजूद जारी व्यापार
फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर व्यापक सैन्य अभियान छेड़ा, तो अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने मॉस्को पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए. इनमें रूसी सेंट्रल बैंक की संपत्ति फ्रीज करना, बड़े बैंकों को स्विफ्ट सिस्टम से बाहर करना, ऊर्जा क्षेत्र पर पाबंदी और कई वरिष्ठ अधिकारियों पर बैन शामिल था. लक्ष्य था रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से अलग-थलग करना.
लेकिन इन सख्त उपायों के बावजूद 2024 में अमेरिका ने रूस से लगभग 3 अरब डॉलर का सामान खरीदा. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा उर्वरकों का रहा (2025 की पहली छमाही में 927 मिलियन डॉलर), इसके अलावा यूरेनियम- प्लूटोनियम (755 मिलियन डॉलर) और पैलेडियम जैसी बहुमूल्य धातुएं भी शामिल थीं. बीते तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में 90 प्रतिशत तक गिरावट आई है, फिर भी सीमित स्तर पर लेन-देन जारी है.
ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद नए संकेत
अगस्त 2025 में अलास्का में हुए ट्रंप और पुतिन के शिखर सम्मेलन के बाद यह चर्चा तेज हो गई कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुल सकती हैं. यानी एक तरफ अमेरिका रूस को पाबंदियों से घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं ज़रूरत पड़ने पर वही देश उससे अंडे खरीदने तक को मजबूर हो रहा है.
'भारत की कर रहे आलोचना, खुद कर रहे रूस से ट्रेड'
इतना ही नहीं अमेरिका अंडों के अलावा कई अन्य जरूरी चीजों का भी रूस से आयात करता है. बीते महीने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रूस से एनर्जी ट्रेड कर रहे कुछ पश्चिमी देशों की भी पोल खोली और कहा कि भारत के लिए तेल आयात का यह कदम राष्ट्रीय जरूरत यानी राष्ट्र हित के लिए जरूरी था, जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं और वह भी बिना किसी मजबूरी के.
भारत की तुलना में रूस से कई गुना ज्यादा द्विपक्षीय व्यापार कर रहा यूरोपीय संघ
विदेश मंत्रालय ने आंकड़े देते हुए बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो था. इसके अलावा, 2023 में सेवाओं में भी दोनों के बीच 17.2 अरब यूरो का व्यापार हुआ. यह व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं अधिक है. 2024 में यूरोप ने रूस से रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन एलएनजी (एलएनजी) का आयात किया, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड 15.21 मिलियन टन से भी ज्यादा है. रूस और यूरोप के बीच केवल ऊर्जा ही नहीं, बल्कि उर्वरक, खनिज, रसायन, लोहे और इस्पात, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरणों का भी बड़ा व्यापार होता है.
अमेरिका भी कर रहा रूस से एनर्जी और फर्टिलाइजर का आयात
इससे पहले अगस्त की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने ट्रंप को आईना दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया था कि अमेरिका खुद रूस से अपने न्यूक्लियर एनर्जी के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड और ईवी सेक्टर के लिए पैलेडियम और कई रसायन आयात करता है. ऐसे में भारत पर निशाना साधना गलत है. भारत अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा, जैसे कि अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना. इन तथ्यों के आधार पर भारत ने कहा कि भारत को निशाना बनाना बिल्कुल अनुचित और दोहरे मापदंड का उदाहरण है. भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा.
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