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ट्रंप ने लिया 18 हजार भारतियों को अमेरिका से बाहर निकालने का फैसला !

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी, 2025 को पदभार ग्रहण करने के बाद अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन करने का फैसला लिया है. इसमें 18 हजार भारतीय भी हैं, अब सवाल ये है कि इन्हें वापस लाने का खर्च कौन देगा

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति के रुप में शपथ ले ली है। और जिन मुद्दों के सहारे ट्रंप अमेरिका की जनता को साधने में कामयाब रहे है उन मुद्दों पर तुंरत एक्शन लेने की बात कही जा रही है। ट्रंप Make America Great Again की नीति पर काम करेगें। Biden के 200 से ज्यादा फैसलों को रद्दी बताते हुए इन फैसलों को वापस करने की बात भी ट्रंप सरकार के द्वारा कही जा रही है। और ट्रंप के इनही फैसलों से भारत की मुश्किलों में इजाफा होता हुआ नजर आ रहा है।क्योंकि कुछ मीडिया रिपोर्ट का ऐसा दावा है कि ट्रंप भारत के 18000 लोगों को भारत वापस डिपोट करने की तैयारी कर रहे है।

जानकारी ऐसी मिल रही है कि अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन ने निर्वासन के लिए करीब 15 लाख लोगों की लिस्ट तैयार की है।इस लिस्ट में 18 हजार भारतीय नागरिक अमेरिकी सरकार की तरफ से तैयार की गई इस लिस्ट में शामिल है। दरअसल ट्रंप ने सबसे ज्यादा जोर दिया था, Make America Great Again। और इस नीति को पूरा करने के लिए सबसे पहले अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना होगा। जिसपर शपथ लेने से पहले ही ट्रंप की एजेंसिया काम पर लग भी गई थी। और इसी लिए 18 हजार भारतीयों पर ट्रंप की तलवार लटक गई है। अब सवाल ये है कि ये भारतीय है कौन जो भारत डिपोट किए जाएंगे।और अगर डिपोट किए जाएंगे को इनका खर्चा कौन उठाएगा। 


तो सबसे पहले समझिए ये लोग है कौन। तो ये वो लोग है जो गलत तरीके से अमेरिका में घुसे है।जैसे भारत में अवैध बांग्लादेशियों की बात भारत में की जाती है।कहा जाता है कि बॉर्डर से ये लोग भारत में घुसपैठ करते है। आते काम के लिए है लेकिन गलत धंधों में लिप्त हो जाते है।ठीक वैसे ही अमेरिका में भी लोग कनाडा की सीमा से होते हुए अवैध घुसपैठ करते है। मलेशिया की तरफ से भी लोग जाते है। हालांकि अमेरिका ने मलेशिया की तरफ लंबी-चौड़ी दीवार खड़ी कर रखी है। लेकिन कनाडा के साथ वो बड़े स्तार पर व्यापार करता है। और कुछ इलाके ऐसे भी है जहां की सीमा सुरक्षित नहीं है।और इन क्षेत्रों से अमेरिका में घुसपैठ होती है। इन्हीं लोगों की बात ट्रंप ने चुनाव प्रचार में की थी। और सबसे पहला फैसला भी इन्हीं घुसपैठियों पर किया जाएगा। और इन लोगों का खर्चा भी अमेरिका ही उठाएगा। 

जानकारी ऐसी मिल रही है कि 18 हजार भारतीयों को अमेरिकी सरकार अपने खर्च पर वापस भेजेगी। नियम के मुताबिक अगर किसी देश से किसी नागरिक को निकाला जाता है, तो जिस देश से उसे निकाला जाता है, उस देश की सरकार उसको भेजने का खर्च उठाती है। इतना ही नहीं दूसरे देश भेजने तक खाने और बाकी सुविधा का खर्च भी वो देश ही उठाता है। यानी अमेरिकी सरकार 18 हजार भारतीयों को वापस भेजने का खर्च उठाएगी। अमेरिकी सरकार ने भारत पर गैर-मददगार होने का आरोप भी लगाया है।  

आईसीई ने निर्वासन प्रक्रिया में मदद नहीं करने वाले 15 देशों की सूची बनाई है, जिन्हें ‘गैर मददगार’ कहा जाता है। इनमें भारत का नाम भी है। आसीई की रिपोर्ट में अमेरिका में रह रहे करीब 18 हजार भारतीय अवैध कागजी कार्रवाई की लंबी प्रक्रिया में फंस गए हैं। और इन सबके ज्यादा से ज्यादा 3 साल का वक्त लग सकता है। लेकिन इन लोगों को डिपोर्ट जरुर किया जाएगा। और ये तो बस शुरुआत है।  ट्रंप ने H1B वीजा को भी बहुत ज्यादा जटिल बना दिया है। जिसके बात जो भारतीय अमेरिका जाना चाहते थे, या वहां रह रहे थे। उनके लिए बड़ा झटका है।  दरअसल H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशियों के लिए सबसे प्रभावी अस्थायी वर्क वीजा है। ये एम्पलॉयर्स को "मेरिट और एबिलिटी" के आधार नौकरी देने का काम करता है। 2023 प्यू रिसर्च की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस साल अमेरिका में इमिग्रेशन में 16 लाख की बढोतरी हुई है। जो पिछले 20 सालों में सबसे बड़ी बढोतरी है। जिससे बहुत सारे अमेरिकी नाराज है। इन बढते इमिग्रेशन से अमेरिकी लोगों को नौकरी मिलने में दिक्कतें आ रही है।  और इसलिए  H-1B वीजा को जटिल बनाने के साथ साथ अमेरिकियों  को ही ध्यान में रखते हुए आगे की नीतिया बनाई जा रही है। तो ये भारत के लिए बहुत बूरी खबर है। जो पैसा भारत के लोग अमेरिका में जाकर कमाते है, उसे अपने देश भेजते है। और भारत के डॉलर का खजाना बढता है। लेकिन अब इसमें कमजोरी देखने को मिलेगी। तो देखना होगा ट्रंप के इस फैसले भारत पर कितना असर पड़ता है। 

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